जल्दी और अधिक फसल प्राप्त करने के लिए आजकल केमिकल युक्त खाद और कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल हो रहा है। इससे कुछ सालों के लिए भले ही फसल का उत्पादन ज़्यादा मिलता हो, मगर धीरे-धीरे यह मिट्टी के पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है। इतना ही नहीं, इनका पर्यावरण और हमारी सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। इसी के मद्देनज़र अब किसान जैविक खेती (Organic Farming) पर ज़ोर दे रहे हैं। इसके अलावा, लोगों ने घर में ही किचन गार्डन भी बना लिया है, जिसमें वो कई तरह की सब्जियों की खेती करते हैं। ऐसी ही एक महिला हैं पंजाब की बीबी कमलजीत कौर, जिन्होंने किचन गार्डन में सब्ज़ियां उगाने से शुरुआत की और अब एक सफल महिला उद्यमी बन चुकी हैं।

समाज के लिए कुछ करने की चाह
पंजाब के बरनाला ज़िले की रहने वाली बीबी कमलजीत कौर सीमांत किसान परिवार से आती हैं। उनके पति खेती-किसानी करते हैं। वह हमेशा से ही कुछ करना चाहती थीं, सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए। खुले और सकारात्मक विचारों के साथ उन्होंने खेती और ऑर्गेनिक उत्पादों के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। आज के समय में जब कीटनाशकों की वजह से पर्यावरण को क्षति हो रही है, जैविक खेती के ज़रिए उन्होंने बहुत से गांवों का चेहरा बदल दिया है।
कैसे की किचन गार्डन की शुरुआत?
कमलजीत कौर एग्रीकल्चर हेरिटेज मिशन द्वारा आयोजित एक सेमिनार में पहुंची। जहां उन्हें कीटनाशकों के मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर होने वाले प्रतिकूल असर के बारे में जानकारी मिली। कैंसर-सर्वाइकल ट्यूमर के साथ ही कई अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। जानकारी जुटाने और ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने ऑर्गेनिक तरीके से किचन गार्डन में ही सब्ज़ियां उगानी शुरू कर दीं। उन्होंने अपने क्षेत्र की अन्य महिलाओं को भी इस काम के लिए प्रेरित किया।
2 हज़ार महिला किसानों को जोड़ा
उन्होंने करीब 20 गाँवों के किसानों को केमकिल के घातक परिणामों के प्रति जागरुक किया। आज वह 2 हज़ार से ज़्यादा ऑर्गेनिक किचन गार्डन चला रही हैं। उनके साथ करीबन दो हज़ार महिला किसान जुड़ी हैं। बीबी कमलजीत कौर से प्रेरित होकर भोटना, चुघन, मल्लिया और कई अन्य गांव के किसान भी भी कीटनाशक मुक्त सब्जियां उगा रहे हैं।
स्वयं सहायता समूह का किया गठन
वह कृषि और किसान कल्याण विभाग में एग्रीकल्चर हेरिटेज मिशन और ATMA के तहत आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेती हैं। उन्होंने खुद एग्रीकल्चर हेरिटेज मिशन और ATMA स्कीम के तहत स्वयं सहायता समूह बनाया है। वह स्वयं सहायता समूह बनाकर महिला किसानों को अपना काम खुद करने की सलाह देती हैं। वह अचार, मुरब्बा, सॉस आदि बनाकर अतिरिक्त कमाई कर रही हैं।
मिल चुके हैं कई सम्मान
कृषि क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें आत्मा योजना के तहत जिला स्तरीय कार्यक्रम में सफल महिला किसान का सम्मान मिल चुका है। उन्हें प्रगतिशील और सफल महिला किसान के लिए बरनाला के डिप्टी कमिश्नर द्वारा भी अवॉर्ड मिल चुका है।
आप भी किचन गार्डन में सब्ज़ियां उगाकर ताज़ी और केमिकल मुक्त सब्ज़ियों का उपयोग कर सकते हैं। अगर इस संबंध में बिल्कुल जानकारी नहीं है, तो किसी कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।
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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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