मशरूम की मांग शहरी क्षेत्रों में ज़्यादा है। बड़े-बड़े होटलों में ख़ासतौर पर मशरूम के व्यंजन बनते हैं। मशरूम भले ही विदेशी सब्ज़ी हो, लेकिन पिछले कुछ साल में यह भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय हो चुकी है। करीब एक दशक में इसके उत्पादन में भी काफ़ी वृद्धि हुई है। फिलहाल हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना में मुख्य रूप से व्यापारिक स्तर पर मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) की जाती है। मशरूम की मांग बढ़ रही है, ऐसे में इसकी खेती फ़ायदे का सौदा साबित हो सकती है। इस बात को समझते हुए बिहार के दरभंगा ज़िले की प्रतिभा झा ने भी इसे उगाने का फैसला किया और अब वह इससे अच्छी-खासी कमाई करने के साथ ही दूसरों को भी ट्रेनिंग दे रही हैं।
होममेकर से बनीं सफल महिला किसान
दरभंगा ज़िले की प्रतिभा झा एक किसान परिवार से हैं और उनके पति खेती के साथ, पशुपालन, मछलीपालन और वर्मीकंपोस्ट बनाने का काम करते हैं। 12वीं तक पढ़ीं प्रतिभा घर के काम के साथ ही पति को उनके हर काम में मदद करती थीं, लेकिन वह इतने से संतुष्ट नहीं थी। वह कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिससे परिवार व समाज की आर्थिक मदद हो सके। प्रतिभा झा ने मशरूम की खेती के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। उन्होंने ATMA दरभंगा के ज़रिए समस्तीपुर स्थित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय से 2 से 3 दिन की ट्रेनिंग ली। इसके अलावा, ATMA संस्था के सहयोग से उन्हें विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों और किसान मेलों में जाने का अवसर मिला, जिससे जानकारी के साथ ही उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा।

ऐसे शुरू की मशरूम की खेती
ट्रेनिंग और विभिन्न स्रोतों से जानकारी जुटाने के बाद अक्टूबर 2016 में उन्होंने सिर्फ़ 300 रुपये से मशरूम की खेती की शुरुआत की। अब वह 3 किस्म की मशरूम की खेती कर रही हैं, जिसमें ऑयस्टर, बटन और मिल्की मशरूम शामिल हैं। वह पूरे साल मशरूम का उत्पादन करती हैं और रोज़ाना 2 से 3 मज़दूर इस काम में लगे रहते हैं। इससे दिहाड़ी मज़दूरों को भी आर्थिक मदद मिल जाती है।
मशरूम से बनाती हैं ढेरों चीज़ें
प्रतिभा न सिर्फ़ मशरूम की खेती तक सीमित हैं, बल्कि उन्होंने मशरूम से 31 व्यंजन बनाना भी सीख लिया है। वह अदौरी (बड़ी), पापड़, मशरूम सत्तू, मशरूम बेसन, पेड़ा, गुलाब जामुन, मशरूम की जलेबी जैसी कई चीज़ें बनाती हैं।

तैयार करती हैं बीज, कम दरों में किसानों को हैं बेचती
प्रतिभा प्रति बैच में मशरूम के लगभग 1000 बैग तैयार करती हैं। हर दिन 10 किलो मशरूम की फसल प्राप्त करती हैं। वह 100 से 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से इसे बेचती हैं। इसके अलावा, वो मशरूम के स्पॉन यानी बीज का उत्पादन भी करती हैं, जिसे वो किसानों को बेचती हैं।
ख़ास बात यह है कि वह अपने उत्पाद बाज़ार में जाकर नहीं, बल्कि घर से ही खुदरा मूल्य पर बेचती हैं। जब उत्पादन अधिक और बिक्री कम होती हैं तो वह मशरूम को सुखाकर रखती हैं। मशरूम की खेती ने प्रतिभा को आत्मनिर्भर बनाया है। वह प्रतिमाह 30 हज़ार रुपये की कमाई कर रही हैं। उनका लक्ष्य आने वाले समय में इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने का है। अपने इलाके में मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं। 2017 में मशरूम दिवस के मौके पर उन्हें डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में ‘बाबू जगजीवन राम पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। बिहार राज्य स्थापना दिवस समारोह के दौरान उन्हें 2018 में राज्य स्तरीय ‘सर्वश्रेष्ठ मशरूम किसान पुरस्कार’ से भी नवाज़ा गया।
महिलाओं को दे रहीं आत्मनिर्भर बनने की सीख
“मान लो तो हार है, ठान लो तो जीत है”, अपने इस कथन के साथ वह महिलाओं को आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही हैं। उन्होंने कई महिलाओं को मशरूम की उत्पादन तकनीक सीखाकर छोटी इकाई खोलने में भी मदद की है।
