यूँ तो फूलगोभी पूरे साल बाज़ार में मिलती है, लेकिन ये सर्दियों में उगाई जाने वाली प्रमुख सब्ज़ी है। इसका इस्तेमाल सब्ज़ी के अलावा, पुलाव, परांठा, अचार, सूप, सलाद आदि में किया जाता है। भारत पूरी दुनिया में फूलगोभी का सबसे बड़ा उत्पादक है। यहां 4,60,000 हेक्टेयर भूमि में फूलगोभी का उत्पादन किया जाता है। फूलगोभी में विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। फूलगोभी की मांग हमेशा बनी रहती है, इसलिए फूलगोभी की खेती किसानों के लिए फ़ायदेमंद है। फूलगोभी की ज़्यादा उपज के लिए किसान युग्मित पंक्ति प्रणाली से इसकी खेती कर सकते हैं।

युग्मित पंक्ति प्रणाली से फूलगोभी की खेती
पंक्तियों में कई अंतराल पर फूलगोभी के पौधों की खेती से उत्पादन में कितना फ़र्क पड़ता है यह देखने के लिए 2015-16 और 2016-17 में कृषि विज्ञान केन्द्र, पंचमहल, गोधरा, गुजरात के विशेषज्ञों ने एक परीक्षण किया। विशेषज्ञों ने 40 किसानों का चुनाव करके उनके खेतों में फूलगोभी की हाइब्रिड किस्म पूसा कातकी की खेती शुरू की। इन किसानों को फूलगोभी की खेती के विभिन्न पहलुओं को लेकर परीक्षण दिया गया।
किसानों को पंक्तियों के बीच 60X60 सेंटीमीटर की दूरी (जिसमें प्रति हेक्टेयर 27,777 पौधों की रोपाई की गई), 60X45 सेंटीमीटर (जिसमें प्रति हेक्टेयर 37,037 पौधों की रोपाई की गई) और युग्मित प्रणाली (इसमें दो पंक्तियों के बीच 60X60 सें.मी. और दो पौधों के बीच 30X30 सें.मी. की दूरी) से खेती करने को कहा गया। युग्मित प्रणाली में प्रति हेक्टेयर 74,074 पौधे लगाए गएं। यानी इस विधि में सबसे अधिक पौधों की रोपाई की गई।

युग्मित पंक्ति प्रणाली के फ़ायदे
इस तरह से खेती करने पर प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक पौधे लगाए गए। खाद, पानी आदि का उचित इस्तेमाल हो पाया और फसल भी ज़्यादा हुई। फसल की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ जिससे किसानों की आय में बढ़ी। कृषि विज्ञान केंद्र ने परीक्षण के आधार पर पाया कि तीनों तरीकों में सबसे ज़्यादा उपज युग्मित पंक्ति प्रणाली से हुई। इससे प्रति हेक्टेयर 230.91 क्विंटल की औसत उपज हुई और मुनाफा भी सबसे ज़्यादा 99,093 रुपए का हुआ, जबकि 60X60 सें.मी. की दूरी पर रोपाई करने पर 50,174 रुपए और 60X45 सें.मी. की दूरी पर रोपाई करने पर 65,940 रुपए का मुनाफा प्राप्त हुआ। इससे निष्कर्ष निकलता है कि युग्मित पंक्ति प्रणाली से किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है।
जलवायु और मिट्टी
फूलगोभी की खेती के लिए ठंडी व नम जलवायु की ज़रूरत होती है। इसकी खेती 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट में अच्छी तरह से होती है। इसके लिए बलुई, दोमट मिट्टी अच्छी होती है और मिट्टी का pH 7 से कम होना चाहिए। खेत में जल निकासी की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

खेती के लिए रखें इन बातों का ध्यान
- फूलगोभी के पौधें पहले नर्सरी में तैयार किए जाते हैं, फिर खेत में रोपाई से पहले खेत की 2 से 3 बार अच्छी तरह से जुताई करें।
- फिर 1 एकड़ खेत में 10 टन गली हुई रूड़ी की खाद और 10 किलोग्राम कार्बोफुरान का इस्तेमाल करें। फिर जुताई करें।
- पौधों की रोपाई के समय 1 एकड़ खेत में 50 किलोग्राम डी ऐ पी, 50 किलोग्राम पोटाश, 25 किलोग्राम यूरिया, 10 किलोग्राम कार्बोफिउरॉन, 5 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करें।
- 3 साल में 1 बार मिट्टी की जांच जरूर करवाएं और उसके हिसाब से उर्वरक का इस्तेमाल करें।

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