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Integrated Farming: एकीकृत कृषि प्रणाली से 6 गुना से भी ज़्यादा बढ़ी इस महिला किसान की आमदनी

जुटाई जानकारी और कृषि विविधीकरण अपनाया

जो किसान नई तकनीक अपनाकर खेती को एक व्यवसाय की तरह कर रहे हैं उन्हें इससे अच्छी आमदनी हो रही है। एक ऐसी ही तकनीक है एकीकृत कृषि प्रणाली। ऐसी ही एक महिला किसान हैं अरकेरी गांव की दोंदुबाई हन्नू चव्हाण, जो अब दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।

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एकीकृत कृषि प्रणाली: मल्टीटास्किंग के इस दौर में खेती में भी मल्टीटास्किंग ज़रूरी हो गई है, तभी किसान अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। कृषि सलाहकार किसानों को फसल उगाने के साथ ही खेती से जुड़ी अन्य गतिविधियां जैसे पशुपालन, बागवानी, मुर्गीपालन, मछली पालन, बकरी पालन जैसी गतिविधियां अपनाने की सलाह देते हैं। खेती में विविधकरण लाने की इसी तकनीक को एकीकृत कृषि प्रणाली कहते हैं, जो वर्तमान समय की ज़रूरत है। एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) अपनाने से कर्नाटक की रहने वाली किसान दोंदुबाई हन्नू चव्हाण की आमदनी न सिर्फ़ 6 गुना से भी ज़्यादा बढ़ी, बल्कि वो दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन चुकी हैं।

एकीकृत कृषि प्रणाली
एकीकृत कृषि प्रणाली से खेती (तस्वीर साभार: agricoop)

सिर्फ़ अनाज फसलों से होता था नुकसान

38 साल की दोंदुबाई विजयपुर के अरकेरी गांव की रहने वाली हैं और उनके तीन बच्चे हैं। वो सिर्फ़ पांचवी पास है। बावजूद इसके वो हमेशा नई चीज़ें सीखने के लिए उत्सुक रहती हैं और यही वजह है कि आज वो एक सफल महिला किसान बन गई हैं। शुरुआत में वो सिर्फ़ पारंपरिक अनाज फसलों की ही खेती करती थीं, मगर सिर्फ़ अनाज उगाने पर उन्हें किसी तरह का मुनाफ़ा नहीं होता था। साथ ही उनकी खेती वर्षा आधारित थी, जिसकी वजह से बारिश न होने पर फसल का नुकसान होता था।

कैसे की एकीकृत कृषि प्रणाली की शुरुआत?

दरअसल, दोंदुबाई एक एनजीओ की सदस्य हैं और उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), विजयपुर की ओर से आयोजित एक सहयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसी कार्यक्रम में उन्हें एकीकृत कृषि प्रणाली के बारे में पता चला। फिर इस विषय पर उन्हें KVK के वैज्ञानिकों से तकनीकी मार्गदर्शन और सलाह भी मिली। वैज्ञानिकों की ओर से किए गए फ्रंट लाइन प्रदर्शनों से दोंदुबाई को जो जानकारी मिली उसी के आधार पर उन्होंने खेती में विविधीकरण शुरू किया यानी एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाया।

एकीकृत कृषि प्रणाली
एकीकृत कृषि प्रणाली से खेती
Kisan of India youtube
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करती हैं ये सभी काम

दोंदुबाई के पास 3.5 एकड़ ज़मीन है जिसमें वो फसल उगाने के साथ ही, पशुपालन, मुर्गीपालन, मछलीपालन, बागवानी फसलों, सब्जियों आदि की खेती कर रही है। अनाज में मक्का और अरहर उगा रही हैं। जबकि बागवानी फसलों में अमरूद, अंजीर, करी पत्ता, सहजन, पपीता, नारियल, चीकू और सीताफल की खेती कर रही हैं। उनके पास मुर्रा और गिर नस्ल की गाय है। शिरोही और उस्मानाबादी नस्ल की बकरियां और और स्वर्णधारा नस्ल की 70 मुर्गियां हैं। उनके खेत में बोरवेल और तालाब भी है, जिसमें वो मछलीपालन करती हैं।

कितनी बढ़ी आमदनी

पहले साल उन्हें सिर्फ़ 53,800 रुपये की आमदनी हुई, लेकिन अब वो हर साल लगभग 3,64,200 रुपये की कमाई कर रही हैं। उनकी इस सफलता से दूसरे किसान भी एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाने के लिए प्रेरित हुए हैं।

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दोंदुबाई को कृषि में विविधकरण में कृषि विज्ञान केंद्र और एनजीओं से बहुत मदद मिली। उनके सहयोग की बदौलत ही वो एक सफल महिला किसान बन पाई हैं। कृषि के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ की ओर से ज़िला स्तरीय सर्वश्रेष्ठ महिला किसान का पुरस्कार भी मिल चुका है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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