आज कल ज्यादातर व्यक्ति अपनी सेहत को लेकर ज़्यादा जागरूक हैं। उपभोक्ता अत्यधिक रसायनों के उपयोग से उगाई गई सब्जियों को खाना पसंद नहीं करते। यही कारण है कि देश में ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग का चलन ज़ोरों पर है। जैविक खेती के ज़रिए उगाई गई फसल न सिर्फ़ सेहत के लीहाज़ से अच्छी होती है, बल्कि किसान इससे अच्छी कमाई भी कर सकते हैं। ऑर्गैनिक सब्जियों की मांग अभी बाज़ार में काफ़ी बढ़ी हुई है। ऐसी ही ऑर्गैनिक सब्जियों का जिक्र हम इस लेख में करने वाले हैं, जो किसानों की आमदनी में कई गुना इज़ाफ़ा कर सकती हैं।
मुनाफ़े को कई गुना बढ़ा सकती हैं ये सब्जियां
पौष्टिक उत्पादों की खेती में हरी सब्जियां सबसे पहले आती हैं। कोरोना के कारण हरी सब्जियों के सेवन में वृद्धि हुई है। देश में उगाई जाने वाली प्रमुख हरे पत्तेदार सब्जियां मेथी, पालक और चौलाई है। ये स्वाद और स्वास्थ्य दोनों के लिहाज से बेहतर होती हैं। इनमें प्रोटीन, विटामिन, लौह तत्व, कैल्शियम समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। हरी-पत्तेदार सब्जियों में पोषण काफ़ी होता है और इनमें कैलोरी भी कम होती है।
अगर बात करें मेथी की तो हरी पत्तियों की इसकी पैदावार करीबन 70 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। पत्तीदार मेथी की सामान्य बाज़ार में कीमत 2000 से लेकर 2500 रुपये प्रति क्विंटल रहती है। वहीं इसकी अन्य उन्नत किस्मों को 3000 से 3500 रुपये तक प्रति क्विंटल तक बाज़ार में बेचा जा सकता है। उधर पालक भी ऐसी ही एक सब्जी है, जो आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। तीन से चार सप्ताह में ही इसकी फसल तैयार हो जाती है। इसके खेती कर किसान अच्छा मुनाफ प्राप्त कर सकते हैं। एक एकड़ में पालक से भी करीबन 40 हज़ार का मुनाफ़ा हो सकता है। हालांकि, मंडी में उतार-चढ़ाव के चलते इसका भाव कम ज़्यादा होता रहता है।
मुर्गी पालन में कम पूंजी में मोटी कमाई
ऐसे ही अंडे की भी बाजार में काफ़ी डिमांड है। भारत विश्व में अंडा उत्पादन में चौथे नंबर पर आता है। अंडे की बढ़ती मांग को देखते हुए मुर्गी पालन अच्छी कमाई वाला रोजगार का साधन बनता जा रहा है। देश की जीडीपी में दो पॉल्ट्री उद्योग की दो फ़ीसदी की हिस्सेदारी है। एक आँकड़ें के मुताबिक, देश में रोजाना 30 करोड़ की संख्या में अंडे का उत्पादन होता है।
1250 ग्राम वजन वाले चिकन का दाम 110 रुपये, 1400 ग्राम वजन वाले चिकन के दाम 85 रुपये, वहीं 900 ग्राम वजन तक का चिकन का दाम 65 रुपये किलो तक मिल जाता है। अंडे के दाम 400 रुपये प्रति सैंकड़ा के आसपास हैं। ऐसे में मुर्गी पालन कम पूंजी में मोटी कमाई का यह एक बेहतर रास्ता साबित हो रहा है।
बीन्स की खेती भी फ़ायदे का सौदा
इसी तरह से बीन्स की खेती भी अच्छी आमदनी का स्रोत बन सकती है। किसान सेम की फ़सल से प्रति हेक्टेयर 100 से 150 क्विटंल का उत्पादन कर सकते हैं। इसकी खेती से प्रति एकड़ करीबन 40 से 45 टन तक की पैदावार मिलती है। ऐसे में इसकी खेती से सिर्फ 6 से 7 महीने में ही प्रति हेक्टेयर से लगभग 15 लाख रुपये की कमाई की जा सकती है। इसके स्वास्थ्य लाभों की बात करें तो इसे मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद माना जाता है।
ब्रोकली की उन्नत किस्म से आमदनी में इज़ाफ़ा
वहीं ब्रोकली की बात करें तो होटल, रेस्टोरेंट, बड़े-बड़े मॉल में इस सब्जी की मांग बहुत रहती है। किसान इसकी खेती से 30 से 50 रुपये प्रति किलो या इससे भी ज़्यादा कमा सकते हैं। इसकी उन्नत तरीके से खेती करके अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। ब्रोकली की साधारण किस्मों से 75 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा उन्नत किस्मों से 120 से 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार की जा सकती है।
इस हरी सब्जी में लोहा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामीन ए और सी पाया जाता है, जो इस सब्जी को पौष्टिक बनाता है। इसके अलावा इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट भी होता है, जो बीमारी और कई तरह के बॉडी इंफेक्शन से लडऩे में सहायता करता है। यह कई बीमारियों से बचाने के साथ ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के भी खतरे को कम करता है।
एक एकड़ में करीब 60 हज़ार रुपये तक की कमाई
विदेशी बाज़ारों में चिया सीड्स को ‘सुपर फूड’ कहा जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। ऐसे में किसान चिया सीड्स की खेती करके भी अधिक लाभ कमा सकते हैं। इसकी खेती के लिए एक एकड़ के लिए करीबन 4 से 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है। इससे प्रति एकड़ 7 क्विंटल की पैदावार मिलती है। इसकी खेती तैयार होने में 90 से 120 दिन का वक़्त लगता है। पौध रोपण के 40 से 50 दिन के अंदर ही इसकी फसल में फूल आ जाते हैं।
चिया फसल से प्रति एकड़ 600 से 700 किलो की उपज प्राप्त हो जाती है। इसकी खेती में प्रति एकड़ में 30 हजार रुपये तक की लागत आती है। अगर 6 क्विंटल की भी खेती होती है तो यह करीब 90 हजार रुपये में बिक जाता है। ऐसे में किसान को एक एकड़ में करीब 60 हजार रुपये तक की कमाई होती है।
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