कंटोला जिसे ककोड़ा, ककोड़े, कर्कोटकी, मीठा करेला आदि नामों से भी जाना जाता है, एक कद्दूवर्गीय फसल है। कंटोला की खेती भारत के कुछ राज्यों में होती है। अभी कंटोला की खेती ज़्यादातर पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र और उत्तर पूर्वी राज्यों में हो रही है।
सब्ज़ी और अचार बनाने के साथ ही कंटोला का इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है। इसकी सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ ही प्रोटीन और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। रोज़ाना इसके सेवन से शरीर तंदुरुस्त रहता है। कहा जाता है कि इसमें मीट से 50 गुना प्रोटीन होता है। यह सब्ज़ी आमतौर पर बरसात के मौसम में बाज़ार में दिखती है। इसके स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए कंटोला की खेती में अपार सफलता की संभावनाए हैं, क्योंकि धीरे-धीरे अब शहरी लोगों में भी स्वस्थ खानपान के प्रति जागरुकता बढ़ी है। आपको बता दें कि कुछ खास तरह के जंगली इलाको में कंटोला अपने आप भी उग जाता है। इसके मादा पौधों से 8-10 साल तक फसल प्राप्त की जा सकती है। कंटोला की खेती किस तरह से की जा सकती है? कंटोला के बीज आप कहाँ से ले सकते हैं? ऐसी कई जानकारियां हम आपको इस लेख में बताएंगे।

मिट्टी और जलवायु
वैसे तो कंटोला की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन रेतीली मिट्टी में इसके पौधों का अच्छा विकास होता है। इसकी अच्छी फसल के लिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होना ज़रूरी है और मिट्टी का पीएच मान 6-7 के बीच होना चाहिए। इसकी खेती गर्म और नम जलवायु में अच्छी तरह से की जा सकती है। अच्छी फसल के लिए तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।

कैसे करें खेत तैयार?
बुवाई से पहले खेत की जुताई करके पुरानी फसल के अवशेषों को अच्छी तरह से हटा दें और जगह की सफाई करें। इसके बाद खेत में पानी डालकर छोड़ दें। पानी सूख जाने पर खेती की जुताई करके मिट्टी भुरभुरी कर लें। इसके बाद पाटा चलाकर उसे एक समान करें। कंटोला की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक और रासायनिक खाद की उचित मात्रा डालनी ज़रूरी है। खेत की पहली जुताई के बाद 200 से 250 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डालकर मिट्टी में मिला दें। फिर आखिरी जुताई के समय 375 किलो एसएसपी, 65 किलो यूरिया और 67 किलो एमओपी का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करना चाहिए।
बुवाई का तरीका
कंटोला की खेती के लिए पहले इसके बीजों को नर्सरी में तैयार करना पड़ता है और फिर इसकी पौध की खेतों में रोपाई की जाती है। नर्सरी में तैयार पौधों की रोपाई गड्डो में की जाती है। रोपाई के लिए गड्डे 2 मीटर की दूरी पर पंक्तियों में बनाए जाते हैं। पंक्ति से पंक्ति के बीच 4 मीटर की दूरी रखें और हर पंक्ति में 9 से 10 गड्डे बनाएं। इसमें 7 से 8 गड्डों में मादा पौधे और बाकी में नर पौधों की रोपाई करें। पौधों की रोपाई के बाद उसे चारों ओर से मिट्टी से अच्छी तरह ढक दें।

कितने दिनों में तैयार होती है फसल
कंटोला की पहली फसल ढाई से तीन महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन तब फल का आकार थोड़ा छोटा होता है। इसकी कटाई एक साल बाद भी की जा सकती है, तब तक फल और बड़े और गुणवत्तापूर्ण हो जाते हैं। बाज़ार में अच्छी गुणवत्ता वाले कंटोला की भारी मांग है। यह 150 रुपये प्रति किलो या उससे भी अधिक कीमत पर बिक सकता है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफ़ा होगा।
कहाँ से लें कंटोला के बीज?
