भारत में अंगूर लगभग 40,000 हेक्टेयर में उगाया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्य शामिल हैं। कर्नाटक के बैंगलोर ग्रामीण ज़िले के होसहुद्या गाँव के रहने वाले एच. मुरलीधर अंगूर की खेती में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल और सही किस्मों के चुनाव से अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। उनके पास कुल 10 एकड़ खेती योग्य ज़मीन है। कृषि परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुरलीधर पहले पारंपरिक फसलों समेत सब्जियों और अंगूर की पुरानी किस्म अनाब-ए-शाही की खेती किया करते थे। मुरलीधर अपनी आय से संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लागत के मुकाबले वाज़िब मुनाफ़ा नहीं मिल पाता था। इसको लेकर कई कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों से उन्होंने संपर्क किया और जानकारी जुटानी शुरू की। कृषि वैज्ञानिकों के परामर्श पर फिर उन्होंने उन्नत बागवानी फसलों जैसे विदेशी अंगूर और अनार की किस्मों की खेती करनी शुरू की। Kisan of India से बातचीत में उन्होंने बताया कि शुरू में दिक्कतें ज़रूर आईं, लेकिन वो अपने काम में लगे रहे। वैज्ञानिकों और कृषि संस्थानों का उन्हें पूरे सहयोग मिला। उन्होंने बातचीत में अपनी मार्केटिंग रणनीति को लेकर भी बताया।
अंगूर की इन किस्मों का किया उत्पादन
2012 से 2013 के दौर में उन्होंने अपनी ढाई एकड़ की ज़मीन पर अंगूर की विदेशी किस्मों जैसे करीब 70 गुंठा क्षेत्र में अंगूर की किस्म शरद सीडलेस (Sharad Seedless), 20 गुंठा में रेड ग्लोब किस्म (Red Globe), 10 गुंठा में सोनाका (Sonaka) और एक एकड़ में बैंगलोर ब्लू किस्म (Bangalore Blue) लगाईं। पंडाल तकनीक के ज़रिए उन्होंने अंगूर की इन किस्मों की खेती की। पंडाल तकनीक (Pandal System) में कंक्रीट के खंभों के सहारे लगी तारों के जाल पर बेलों को फैलाया जाता है। उन्हें अंगूर की अच्छी फसल तो मिली, लेकिन आय में ख़ास सुधार नहीं हुआ। प्रतिकूल मौसम की वजह से बाज़ार में कीमतें कम थीं।

‘Nandi grapes’ के नाम से बनाया ब्रांड
मुरलीधर ने फिर बेंगलुरू स्थित Department of Agriculture, Marketing and Cooperation, गांधी कृषि विज्ञान केंद्र (GKVK) से संपर्क किया। यहां के वैज्ञानिक डॉ. जयाराम ने उन्हें अंगूरों को ब्रांड के तहत बेचने की सलाह दी। इस सलाह पर अमल करते हुए उन्होंने ‘Nandi grapes’ के नाम से अपना ब्रांड बनाया। ब्रांड का नाम डॉ. जयाराम ने ही उन्हें सुझाया, क्योंकि मुरलीधर का खेत नंदी हिल्स के नज़दीक है।

साल दर साल बढ़ने लगा मुनाफ़ा
उन्होंने GKVK के मुख्य परिसर से ही अपने ब्रांड के अंगूर बेचने शुरू किए। पहले दिन खुदरा बाज़ार से कम की कीमत पर 30 रुपये प्रति किलो की दर से अंगूर बिके। उनके अंगूर की गुणवत्ता इतनी अच्छी थी ग्राहक बनते चले गए। शरद सीडलेस किस्म 70 रुपये प्रति किलो और रेड ग्लोब किस्म 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकने लगी।
अंगूर की मांग बढ़ती देख उन्होंने 2017 में कुल 40 टन अंगूर का उत्पादन किया। 2018 में 3.5 एकड़ की कुल भूमि से 45 टन अंगूर का उत्पादन हुआ। 2017 में मुरलीधर ने डायरेक्ट मार्केटिंग से 22 लाख रुपये की कमाई की, जिसमें लागत का पैसा 6.5 से 7 लाख के बीच रहा। इसी तरह 2018 में उन्होंने 26 लाख की आमदनी की। वैज्ञानिकों ने उन्हें बेंगलुरु के महत्वपूर्ण केंद्रों जैसे एमएस बिल्डिंग, मार्केटिंग बोर्ड और आईटी कंपनियों में मार्केटिंग करने की सलाह दी।