ये भी पढ़ें: मशरूम की खेती के मशहूर ट्रेनर तोषण कुमार सिन्हा से मिलिए और जानिये उनकी टिप्स, ट्रेनिंग भी देते हैं बिल्कुल मुफ़्त
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- India’s Dairy Revolution: NDDB में महाशक्तिशाली सांड़ ‘वृषभ’ का जन्म, सुपर बुल और Genomic Selection से तकनीक का चमत्कारराष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) ने हाल ही में देश के पहले ‘Super Bull’ यानी महाशक्तिशाली सांड़ ‘वृषभ’ के जन्म की घोषणा की है। ये कोई आम सांड़ नहीं है, बल्कि अत्याधुनिक जीनोमिक चयन (Genomic Selection) और इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन–एंब्रियो ट्रांसफर (IVF-ET) तकनीक का चमत्कार है।
- प्राकृतिक खेती से गांव में नई पहचान बना रहे हैं हिमाचल के रहने वाले रोहित सापड़ियाप्राकृतिक खेती अपनाकर रोहित सापड़िया ने कैसे अपनी ज़िंदगी बदली, ख़र्च कम किया और दूसरों को भी खेती की ओर प्रेरित किया, जानिए।
- Rabi Abhiyan 2025: ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ के संकल्प के साथ तैयार होगा New Action Planदिल्ली में 2 दिवसीय ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-रबी अभियान 2025’ (Two-day ‘National Agriculture Conference – Rabi Abhiyan 2025’) का आगाज़ हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में हो रहे इस सम्मेलन का उद्देश्य न सिर्फ आगामी रबी सीज़न 2025-26 के उत्पादन लक्ष्यों को तय करना है, बल्कि Integrated Strategy के ज़रिए देश के किसानों की आमदनी बढ़ाना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए स्ट्रैटजी बनानी है।
- खुशबू और सफलता की नई कहानी: सीमैप की ‘Kharif Mint Technology’ ने बदल दी मेंथा की खेती का नक्शाCentral Institute of Medicinal and Aromatic Plants (सीमैप – CIMAP), लखनऊ के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी डेवलप की है जो मेंथा की खेती के पुराने नियमों को ही बदल देती है।
- AI-Based Weather Forecasting: AI की बदौलत बारिश की हर बूंद का अंदाजा! अब नहीं होगी मेहनत बेकार, मिलेगा अगले 4 हफ्ते का पूरा प्लानभारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रोग्राम शुरू किया है- एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान (AI-based weather forecasting)। ये सिर्फ एक टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की जिंदगी बदलने का एक ज़रिया है।
- रजीना देवी की सफलता की कहानी प्राकृतिक खेती से मिली नई राहरजीना देवी की प्रेरणादायक सफलता कहानी, जहां प्राकृतिक खेती ने कम लागत और अधिक लाभ से उन्हें नई पहचान दिलाई।
- European Union ने भारतीय मत्स्य निर्यात के लिए खोले नए द्वार, 102 और फर्मों को मिली मंज़ूरीयूरोपीय संघ (European Union) दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सख्त मानकों वाले आयात बाजारों में से एक है। उसके खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के मानक (Food safety and quality standards) काफी हाई हैं। ऐसे में, 102 नई यूनिट्स का मंजूरी पाना इस बात का प्रमाण है कि India’s export control mechanism (एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल – EIC) कितना मजबूत और भरोसेमंद है।
- Mushroom Production Training से सहरसा की महिलाएं लिख रहीं आत्मनिर्भरता की कहानी, दे रहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूतीबिहार के सहरसा ज़िले (Saharsa district of Bihar) अगवानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में आयोजित चार दिवसीय मशरूम प्रोडक्शन ट्रेनिंग (Mushroom production training) ने न सिर्फ महिलाओं को एक नई राह दिखाई है, बल्कि उन्हें ‘आत्मनिर्भर भारत’ की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है।
- हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए विकसित की गेहूं की नई क़िस्म WH 1309गेहूं की नई क़िस्म WH 1309 पछेती बिजाई के लिए वरदान है, अधिक पैदावार और रोगरोधी गुणों के साथ किसानों को देगा स्थिर लाभ।