कंटोला की किस्म इन्दिरा कंकोड़ा -1 और इन्दिरा अगाकारा (RMF-37) का इसकी व्यावसायिक खेती में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है। इन्हें इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने विकसित किया है। दोनों को ही उत्कृष्ट और रोग प्रतिरोधी किस्म माना गया है। कंटोला की इस किस्म के बीजों के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के 077124 42537 नंबर पर फोन कर सकते हैं। इसके अलावा, अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केन्द्र पर संपर्क कर सकते हैं। वहीं, कंटोला के बीज कई ई-कॉमर्स साइट्स अमेज़न, फ़्लिपकार्ट, इंडियामार्ट और बिग हाट पर भी उपलब्ध हैं।
अंतरफसल खेती के रूप में कर सकते हैं कंटोला की खेती
तमिलनाडु के डिंडीगुल ज़िले के रहने वाले रत्ना पांडियन आर ने अंतरफसल के रूप में नारियल की खेती के साथ कंटोला की खेती शुरू की। उन्होंने नारियल के पेड़ों के बीच 250 कंटोला के पौधे लगाए। नारियल के पेड़ को बतौर सहारे की तरह इस्तेमाल किया, जिसमें कंटोला की लताएं संगठित हो सकें, इससे अलग से पोल पर लगने वाला खर्च बचा। कंटोला की खेती में 15 से 20 हज़ार की लागत उन्हें आई। 0.5 एकड़ नारियल के बगीचे से 40 हज़ार रुपये की अतिरिक्त आय उन्हें मिली।

पोषक तत्वों से भरपूर कंटोला
कंटोला में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, सोडियम, मैग्नीशियम, कॉपर, पोटैशियम, जिंक आदि पोषक तत्वों के साथ ही विटामिन A, विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9, B12, विटामिन C, विटामिन D2 ,D3, विटामिन H और विटामिन K पर्याप्त मात्रा में होता है। यही वजह है कि इसके सेवन से शरीर ताकतवर बनता है और यह पीलिया से लेकर डायबिटीज़, बवासीर, ब्लड प्रेशर, बुखार आदि में बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा, यह आसानी से पच जाती है और इसमें कैलोरी बिल्कुल नहीं होती, जिससे वज़न घटाने वालों के लिए यह बहुत अच्छा विकल्प है।
ये भी पढ़ें- Teasel Gourd: छोटी जोत में कंटोला की खेती के लिए उन्नत है ये किस्म, इन किसानों की आमदनी में हुआ इज़ाफ़ा
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Meri Panchayat App : ‘मेरी पंचायत ऐप’ से पाएं पंचायत की हर जानकारी और मौसम का पूर्वानुमान सिर्फ एक क्लिक पर! केंद्र सरकार की ओर से लॉन्च किया गया ‘मेरी पंचायत’ App (Meri Panchayat App) ग्रामीण भारत को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये ऐप न सिर्फ पंचायत से जुड़ी सभी योजनाओं, फंड और विकास के कामों की जानकारी देता है, बल्कि अब इसमें 5 दिन का मौसम पूर्वानुमान (5 day weather forecast) भी शामिल किया गया है।
- Primary Agricultural Credit Society: PACS के ज़रिये से सहकारिता क्रांति, किसानों को मिल रहीं कृषि सेवाएं और सस्ता ऋणगांव में मल्टीपर्पस PACS (primary agricultural credit societies) के तहत डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित की जा रही है। ये योजना किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली है, जिसमें कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, भंडारण, मार्केटिंग और डिजिटल सेवाओं का विस्तार शामिल है।
- प्राकृतिक खेती अपनाकर सेब की खेती में सफल हुए हिमाचल के प्रगतिशील किसान भगत सिंह राणाप्राकृतिक खेती से सेब की खेती को नया जीवन देने वाले भगत सिंह राणा की कहानी पढ़ें और जानिए खेती में बदलाव की राह।
- कैसे विदेशी सब्ज़ियों की खेती में पुलवामा के किसान ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने हासिल की कामयाबीकश्मीर की ज़मीन पर विदेशी सब्ज़ियों की खेती ने दस्तक दी है। शोपियां के ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने पुलवामा में ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, चाइनीज़ गोभी और केल की खेती कर मिसाल पेश की है। किसान उनके फ़ार्म को देखने और उनसे सीखने भी आते हैं।
- Analog Cheese का धोखा: दूध की जगह प्लांट-बेस्ड मिलावट! FSSAI ने कसी नकेल, जानिए कैसे करें नकली पनीर की पहचान?असली पनीर 100 फीसदी दूध से बनता है, जबकि एनालॉग पनीर (Analog cheese) में दूध की जगह सोया प्रोटीन, वनस्पति तेल, टैपिओका स्टार्च, नारियल तेल और केमिकल्स मिलाए जाते हैं। ये पनीर दिखने में तो असली जैसा लगता है, लेकिन स्वाद और पोषण में बिल्कुल फर्क होता है।
