Cultivation of Lavender | लैवेंडर की खेती हाल ही में जम्मू और कश्मीर में तेज़ी से उभर रही है। यहां की जलवायु और मिट्टी की स्थिति इस खेती के लिए अच्छी है। इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स, औषधीय और सुगंध उद्योगों में किया जाता है। हालांकि, लैवेंडर की खेती को बढ़ाने और इसे एक लाभदायक उद्यम बनाने के लिए, कई बुनियादी ढांचे की ज़रूरतें हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार इसका ख़ास ख़्याल रख रही है।
जम्मू और कश्मीर सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए क्षेत्र में कृषि और बागवानी को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है। इसी दिशा में सरकार ने लैवेंडर की खेती के लिए बुनियादी ढांचा मुहैया कराया है। लैवेंडर एक अच्छी कमाई वाली फसल है, जिसमें आय में बढ़ोतरी की काफ़ी संभावना है। सरकार ने किसानों को इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए हैं।
लैवेंडर की खेती के लिए ज़रूरी बुनियादी ढांचे की ज़रूरत
जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर की खेती को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। किसानों को गुणवत्ता वाले लैवेंडर पौधों को वितरित करने के लिए नर्सरी स्थापित की है। सरकार ने किसानों को लैवेंडर की खेती की तकनीकों के बारे में शिक्षित करने के लिए तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान किया है। लैवेंडर के खेतों को तैयार करने में मदद करने के लिए सरकार किसानों को ऋण भी दे रही है।
इसके अलावा, सरकार किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन देकर बड़े पैमाने पर लैवेंडर उगाने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है। लैवेंडर की खेती और कटाई के लिए मशीनरी खरीदने के लिए सरकार ने सब्सिडी दी है। वे ड्रिप सिंचाई प्रणाली की खरीद पर भी सब्सिडी प्रदान कर रहे हैं, जो लैवेंडर के उचित विकास के लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा, सरकार ने लैवेंडर किसानों के लिए एक बाजार लिंकेज तैयार किया है।
लैवेंडर की खेती के लिए विशिष्ट बुनियादी ढांचे जैसे उच्च गुणवत्ता वाले बीज, सिंचाई प्रणाली और मशीनरी की ज़रूरत होती है। सरकार ने किसानों को ये बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए कोशिशें की हैं। उन्होंने लैवेंडर फूल और तेल निकालने के लिए आधुनिक प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की हैं। ये बुनियादी ढांचा किसानों को लैवेंडर को संसाधित करने और बाजार में बेहतर कीमतों पर बेचने में मदद करता है।
सीएसआईआर-आईआईआईएम की कोशिशें
सीएसआईआर-अरोमा मिशन के तहत, सीएसआईआर-आईआईआईएम ने लैवेंडर की खेती पर ज़ोर दिया और जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों के किसानों को 30 लाख से ज़्यादा मुफ्त लैवेंडर पौधे दिए गए। सीएसआईआर-आईआईआईएम ने किसानों को उनकी उपज के प्रसंस्करण में सहायता करने के लिए जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग जगहों पर पचास इकाइयां (45 निश्चित और पांच मोबाइल) स्थापित की हैं।
सरकार के प्रयासों के महत्वपूर्ण परिणाम मिले हैं और किसानों ने लैवेंडर की खेती में गहरी दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है। सरकार ने क्षेत्र में लैवेंडर के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। लैवेंडर की खेती इस क्षेत्र में कृषि का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई है, और सरकार भविष्य में लैवेंडर की खेती के लिए ज़्यादा धन आवंटित करने की योजना बना रही है।
लैवेंडर की खेती से जुड़े मिशन की अहमियत