अनार की खेती भी की शुरू
अंगूर के अलावा, 2016 में मुरलीधर ने 2 एकड़ क्षेत्र में अनार की खेती शुरू की। उन्होंने अनार की भगवा किस्म के हज़ार पौधे लगाए। 2017 में उन्हें इससे 12 टन की उपज मिली, जिससे उन्हें 6 लाख रुपये की आमदनी हुई। मुरलीधर की मार्केटिंग स्ट्रैटिजी है कि वो बेंगलुरू के अलग-अलग स्थानों पर खुदरा मूल्य से 30-40 रुपये कम दाम पर अपनी उपज बेचते हैं। मुरलीधर ने बताया कि वो जिस दाम पर ग्राहकों को उपज देते हैं वो किफ़ायती है।
तकनीक को खेती से जोड़ा
मुरलीधर अपने खेत में पॉवर टिलर का उपयोग कर जुताई करते हैं। छिड़काव और खेती से जुड़े दूसरे कामों के लिए मशीनों का इस्तेमाल करते हैं। ड्रिप सिंचाई तकनीक से खेती करते हैं। उर्वरकों को सिंचाई जल में मिलाकर उपकरण की सहायता से ड्रिपरों द्वारा सीधे पौधों तक पंहुचाया जाता है।
अनार की खेती में वो नियमित रूप से मिट्टी से पैदा होने वाले विल्ट और बैक्टीरियल ब्लाइट के प्रबंधन के लिए अर्का माइक्रोबियल कंसोर्टियम (Arka Microbial Consortium) का छिड़काव करते हैं। इसके अलावा, अपनी फसलों पर ट्राइकोडर्मा, अर्का माइक्रोबियल कंसोर्टियम और जैव उर्वरक का भी इस्तेमाल करते हैं। उनके खेत में एक वर्मी-कम्पोस्ट यूनिट और 6 लाख लीटर पानी की क्षमता वाला पॉन्ड बना हुआ है। वर्ष जल सरंक्षण की तमाम तकनीकें भी उन्होंने अपनाई हुई हैं।वैज्ञानिक और आधुनिक खेती में उनके लगातार प्रयास और प्रगति के कारण उन्हें कई बागलकोट स्थित बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय से 2016-17 में ज़िले के सर्वश्रेष्ठ बागवानी किसान का पुरस्कार मिला।

अंगूर की किस्मों की ख़ासियत
रेड ग्लोब किस्म: इसके फल दिखने में एकदम गोल और वजन में 10 से 16 ग्राम होते हैं। जामुन का रंग हल्के गुलाबी से गहरे गुलाबी या भूरे रंग तक होता है। रंग तापमान पर निर्भर करता है। भंडारण के दौरान, गुच्छे काले हो जाते हैं। विविधता की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए अच्छी कृषि तकनीक अपनाई जाए तो जामुन का आकार 40 मिमी तक पहुंच सकता है और वजन 20 ग्राम से अधिक हो सकता है।
शरद सीडलेस: अंगूर की ये किस्म काले और बैंगनी रंग की होती है। शरद बीजरहित (Sharad Seedless) अंगूर विटामिन ए, सी और बी6 से युक्त होते हैं। शरद बीजरहित अंगूर की खेती के लिए दिसंबर और फरवरी के महीने सबसे अच्छे होते हैं. इसका स्वाद और पोषक गुणों के चलते इसकी विदेशी बाजार में मांग भी अच्छी है।
बैंगलोर ब्लू किस्म: इस किस्म का उपयोग जैम और जेली बनाने के लिए किया जाता है। इसके पौधों की पत्तिया आकार में छोटी, पतली और फल देखने में गहरे बैंगनी रंग और अंडाकार होते हैं। इसमें तकरीबन 16 से 18 फ़ीसदी सुगंधित TSS की मात्रा पाई जाती है। इसका इस्तेमाल जूस और शराब बनाने में भी किया जाता है।
ये भी पढ़ें- बागवानी प्रबंधन: कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी.पी. शाही से जानिए फलों के फटने और गिरने की समस्या से कैसे पाएं निजात
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Agri Equipments Subsidy: रबी फसल की बुवाई से पहले किसानों को कृषि यंत्र अनुदानरबी फसल की बुवाई से पहले इस राज्य के किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान मिल रहा है। इसमें हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, बेलर और कई अन्य यंत्र शामिल हैं।
