झीलों का शहर नैनीताल, यहाँ से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी और समुद्र तल से करीब 7500 फ़ीट की ऊंचाई पर बसता है एक पर्यटक स्थल, टिफ़िन टॉप। पर्यटकों के बीच ये जगह आकर्षण का केंद्र है। टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होते हुए, प्रकृति की ख़ूबसूरती को निहारते हुए पर्यटक इस स्थल तक पहुंचते हैं। हाल फिलहाल में टिफ़िन टॉप सुर्खियों में बना हुआ है। वजह है सुर्ख़ ‘लाल मशरूम’। इस मशरूम को खोजा है, पद्मश्री से सम्मानित जाने माने फ़ोटोग्राफ़र अनूप साह ने।
अनूप साह ने कैमेरे में कैद किया ‘लाल मशरूम’
अनूप साह एक फ़ोटोग्राफ़र होने के साथ-साथ, पर्वतारोही और पर्यावरण प्रेमी भी हैं। हाल ही में वो टिफ़िन टॉप में ट्रैकिंग के लिए गए। यहाँ के सटे घने जंगलों में उन्हें ‘लाल मशरूम’ दिखाई दिया। ये दिखने में इतना खूबसूरत और दुर्लभ था कि उन्होंने इसे अपने कैमरे में कैद कर लिया। अनूप साह की इस खोज को लेकर किसान ऑफ़ इंडिया ने उनसे संपर्क किया और विस्तार से इस लाल मशरूम के बारे में जाना।
भारत में पहली बार देखा गया ‘लाल मशरूम’
अनूप साह ने जानकारी दी कि इस सुर्ख लाल मशरूम का वैज्ञानिक नाम बोलेटस रूब्रोफ्लैमियस (Boletus carminiporus) है। ये आमतौर पर पूर्वी अमेरिका के जंगलों में पाया जाने वाला मशरूम है। भारत में ये पहली बार देखा गया है।
अनूप साह ने मशरूम की तस्वीर खींचने के बाद मशरूम पर कई साल से रिसर्च कर रहे डॉ. निर्मल एसके हर्ष से साझा की। डॉ. निर्मल एसके हर्ष, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से सेवानिवृत्त हैं। वह मशरूम पर अपने शोध कार्यों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनूप साह को बताया कि ये लाल मशरूम अपने आप में ही दुर्लभ है। उन्होंने ही इस मशरूम की पहचान की।
मशरूम विषय में पीएचडी होल्डर डॉ. निर्मल एसके हर्ष ने 2021 में देश भर के मशरूम पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। ‘रेड लिस्ट ऑफ़ माइक्रो फंगई ऑफ इंडिया’ नाम की इस रिपोर्ट में भारत में पाए जाने वाले मशरूमों का जिक्र है, लेकिन इस लाल मशरूम के बारे में कोई डेटाबेस नहीं मिला। डॉ. हर्ष ने अनूप साह को बताया कि यह देश में पहली बार खोजा गया मशरूम है।
‘लाल मशरूम’ की क्या है विशेषताएं?
दिखने में ये मशरूम ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी तरह से लाल रंग के होते हैं। ये जंगलों में पड़ी खराब, टूटी-फूटी लकड़ियों में पैदा होते हैं। अंदर से ये हल्के पीले रंग के होते हैं। तोड़ते ही ये पीला रंग, बैंगनी रंग में तब्दील हो जाता है। केमिकल रिएक्शन की वजह से ऐसा होता है।
अनूप साह बताते हैं कि तोड़ते ही अचानक से अंदरूनी भाग रंग बदलने लगता है। साथ ही इसका तना भी तोड़ने पर रंग बदलकर नीला पड़ने लगता है। इसका नीला होना, इस बात का संकेत है कि ये ‘लाल मशरूम’ ज़हरीला है।
इस मशरूम की ख़ासियत है कि ये जिस क्षेत्र में उगता है, वहाँ की मिट्टी को पोषण तत्व प्रदान करता है। इससे निकलने वाले माइसीलियम में ये खूबियाँ होती हैं, जो मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाता है। दूसरी तरफ़ जंगलों में मौजूद बांज के पेड़ इस लाल मशरूम को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इस तरह से ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
पद्मश्री से सम्मानित अनूप साह
देश के शीर्ष फोटोग्राफरों में शुमार अनूप साह ने फ़ोटोग्राफ़ी क्षेत्र में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी कला का लोहा मनवाया है। 2019 में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया। 1994 में इंडिया इंटरनेशनल फ़ोटोग्राफ़िक काउंसिल (International Photographic Council, IPC) ने उन्हें ‘प्लैटिनम ग्रेड अवॉर्ड’ से नवाज़ा।
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