CSIR IIIM के रिकॉर्ड के अनुसार, क्षेत्र के कई छोटे और सीमांत मक्का किसानों ने लैवेंडर को सफलतापूर्वक अपनाया है। लैवेंडर की खेती ने जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक दृष्टि से दूर बसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में किसानों और युवा उद्यमियों को रोजगार दिया है। सीएसआईआर-आईआईआईएम के हस्तक्षेप के कारण क्षेत्र में लैवेंडर की खेती के आसपास एक नया उद्योग विकसित हुआ है। जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में 2500 से ज़्यादा किसान लैवेंडर की खेती कर रहे हैं।
महिलाओं को मुख्य रूप से लैवेंडर के खेतों में फूलों की कटाई और प्रसंस्करण के लिए नियोजित किया जाता है, जिससे इस क्षेत्र में महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है। कई युवा उद्यमियों ने लैवेंडर तेल, हाइड्रोसोल और फूलों के मूल्यवर्धन के माध्यम से छोटे पैमाने पर कारोबार शुरू किया है। सीएसआईआर-आईआईआईएम कई कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित कर रहा है और लैवेंडर की खेती, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन पर जम्मू-कश्मीर के 2500 से ज़्यादा किसानों और युवा उद्यमियों को प्रशिक्षित कर रहा है।
लैवेंडर की खेती से किसानों को फ़ायदा
मक्का से लैवेंडर की खेती करने वाले किसानों की वार्षिक आय कई गुना बढ़ गई है- 40,000/-रु से 60,000/- रु प्रति हेक्टेयर और 3,50,000/- रु. से 6,00,000/- प्रति हेक्टेयर। भद्रवाह, डोडा जिले के किसानों ने 2019, 2020, 2021 और 2022 में क्रमशः 300, 500, 800 और 1500 लीटर लैवेंडर तेल का उत्पादन किया है। उन्होंने सूखे फूल, लैवेंडर के पौधे और लैवेंडर का तेल बेचकर 2018-2022 के बीच करोड़ों की कमाई की है। लैवेंडर की खेती पर सफल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण ने जम्मू-कश्मीर के किसानों को अपनी खेती में और आर्थिक रूप से उत्कृष्टता पाने में मदद की है।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (CSIR-IIIM) जम्मू में प्लांट साइंसेज एंड एग्रोटेक्नोलॉजी डिवीजन (PSA) के प्रधान वैज्ञानिक – डॉ. सुमीत गैरोला उन सभी लोगों को सलाह देते हैं जो जम्मू और कश्मीर में लैवेंडर उगाने में रुचि रखते हैं, “उन्हें पहले ये आंकलन करना चाहिए कि वो वर्तमान में अपनी जमीन से कितना फ़ायदा पा रहे हैं। अगर उन्हें प्रति एकड़ एक लाख रुपये से ज़्यादा मिल रहा है, तो मैं उन्हें अपनी वर्तमान कृषि फसल जारी रखने का सुझाव दूंगा।
हालाँकि जिन स्थानों पर बारिश होती है, वहाँ पानी और जंगली जानवरों की समस्या होती है, मेरा सुझाव है कि वो लैवेंडर की खेती का पता लगा सकते हैं। वो उन किसानों से मिलें जो पहले से ही लैवेंडर की खेती कर रहे हैं और उनसे लैवेंडर लेने के बारे में चर्चा करें। वे मार्गदर्शन के लिए सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू से भी संपर्क कर सकते हैं। वर्षा आधारित पहाड़ी ढलानों पर लैवेंडर किसानों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत हो सकता है।
लैवैंडर की सामान्य ज़रूरतें
इस तरह, जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए बुनियादी ढांचे ने क्षेत्र में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार की कोशिशों की वजह से ही किसानों का आर्थिक उत्थान हुआ है और इससे पूरे क्षेत्र को फ़ायदा मिला है। बुनियादी ढांचे के साथ, जम्मू और कश्मीर में लैवेंडर की खेती का भविष्य उज्ज्वल दिखता है।
सरकार द्वारा विकसित बुनियादी ढांचे के अलावा लैवेंडर के पौधे को उगाने के लिए कुछ और ज़रूरतें भी होती हैं। लैवेंडर की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की ज़रूरत होती है। साइट पर दिन में कम से कम 6-8 घंटे के लिए पूर्ण सूर्य का प्रकाश होना चाहिए। पौधों को पर्याप्त पानी मिले ये सुनिश्चित करने के लिए उचित सिंचाई प्रणाली स्थापित करनी होती है।