- Role of Technology in Agriculture: कृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका से बदल रहा है भारतीय खेती का भविष्यकृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका किसानों की आय, पैदावार और आत्मनिर्भरता बढ़ा रही है। जिससे भारत में खेती-किसानी की तस्वीर बदल रही है।
- Rangeen Machhli App: ICAR का ‘रंगीन मछली’ ऐप जो दे रहा सजावटी मत्स्य पालन और आजीविका के अवसरों को बढ़ावाRangeen Machhli App सिर्फ एक साधारण जानकारी देने वाला टूल नहीं है, बल्कि ये मछली पालन के शौकीनों (hobbyists), किसानों और बिजनेसमैन के लिए एक पूरी गाइड है। आइए जानते हैं इसकी ख़ास बातें।
- सफ़ेद चादर-सा काशी फूल: झारखंड की संस्कृति और जीवन से जुड़ी अनोखी पहचानझारखंड की संस्कृति और जीवन से जुड़ा काशी फूल शरद ऋतु का प्रतीक है। यह फूल आजीविका और धार्मिक महत्व दोनों में अहम भूमिका निभाता है।
- National Gopal Ratna Award 2025: देश के डेयरी किसानों और तकनीशियनों का सर्वोच्च सम्मान, जानिए कैसे करें अप्लाईराष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2025 (National Gopal Ratna Award 2025) देश के डेयरी किसानों, सहकारी समितियों और तकनीशियनों (Dairy farmers, co-operatives and technicians) के लिए एक शानदार अवसर है। ये न केवल एक Prestigious honors और Financial Aid प्रदान करता है, बल्कि देश के Dairy Sector में वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीकों को अपनाने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन भी है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के 5 साल, क्या कहते हैं मछली पालन से जुड़े ताज़ा आंकड़े?प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: ब्लू इकोनॉमी की ताकत, तकनीक और रोजगार से बदल रहा है भारत का मत्स्य क्षेत्र।
- सरस आजीविका मेला 2025: Vocal for Local और ग्रामीण आजीविका का संगम 22 सितंबर तक22 सितंबर तक दिल्ली में आयोजित सरस आजीविका मेला 2025, लखपति दीदियों और ग्रामीण महिलाओं के उत्पाद, संस्कृति, वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत का उत्सव है।
- गोबर से कागज़ और राखियां बनाकर जयपुर के भीमराज शर्मा ने शुरू किया अनोखा एग्री बिज़नेसगोबर से कागज़ और राखियां बनाकर एग्री बिज़नेस में जयपुर के भीमराज शर्मा ने पर्यावरण हितैषी नवाचार से नई पहचान बनाई।
- जामताड़ा ज़िले में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से पशुपालकों को आत्मनिर्भरता की राहमुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से जामताड़ा के किसानों को मिला चूज़ा वितरण का लाभ, पशुपालन से आत्मनिर्भरता की नई राह।
- अडबंधा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम से किसानों की आमदनी बढ़ी, मछली पालन बना आजीविका का नया साधनमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम से अडबंधा में बने कृषि तालाब से सिंचाई और मछली पालन से किसानों की आय बढ़ी।
- कुलवंत राज की प्राकृतिक खेती की राह ने उन्हें बना दिया कृषि कर्मण पुरस्कार विजेताकुलवंत राज और उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी ने प्राकृतिक खेती से आय बढ़ाई, स्वस्थ फ़सलें उगाईं और कई किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।
- Agri Equipments Subsidy: रबी फसल की बुवाई से पहले किसानों को कृषि यंत्र अनुदानरबी फसल की बुवाई से पहले इस राज्य के किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान मिल रहा है। इसमें हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, बेलर और कई अन्य यंत्र शामिल हैं।
Mushroom 🍄 ki kheti par aapne bahut achcha bataya hua hai aur aapke dwara di gyi jankari de logo ka bahut fayda ho sakta h
क्या बता सकते h ki koi mushroom ki खेती करना चाहे तो वह साल में कितना रूपया 1 बीघे में कमा लेगा