वैसे तो सभी हरी सब्ज़ियां पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती हैं, मगर पौष्टिकता के मामले में पालक सबसे आगे है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, आयरन, फोलेट, पोटेशियम, फाइबर, प्यूरिन और ऑक्सेलिक एसिड भी होता है। यह एक ऐसी सब्ज़ी है जो पूरे साल उगाई जा सकती है, मगर पालक की अच्छी खेती ठंड के मौसम में ही होती है। देसी और विलायती दो तरह का पालक होता है, जिनकी खेती इलाके की जलवायु और मिट्टी के आधार पर की जानी चाहिए। देसी पालक की पत्तियां चिकनी अंडाकार, छोटी और सीधी होती है, जबकि विलायती पालक की पत्तियों के सिरे कटे हुए होते हैं।
पालक की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
पालक की पत्तियों के विकास के लिए ठंडा मौसम उपयुक्त होता है, गर्मियों में इसका विकास ठीक से नहीं होता। इसलिए इसकी ज़्यादा खेती सर्दियों में ही की जाती है। जहां का मौसम सामान्य हो वहां पूरे साल पालक उगाया जा सकता है। देसी पालक गर्म और ठंडे दोनों मौसम में उगाया जाता है, जबकि विलायती पालक ठंडे मौसम में उगाना फ़ायदेमंद होता है। विलायती पालक की कंटीले बीज वाली किस्में पहाड़ी इलाकों और गोल बीज वाली किस्में मैदानी इलाकों मे ठंड के मौसम में उगाई जाती है। पालक की खेती वैसे तो सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अधिक उपज के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होना ज़रूरी है और मिट्टी का पी.एच. बैलेंस 6 से 6.7 के बीच होना चाहिए।

अधिक उपज वाली किस्में
पालक की खेती से अधिक मुनाफ़े के लिए नीचे दी गई उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं। किस्मों का चुनाव इलाके की जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए।
ऑल ग्रीन- इस किस्म के पालक के पौधे एक समान हरे होते हैं। इसके पत्ते मुलायम और 5 से 20 दिन के अंतराल पर कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसकी 6 से 7 कटाई की जा सकती है। पालक की यह उन्नत किस्म अधिक पैदावार देती है और ठंड के मौसम में लगभग ढाई महीने बाद बीज व डंठल आते हैं।

पूसा हरित- पालक की यह उन्नत किस्म पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त है और यहां इसे पूरे साल उगाया जा सकता है। इसके पौधे ऊपर की तरफ बढ़ते हैं और पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है। इसकी पत्तियां बड़े आकार की होती है। इस किस्म की ख़ासियत यह है कि इसे कई तरह की जलवायु में उगाया जा सकता है और अम्लीय मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है।
पूसा ज्योति- यह पालक की एक अन्य उन्नत किस्म है, जिसकी पत्तियां बहुत मुलायम और बिना रेशे वाली होती है। इस किस्म के पौधे जल्दी बढ़ते हैं और पत्ते कटाई के लिए जल्दी-तैयार हो जाते हैं, जिससे फसल अधिक प्राप्त होती है।
जोबनेर ग्रीन- इस किस्म की ख़ासियत यह है कि इसे अम्लीय मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। इस किस्म के पालक के सभी पत्ते एक समान हरे, मोटे, मुलायम और रसीले होते हैं। इसकी पत्तियां पकाने पर आसानी से गल जाती है।
हिसार सलेक्शन-23– इसकी पत्तियां बड़ी, गहरे हरे रंग की मोटी, रसीली और मुलायम होती हैं। यह एक कम समय में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी पहली कटाई बुआई के 30 दिनों बाद शुरू की जा सकती है और 6 से 8 कटाइयां 15 दिनों के अंतर पर आसानी से की जा सकती है।

पालक की खेती के लिए कैसे करें खेत तैयार?
पालक की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से 2-3 बार जुताई कर लेनी चाहिए। इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी। जुताई के लिए हैरो या कल्टीवेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। जुताई के समय ही खेत से खरपतवार भी निकाल देने चाहिए।
खेत में पाटा लगाने से पहले प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन की दर से गोबर की सड़ी खाद व 1 क्विंटल नीम की खली या नीम की पत्तियों से तैयार की गई खाद को खेत में डालना चाहिए। खेत को अच्छी तरह से तैयार करके क्यारियां बना लेनी चाहिए।
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कैसे करें बुवाई?
पालक की उन्नत खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 30 किलो बीज की ज़रूरत होगी। हालांकि, छिड़काव विधि से बुवाई करने पर 40 से 45 किलो बीज चाहिए। बुवाई से पहले बीजों को बाविस्टिन या कैप्टान 2 ग्राम प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपचारित कर लें। मैदानी इलाकों में देसी पालक की खेती के लिए जून के पहले हफ़्ते से लेकर नवंबर के अंतिम हफ़्ते तक बुवाई की जा सकती है।
जबकि विलायती पालक की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर तक की जा सकती है। पहाड़ी इलाकों में देसी पालक मार्च के मध्य से लेकर मई के अंतिम हफ़्ते तक बोया जा सकता है, जबकि विलायती पालक की बुवाई अगस्त के दूसरे हफ़्ते में करना उचित होता है। लाइन/कतार विधि से बुवाई करने पर कतारों के बीच 25 से 30 सेंटीमीटर की दूरी और पौधे से पौधे के बीच 7-10 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए। खेत तैयार करते समय वर्मीकम्पोस्ट और गोबर की सड़ी हुई खाद मिलाएं।
उन्नत तरीके से पालक की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 100-125 क्विंटल फसल प्राप्त की जा सकती है। अगर बीज उत्पादनके लिए खेती कर रहे हैं, तो प्रति हेक्टेयर 10-17 क्विंटल बीज प्राप्त किया जा सकता है। बुवाई के 20-25 दिन के बाद पालक की पहली कटाई की जा सकती हैं। उसके बाद फिर 10 से 15 दिन के अंतराल पर 6-7 कटाई कर सकते हैं।
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