इसके अलावा, लैवेंडर पौधों के इष्टतम विकास और उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्त पोषक तत्व प्रबंधन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए। रोग को रोकने और स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने के लिए उचित जल निकासी और नियमित छंटाई भी ज़रूरी है। आख़िर में, कटे हुए लैवेंडर फूलों को सुखाने और संसाधित करने के लिए अच्छी भंडारण सुविधा होनी चाहिए।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- ICAR और NBFGR ने अरब सागर से खोजी नई गहरे पानी की सर्पमीन (ईल) प्रजाति Facciolella SmithiICAR–National Bureau of Fish Genetic Resources (NBFGR) के शोधकर्ताओं ने अरब सागर में केरल के तट से एक नई प्रजाति की सर्पमीन (New species of eel) खोजी है, जिसका नाम Facciolella smithi रखा गया है।
- International Plastic Bag Free Day पर जानिए, क्यों खेती को चाहिए प्लास्टिक से मुक्तिInternational Plastic Bag Free Day पर जानिए कैसे प्लास्टिक खेती को कर रहा है नुकसान और किसान कैसे इस बदलाव के अगुआ बन सकते हैं।
- Shivraj Singh Chouhan’s Visit To Jammu And Kashmir: केसर उत्पादन से लेकर क्लीन प्लांट सेंटर तक केंद्र सरकार बदलेगी किसानों की तकदीर!केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) 3 और 4 जुलाई 2025 को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं, जहां आज उन्होंने कृषि, ग्रामीण विकास और शिक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण योजनाओं Agricultural Revolution In Jammu And Kashmir) की समीक्षा की।
- Mission Mausam: भारत को मिलेगा Weather Update का सटीक अनुमान, देश अब मौसम की मार से बचने को तैयार!देश के कई हिस्सों में आए भीषण मौसम के बीच उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मिशन मौसम’ (MISSION MAUSAM) के तहत भारत का पूर्वानुमान तंत्र अब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सिस्टम्स की कतार में शामिल हो रहा है।
- What is Precision Farming: स्मार्ट तकनीक से Agriculture Revolution! क्यों ये है भविष्य की खेती? पढ़ें डीटेल मेंप्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) एक ऐसी आधुनिक तकनीक जो GPS, सेंसर, ड्रोन और AI का इस्तेमाल करके खेती को ‘इंच-इंच सटीक’ बना देती है।
- गुरेज़ घाटी में खेती और बागवानी को मिली नई पहचान, MIDP और HADP Schemes से आई हरियाली की बहारगुरेज़ घाटी में MIDP और HADP Schemes से खेती में आई क्रांति, किसान अब उगा रहे हैं सेब, चेरी और सर्दियों की सब्ज़ियां।
- 10 Years Of Digital India : e-NAM के ज़रीये किसानों की बदल रही जिंदगी, नई टेक्नोलॉजी से आई डिजिटल क्रांतिडिजिटल क्रांति (10 Years Of Digital India) ने किसानों की जिंदगी को कैसे बदला है? ई-नाम (e-NAM) एक ऐसी ही क्रांतिकारी पहल है, जिसने कृषि व्यापार (Agricultural Business) को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करके किसानों को सीधा बाजार से जोड़ दिया है।
- ‘Ek Bagiya Maa Ke Naam’ Project: मध्य प्रदेश सरकार की मदद से महिलाओं को मिलेगी आर्थिक आज़ादी‘एक बगिया मां के नाम’ (‘Ek Bagiya Maa Ke Naam’ Project) नाम की इस योजना के तहत मध्य प्रदेश की हज़ारों महिलाओं को अपनी ज़मीन पर फलदार पौधे लगाने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और प्रदेश हरा-भरा बनेगा।
- VIV ASIA Poultry Expo 2026: भारत में पहली बार होने जा रहा है लाइव स्टॉक एक्सपो का महाकुंभ!दुनिया के सबसे बड़े लाइव स्टॉक और पोल्ट्री एक्सपो (The world’s largest livestock and poultry expo) में से एक, VIV ASIA, (VIV ASIA Poultry Expo 2026) अब भारत में होने जा रहा है। ये पहली बार है जब ये प्रतिष्ठित एक्सपो थाईलैंड और यूरोप से निकलकर भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
- हेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा नया सहाराहेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक (Bio-plastic being made from hemp waste) दे रही पर्यावरण को राहत और गांवों को रोज़गार, संभल में शुरू हुआ हरित नवाचार।
