Groundnut Cultivation: इस महिला ने उन्नत तरीकों से की मूंगफली की खेती, इस किस्म से मिली अच्छी पैदावार

मूंगफली की खेती में कई बातों का ध्यान रखना ज़रूरी

उड़ीसा के गंजाम ज़िले की महिला किसान रश्मिता साहू उन्नत तरीके से मूंगफली की खेती कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने मूंगफली की उन्नत किस्म का चुनाव किया है। ये किस्म कई रोगों से रहित है और इसे रबी और खरीफ़ दोनों की सीज़न में लगाया जा सकता है।

दलहन और तिलहन के उत्पादन में अगर वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल किया जाए तो इससे किसानों को प्रति हेक्टेयर अधिक उपज प्राप्त होगी और मुनाफ़ा भी अच्छा होगा। फसल की बेहतर गुणवत्ता और उत्पादन के लिए उन्नत किस्मों और आधुनिक तकनीकों की जानकारी होना ज़रूरी है। उड़ीसा के गंजाम ज़िले की महिला किसान रश्मिता साहू भी ऐसा ही कर रही हैं। वह भले ही छोटी किसान हैं, लेकिन खेती में नई-नई तकनीक को शामिल करने को लेकर हमेशा उत्सुक रहती हैं। इसलिए उन्होंने कई ट्रेनिंग कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और मूंगफली की उन्नत किस्म का उत्पादन करके अपनी आमदनी बढ़ाई। छोटे किसान वो होते हैं, जिनके पास पांच एकड़ तक की ज़मीन होती है। 

बंपर पैदावार देने वाली वाली किस्म ‘धरनी’ को अपनाया

दलहन और तिलहन से जुड़े कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद ही उन्होंने मूंगफली की धरनी किस्म का उत्पदान करने की सोची। मूंगफली की खेती के लिए उन्हें गंजाम स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से तकनीकी सहयोग मिला, इसके अलावा अन्य ज़रूरी जानकारी भी मिली।

मूंगफली की खेती groundnut cultivation
तस्वीर साभार: agricoop

इस्तेमाल की उन्नत तकनीक

ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें विश्वास हुआ कि अगर सभी चीज़ों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और खेत की ठीक तरह से देखभाल की जाए तो पैदावार अच्छी होगी। वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सलाह के आधार पर उन्होंने निम्न तरीकों का का इस्तेमाल किया:

  • अधिक पैदावार वाली किस्म धरनी का प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 75 किलोग्राम इस्तेमाल किया। 
  • बीज के उपचार के लिए क्लोरोपायरीफॉस दवा का उपयोग किया। 
  • कतार विधि से बीजों की बुवाई की। इइस विधि में कतार से कतार की दूरी समान रखी जाती है जिसकी वजह से निराई-गुड़ाई आसानी होती है। इस विधि से खरपतवार भी कम पैदा होते है। पंक्ति बनाने के लिए हल के उपयोग से लेकर ड ड्रिल, पैड़ी ड्रम सीडर, कल्टीवेटर जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से बचाव के लिए 150 ग्राम थायमेथोक्सम दवा का प्रति हेक्टेयर  से इस्तेमाल किया। टिक्का रोग के लिए हेक्साकोनाज़ोल दवा का 1 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपयोग किया। 
मूंगफलीमूंगफली की खेती groundnut cultivation
तस्वीर साभार: agricoop

क्या है धरनी किस्म की खासियत?

  • मूंगफली की यह किस्म 100 से 105 दिन में हो जाती है तैयार
  • खरीफ़ सीज़न में लगाने पर प्रति हेक्टेयर 16 से 26 क्विंटल की पैदावार
  •  रबी सीज़न में लगाने पर प्रति हेक्टेयर 37 से 43 क्विंटल का उत्पादन
  •  इस किस्म में मूंगफली की अन्य किस्मों की तुलना में 15 से 20 फ़ीसदी अधिक तेल
  • 35 दिन तक भी पानी और धूप की जरूरत नहीं पड़ती
  •  सूखा सहन करने की भी क्षमता
  • पानी को को सोख लेती है धरनी किस्म
  • जड़ गलन और तना गलन जैसे रोगों से सुरक्षित
  • एकसाथ पककर तैयार होती हैं फलियां
मूंगफली की खेती groundnut cultivation
तस्वीर साभार: angrau

पहले की तुलना में मिला अच्छा मुनाफ़ा

जहां किसानों द्वारा पारंपरिक मूंगफली की खेती में प्रति हेक्टेयर 35 हज़ार रुपये की लागत आती है, जबकि मुनाफ़ा करीब 32 हज़ार रुपये रहता है। वहीं रश्मिता साहू को उन्नत किस्म की खेती से 43,200 रुपये की लागत पर 95,400 की आमदनी हुई। इस तरह से 52,200 रुपये का उन्हें सीधा मुनाफ़ा हुआ। उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ा। जहां पहले करीब 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार होती थी, अब वो बढ़कर तकरीबन 31 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई है। रश्मिता साहू की सफलता को देखकर इलाके के अन्य किसान भी वैज्ञानिक खेती के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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