- Pantnagar University के वैज्ञानिकों ने बनाया जीवाणुरोधी प्लास्टिक, अनाज और सब्ज़ियों की पैकिंग अब होगी और सुरक्षितGB Pant University Research: 10 साल की मेहनत से वैज्ञानिकों ने एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक विकसित किया, जो स्वास्थ्य व खाद्य क्षेत्र के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।
- Natural Farming: प्राकृतिक खेती से मिली रेणू बाला को पहचान बनी क्षेत्र की मिसालमहिला किसान रेणू बाला ने प्राकृतिक खेती से कम लागत और अधिक मुनाफ़ा पाया उनकी कहानी किसानों के लिए प्रेरणा बनी।
- विदेशी सब्ज़ियों की खेती से कैसे हो सकती है अच्छी कमाई, जानिए सोनीपत के प्रगतिशील किसान राजेश सेविदेशी सब्ज़ियों की खेती कर हरियाणा के किसान राजेश ने वैज्ञानिक तरीके से लाखों की कमाई की, जो किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
- श्री विधि तकनीक से साहिबगंज में धानखेती को मिला नया आयाम, किसानों की आमदनी में हो रही बढ़ोतरीसाहिबगंज के किसान श्री विधि तकनीक से धानखेती कर रहे हैं। इस विधि से कम लागत, अधिक उत्पादन और गुणवत्तापूर्ण फ़सल मिल रही है।
- एटा में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से खेती में नया बदलाव, कृषि सखी कर रहीं किसानों को प्रशिक्षितएटा में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से खेती में नया बदलाव, कृषि सखी किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने का प्रशिक्षण दे रहीं।
- Pashu Sakhi Yojana: पशु सखी योजना गांव की महिलाओं के लिए बन रही आत्मनिर्भरता की नई मिसालपशु सखी योजना से गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। यह योजना ग्रामीण जीवन में आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का नया मार्ग दिखा रही है।
- हिमाचल की पहाड़ियों में प्राकृतिक खेती से रच रहे इतिहास प्रगतिशील किसान सुखजिंदर सिंहप्राकृतिक खेती से हिमाचल प्रदेश के बलदोआ गांव के किसान सुखजिंदर सिंह ने कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया और किसानों के लिए प्रेरणा बने।
- कांगो में उगे IRRI के चार नए चावल, भारत के किसानों के लिए क्यों हैं मौके की बात? जानें पूरी डीटेलअंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (International Rice Research Institute) यानि IRRI ने वहां Food Security बढ़ाने और किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए चार नई चावल की किस्में (Four new rice varieties) पेश की हैं। टेंगेटेंगे, किरेरा बाना, मुबुसी और रुटेटे (Tengetenga, Kirera Bana, Mbusi and Rutete)।
- Milestone In Veterinary History: भारत में पशुओं के लिए Blood Donation और Blood Banks पर पहला राष्ट्रीय दिशा-निर्देश जारीदेश में पशु चिकित्सा इतिहास (Veterinary history) में एक ऐतिहासिक और लाइफ सेविंग पहल की शुरुआत हुई है। ‘पशुओं में रक्ताधान और रक्त बैंकों के लिए दिशा-निर्देश और मानक संचालन प्रक्रियाएं यानि SOPs जारी किया है।
- शोधकर्ता आकृति गुप्ता ने खोजा रोहू मछली को बीमारियों से बचाने का नया तरीक़ाशोधार्थी आकृति गुप्ता ने रोहू मछली पालन के लिए बीमारियों से बचाने का नया तरीक़ा खोजा, जिससे मछली पालन और सुरक्षित होगा।