- 200 Years of Assam Tea: स्वाद, विरासत और इनोवेशन संग न्यूयॉर्क में जश्न, धूमधाम से मना असम चाय का द्विशताब्दी समारोहन्यूयॉर्क में समर फैंसी फूड शो 2025 (Summer Fancy Food Show 2025) में असम चाय के 200 साल पूरे (200 Years of Assam Tea) होने का भव्य उत्सव मनाया।
- National Turmeric Board Inaugurated: किसानों को मिली बिचौलियों से मुक्ति, अब दुनियाभर में धाक जमाएगी ‘निज़ामाबाद की हल्दी’केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Cooperation Minister Amit Shah) ने ‘राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड’ (National Turmeric Board) का उद्घाटन किया। ये कदम दशकों से हल्दी किसानों की मांग को पूरा करने वाला साबित होगा।
- गुना का गुलाब अब महकेगा पेरिस और लंदन तक – गुलाब की खेती से किसानों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाज़ारगुलाब की खेती से गुना के किसान अब पेरिस और लंदन में गुलाब भेजने को तैयार हैं। गुना का गुलाब देगा अंतरराष्ट्रीय पहचान।
- Obesity in India: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में की ‘कम तेल,अच्छी सेहत’ की अपील, FSSAI ने दिये मोटापा कम करने के ज़बरदस्त टिप्स!मोटापे की बढ़ती समस्या (Obesity in India) पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी मुहिम शुरू करने का आग्रह किया है। यह सिर्फ एक सुझाव नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। साथ ही, FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) और AIIMS की विशेषज्ञ डॉ. स्वप्ना चतुर्वेदी ने स्वस्थ खानपान के ऐसे ऑप्शन सुझाए हैं, जो न सिर्फ आसान हैं बल्कि सेहत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
- डोंडुबाई हन्नू चव्हाण जिन्होंने अपनाई एकीकृत कृषि प्रणाली और बदल दी ज़िंदगीएकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर डोंडुबाई चव्हाण ने खेती की तस्वीर बदली, कम ज़मीन में हासिल की लाखों की कमाई और सम्मान।
- Agri Infra Fund (AIF): किसानों और उद्यमियों के सपनों को कृषि इंफ्रा फंड दे रहा नई उड़ान, जानिए कैसे करें अप्लाईकृषि अवसंचना कोष (Agri Infra Fund – AIF) के जरिए सरकार किसानों, एग्री-उद्यमियों, FPOs (किसान उत्पादक संगठनों) और कृषि व्यवसायियों को वित्तीय सहायता देकर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद कर रही है।
- DialogueNEXT 2025: विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन, CIMMYT और बोरलॉग संस्थान के साथ किसानों से होगा संवाद, बढ़ेगी विज्ञान की रफ्तार!DialogueNEXT 2025 का आयोजन ICAR, विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन (World Food Prize Foundation), CIMMYT और बोरलॉग इंस्टीट्यूट (Borlaug Institute) के साथ मिलकर 8-9 सितंबर 2025 में किया जा रहा है।
- Agri Stack: ‘किसान पहचान पत्र’ से लेकर किसानों का नया डिजिटल साथी Multilingual AI Chatbot के बारें में अहम बातेंएग्री स्टैक (Agri Stack) भारत सरकार की एक डिजिटल पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को तकनीक के जरिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। भारत सरकार की ‘एग्री स्टैक’ (‘Agri Stack’) पहल के तहत एक मल्टीलिंगुअल AI चैटबॉट लॉन्च (Multilingual AI chatbot) किया गया है, जो किसानों को उनकी भाषा में सलाह देता है।
- प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना सप्ताह 1 जुलाई से आरंभ, इस ख़रीफ़ सीजन में अपनाएं PMFBY का सुरक्षा कवचख़रीफ़ 2025 के लिए फ़सल बीमा पंजीकरण शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना से फ़सल और किसान दोनों होंगे सुरक्षित।
- बुरहानपुर में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कृषि सखियां बनीं गांव की नई कृषि मार्गदर्शकराष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से जुड़कर कृषि सखियां गांवों में प्राकृतिक खेती का ज्ञान फैला रही हैं और महिला किसानों को सशक्त बना रही हैं।