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पुनर्नवा जल – दुनिया की पहली जैविक खाद! जानिए कैसे ये है किसानों के लिए फायदेमंद?

एशियन एग्री हिस्ट्री फाउंडेशन के चैयरमेन ने बताया पुनर्नवा जल को कैसे बनायें? 

किसान ऑफ इंडिया ने एशियन एग्री हिस्ट्री फाउंडेशन के चेयरमैन से खास मुलाकात की। जानिए पुनर्नवा जल का क्या है इतिहास और खासियत?

हमारे वेदों में खेती के बारे में कई तरीके से जिक्र किया गया है। ऐसा ही मुझे देखने को मिला पंतनगर यूनिवर्सिटी में जहां मेरी एशियन एग्री हिस्ट्री फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. एस पी एस बेनीवाल से मुलाकात हुई। इस लेख में आप जानेंगे कैसे इस प्राकृतिक या जैविक खाद को बनायें और इससे कैसे छोटे किसानों को फ़ायदा होगा?

कैसे एशियन एग्री हिस्ट्री फाउंडेशन की हुई शुरुआत?

बेनीवाल जी ने  कि इस संस्थान को 1994 में स्थापित किया गया था। इनके संस्थापक का मानना था की हमारे पास ऐसी पुस्तकें नहीं थी जो हमें प्राचीन काल की खेती के बारे में बता सकें। ये एक नॉन-प्रॉफ़िट संस्थान है। हमारा सबसे बड़ा उद्देश्य ये था की खेती-किसानी से जुड़े साहित्य को किसानों तक पहुंचाया जाये। एक पुस्तक का उन्होंने जिक्र भी किया जिसका नाम था ‘वृक्षा आयुर्वेद’। इस किताब को 1000 साल पहले वेद सुरपाल जी ने लिखी थी। उसमें आयुर्वेदिक चीजों को पेड़-पौधों में कैसे लगाया जाए उसका वर्णन किया गया है।

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क्या है पुनर्नवा जल?

उन्होंने बताया कि ये दुनिया की सबसे पहली जैविक खाद है। उस समय इसमें जानवरों की हड्डियां और मछलियों को उबालकर बनाया था। इसके साथ उसमें खली, गुड़, भूसी, उड़द को भी डाला गया था। इसके नाम का संस्कृत में अर्थ है ऐसी चीज जिसमें से बहुत दुगन्ध आती है। इसको खेत में इस्तेमाल करने के बाद कोई भी उर्वरक और कीटनाशक को डालने की जरूरत नहीं पड़ती। इसको डालने से पेड़-पौधों की वृद्धि बढ़ती है।

कैसे बनायें पुनर्नवा जल?

  • 200 लीटर का एक ड्रम लें

  • 15-20 किलोग्राम गाय का गोबर डालें

  • 10-15 लीटर गौ मूत्र डालें

  • 2 किलोग्राम गुड़ लें

  • 2 किलोग्राम उड़द लें

  • सरसों और नीम की खली डालें

  • तांबे की एक रोड डालें

  • 20 किलोग्राम खरपतवार डालें

  • आरंडी, नीम, गुरी के पत्ते डालें

  • कनेर, आम, सीताफल के पत्ते डालें

तकनीकी खेती और जैविक या प्राकृतिक खेती की पद्धति का कैसा है तालमेल? 

उन्होंने बताया कि बढ़िया खेती करने के लिए होलिस्टिक अप्रोच अपनानी चाहिए। आपको इस जैविक खाद के साथ खेती में तकनीक का भी इस्तेमाल करना चाहिए। इस खाद को डालने से बकजर जमीन को दो से तीन साल में उपजाऊ बनाया जा सकता है।

खेती के लिए बेनीवाल जी का क्या है गुरु मंत्र? 

उन्होंने बताया कि जो छोटे और सीमांत किसान के लिए ये जैविक खाद का इस्तेमाल सफलतापूर्वक है। इसमें क्योंकि उनको लागत कम आएगी। किसानों को एकीकृत खेती की ओर रुख करना चाहिए। इसका मतलब यानि कम खर्च में बढ़िया उपज आपको इसके इस्तेमाल करने से मिलेगी।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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