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बिहार की ये महिला पराली से बना रही Best Out Of Waste, कृषि कचरे का किया क्रिएटिव इस्तेमाल

गाँव की कई महिलाओं को अपने साथ जोड़ा

बिहार की रहने वाली सुनीता कुमारी ने जब अपने इस क्रिएटिव आइडिया पर काम करना शुरू किया तो कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। पर कहते हैं न जहां चाह है वहां राह है, उन्होंने कर दिखाया और अपने इस काम के साथ कई महिलाओं को जोड़ा।

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पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं से सरकारें कई साल से चिंतित हैं। इस समस्या के हल के लिए कई कदम भी उठाएं जाते रहे हैं। राजधानी दिल्ली में पराली जलाने को प्रदूषण की समस्या के लिए जिम्मेवार माना जाता है। धान की फसल कटाई में उपज का ऊपरी हिस्सा तो कट जाता है, लेकिन उसकी जड़े ज़मीन में ही रहती हैं। किसानों के लिए ये कृषि अवशेष होता है यानी उनके किसी काम का नहीं होता। इन अवशेषों को ही पराली कहा जाता है।

किसानों को अगली फसल बोने के लिए खेत खाली करने होते हैं तो वो सूखी पराली को आग लगा देते हैं। पराली जलाने को किसान अपनी मजबूरी बताते हैं। इसके कई विकल्पों को लेकर सरकार काम भी कर रही है। राज्य स्तर पर भी कुछ लोग इस समस्या से निदान के लिए कदम उठा रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं बिहार की रहने वाली सुनीता कुमारी। सुनीता ने बेकार मानी जाने वाली धान की पुआल यानी पराली का बेहतरीन और रचनात्मक इस्तेमाल किया है। 

पराली के इस्तेमाल best out of waste from paddy straw
तस्वीर साभार: tribuneindia

लोगों ने उड़ाया मजाक

जब आप कुछ लीक से हटकर करते हैं तो ज़ाहिर सी बात है लोग आपका मज़ाक उड़ाते हैं। सुनीता के साथ भी ऐसा ही हुआ। 36 वर्षीय सुनीता ग्रेजुएट हैं और उनके पास 0.2 हेक्टेयर खेती लायक ज़मीन है। शुरूआत में जब उन्होंने धान के भूसे से कलात्मक चीज़ें बनाने की सोची तो लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि वो अपना समय बर्बाद कर रही हैं। मगर इससे सुनीता के हौसले कम नहीं हुए और उन्होंने अपना काम जारी रखा। आज आलम ये है कि उन्हें कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।

दीवारों को सजा रहीं

कोई ऐसी चीज़ जिसे आप बेकार समझकर फेंक देते हैं, मगर कोई उसी बेकार चीज़ से खूबसूरत डेकोरेटिव पीस बना दें, तो यकीनन आपको आश्चर्य होगा न! ऐसा ही कुछ किया है बिहार के जहानाबाद ज़िले के तेहटा गांव की सुनीता कुमारी ने। सुनीता अपनी क्रिएटिविटी और फाइन आर्ट की कला के ज़रिए पराली से दीवार पर सजाने वाले खूबसूरत वॉल डेकोरेटिव आइटम्स (Wall Decorative Items) और सिनरी (Scenery) बनाती हैं। 

कैसे बनाती हैं Decorative Items?

सबसे पहले धान के भूसे को अच्छे से दबाकर चौड़ा किया जाता है। फिर ढांचे पर बनाई गई पिक्चर पर धान का भूसा चिपकाया जाता है और फिर आकृति के हिसाब से उसे काट लिया जाता है। इस तरह से धान के भूसे से वॉल हैंगिंग सीनरी तैयार की जाती हैं। 

पराली के इस्तेमाल best out of waste from paddy straw
तस्वीर साभार: agricoop

महिलाओं के लिए फ़ायदेमंद

ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के लिए इस तरह का काम बहुत फ़ायदेमंद और उन्हें रोज़गार दिलाने वाला हो सकता है। चूंकि, धान का भूसा आसानी से उपलब्ध होता है, महिलाएं इससे कलात्मक चीज़ें बनाकर अच्छी कमाई कर सकती हैं। सुनीता जो चीज़ें बनाती हैं, उसे बनाने में बहुत कम लागत आती है। इसलिए ग्रामिण महिलाएं ग्रामिण कला के रूप में इसे अपना सकती हैं।

कितनी हो जाती है कमाई? 

8×10 इंच का एक डेकोरेटिव फ्रेम बनाने में 150 रुपये का खर्च आता है, जिसे वो 300 रुपये में बेचती हैं। 12×18 इंच का डेकोरेटिव आइटम तैयार करने में 600 रुपये की लागत आती है, जिसे बाज़ार में 1400 रूपये में बेचा जाता है। इसके अलावा,  18×24 इंच वाले फ्रेम की लागत 1200 पड़ती है, जिसे 2500 रूपये में बेचा जाता है।

पराली के इस्तेमाल best out of waste from paddy straw
तस्वीर साभार: agricoop

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पर्यावरण के लिए फायदेमंद

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि धान के भूसे के इस तरह इस्तेमाल होने से महिलाओं को कमाई का अवसर तो मिलेगा ही, साथ ही इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। धान के भूसे को जलाने के बजाय कई अन्य चीज़ों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे-

–     मशरूम की खेती के लिए भूसा तैयार करने में धान पुआल का इस्तेमाल होता है। 

–     जानकारों के मुताबिक, धान पुआल को जलाने की बजाय इसका इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में किया जा सकता है।

–     कंपोस्ट खाद बनाकर भी धान के भूसे का सदुपयोग किया जा सकता है।

–     बिजली घरों में ईंधन के रूप में भी इसका उपयोग हो सकता है।

–     कृषि जानकारों के मुताबिक, पुआल को बिना जलाए खेत में छोड़ देने से ये खेत की नमी को बनाए रखता है। पुआल सड़कर खाद बन जाती है, जिससे मिट्टी और अधिक उपजाऊ बन जाती है।

यदि आप भी पर्यावरण बचाने के साथ ही कुछ अतिरिक्त कमाई करना चाहते हैं तो पराली को जलाने के बजाय उसका सदुपयोग करें।

ये भी पढ़ें: किसानों को नहीं पड़ेगी पराली जलाने की ज़रूरत, जानिए क्या हैं तरीके और कैसे पराली है मिट्टी के लिए वरदान

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