- बलवंत सिंह की मेहनत रंग लाई — जंगल मॉडल बना प्राकृतिक खेती से कमाई का ज़रियाबलवंत सिंह ने प्राकृतिक खेती अपनाकर कम लागत में अधिक लाभ कमाया और आसपास के किसानों को भी इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया।
- Jute Farming in Jharkhand: जूट की खेती से साहिबगंज के किसान बन रहे संपन्न, लिख रहे आत्मनिर्भरता की सुनहरी कहानीकेन्द्र सरकार की ओर से नकदी फसलों को दिए जा रहे बढ़ावे का सीधा लाभ साहिबगंज ज़िले के किसानों को मिल रहा है, जहां जूट (Jute) की खेती ने स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि के नए दरवाज़े खोल दिए हैं।
- Biofach India 2025: शुरू हुआ जैविक क्रांति का महाकुंभ, नॉर्थ-ईस्ट के किसानों के Organic Products से दुनिया होगी रूबरूBiofach India 2025 के 17वें एडिशन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) की ओर से North Eastern Region के जैविक उत्पादों की एक wide range प्रदर्शित की जाएगी।
- New World Screwworm: क्या है न्यू वर्ल्ड स्क्रूवॉर्म? जानिए भारत के 30 करोड़ पशुओं पर क्यों है मंडराता संकट!न्यू वर्ल्ड स्क्रूवॉर्म (New World Screwworm) कोई साधारण कीट नहीं, बल्कि एक ख़तरनाक परजीवी है जो जीवित पशुओं के शरीर को अंदर से खा जाता है, उन्हें असहनीय पीड़ा देता है और फिर मौत के घाट उतार देता है। अमेरिकी सरकार और वैज्ञानिक (US government and scientists)इसके प्रसार को रोकने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं
- Gerbera Flower Farming: लोहरदगा के किसान शंभू सिंह की आत्मनिर्भरता की नई कहानी, रोज़गार देकर पलायन रोकने में अहम भूमिकालोहरदगा, झारखंड (Lohardaga, Jharkhand) के किसान अब जरबेरा फूल की खेती (Gerbera Flower Farming) कर न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति मज़बूत कर रहे हैं, बल्कि गांव के लोगों को रोज़गार देकर पलायन रोकने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
- Nurture.farm किसानों-विक्रेताओं को डिजिटल सपोर्ट देने वाला ऐप, जो बना रहा है खेती को एक स्मार्ट मिशनNurture.farm के रिटेल हेड अंकित लाढ़ा ने बताया कैसे Nurture.retail एग्रीकल्चर को डिजिटल बना कर किसानों को स्मार्ट बना रहा है।
- फ्री बीज से लेकर फसल बीमा तक! योगी सरकार दे रही किसानों को दोहरा लाभ, 31 अगस्त है लास्ट डेटउत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक साथ दो बड़ी सौगातें दी जा रही हैं। एक ओर जहां किसान फ्री में तिलहन बीज मिनीकिट (Oilseed Seed Minikit) पा सकते हैं। वहीं दूसरी ओर Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY) के तहत खरीफ फसलों का बीमा कराकर प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा (Protection from natural calamities) का फायदा उठा सकते हैं।
- WDRA: अब किसानों को नहीं उठाना पड़ेगा भारी नुकसान, उपज का सही दाम दिलाएगी ये डिजिटल पर्चीअब मंडी का ये एकछत्र राज ख़त्म हो रहा है? किसानों के लिए एक ऐसा ऑप्शन मौजूद है जो न सिर्फ उन्हें उचित दाम दिलवाता है, बल्कि उन्हें ‘बेचने’ की जल्दबाजी से भी मुक्ति देता है। ये ऑप्शन है WDRA यानी वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehousing Development and Regulatory Authority)।
- प्राकृतिक खेती से महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं हिमाचल की श्रेष्ठा देवीश्रेष्ठा देवी की सफलता की कहानी बताती है कि प्राकृतिक खेती से ख़र्च घटाकर किसान अधिक मुनाफ़ा और सम्मान पा सकते हैं।