- प्रधानमंत्री कुसुम योजना से झुंझुनूं के 1500 किसानों को मिलेगा सोलर पंप का तोहफ़ा, 60% सब्सिडीप्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM Kusum Scheme) से झुंझुनूं के 1500 किसानों को मिलेगा सोलर पंप, सरकार दे रही है 60% सब्सिडी और 5 साल की वारंटी।
- ICAR और NBFGR ने अरब सागर से खोजी नई गहरे पानी की सर्पमीन (ईल) प्रजाति Facciolella SmithiICAR–National Bureau of Fish Genetic Resources (NBFGR) के शोधकर्ताओं ने अरब सागर में केरल के तट से एक नई प्रजाति की सर्पमीन (New species of eel) खोजी है, जिसका नाम Facciolella smithi रखा गया है।
- International Plastic Bag Free Day पर जानिए, क्यों खेती को चाहिए प्लास्टिक से मुक्तिInternational Plastic Bag Free Day पर जानिए कैसे प्लास्टिक खेती को कर रहा है नुकसान और किसान कैसे इस बदलाव के अगुआ बन सकते हैं।
- Shivraj Singh Chouhan’s Visit To Jammu And Kashmir: केसर उत्पादन से लेकर क्लीन प्लांट सेंटर तक केंद्र सरकार बदलेगी किसानों की तकदीर!केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) 3 और 4 जुलाई 2025 को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं, जहां आज उन्होंने कृषि, ग्रामीण विकास और शिक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण योजनाओं Agricultural Revolution In Jammu And Kashmir) की समीक्षा की।
- Mission Mausam: भारत को मिलेगा Weather Update का सटीक अनुमान, देश अब मौसम की मार से बचने को तैयार!देश के कई हिस्सों में आए भीषण मौसम के बीच उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मिशन मौसम’ (MISSION MAUSAM) के तहत भारत का पूर्वानुमान तंत्र अब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सिस्टम्स की कतार में शामिल हो रहा है।
- What is Precision Farming: स्मार्ट तकनीक से Agriculture Revolution! क्यों ये है भविष्य की खेती? पढ़ें डीटेल मेंप्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) एक ऐसी आधुनिक तकनीक जो GPS, सेंसर, ड्रोन और AI का इस्तेमाल करके खेती को ‘इंच-इंच सटीक’ बना देती है।
- गुरेज़ घाटी में खेती और बागवानी को मिली नई पहचान, MIDP और HADP Schemes से आई हरियाली की बहारगुरेज़ घाटी में MIDP और HADP Schemes से खेती में आई क्रांति, किसान अब उगा रहे हैं सेब, चेरी और सर्दियों की सब्ज़ियां।
- 10 Years Of Digital India : e-NAM के ज़रीये किसानों की बदल रही जिंदगी, नई टेक्नोलॉजी से आई डिजिटल क्रांतिडिजिटल क्रांति (10 Years Of Digital India) ने किसानों की जिंदगी को कैसे बदला है? ई-नाम (e-NAM) एक ऐसी ही क्रांतिकारी पहल है, जिसने कृषि व्यापार (Agricultural Business) को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करके किसानों को सीधा बाजार से जोड़ दिया है।
- ‘Ek Bagiya Maa Ke Naam’ Project: मध्य प्रदेश सरकार की मदद से महिलाओं को मिलेगी आर्थिक आज़ादी‘एक बगिया मां के नाम’ (‘Ek Bagiya Maa Ke Naam’ Project) नाम की इस योजना के तहत मध्य प्रदेश की हज़ारों महिलाओं को अपनी ज़मीन पर फलदार पौधे लगाने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और प्रदेश हरा-भरा बनेगा।
- VIV ASIA Poultry Expo 2026: भारत में पहली बार होने जा रहा है लाइव स्टॉक एक्सपो का महाकुंभ!दुनिया के सबसे बड़े लाइव स्टॉक और पोल्ट्री एक्सपो (The world’s largest livestock and poultry expo) में से एक, VIV ASIA, (VIV ASIA Poultry Expo 2026) अब भारत में होने जा रहा है। ये पहली बार है जब ये प्रतिष्ठित एक्सपो थाईलैंड और यूरोप से निकलकर भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
- हेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा नया सहाराहेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक (Bio-plastic being made from hemp waste) दे रही पर्यावरण को राहत और गांवों को रोज़गार, संभल में शुरू हुआ हरित नवाचार।
- 200 Years of Assam Tea: स्वाद, विरासत और इनोवेशन संग न्यूयॉर्क में जश्न, धूमधाम से मना असम चाय का द्विशताब्दी समारोहन्यूयॉर्क में समर फैंसी फूड शो 2025 (Summer Fancy Food Show 2025) में असम चाय के 200 साल पूरे (200 Years of Assam Tea) होने का भव्य उत्सव मनाया।
- National Turmeric Board Inaugurated: किसानों को मिली बिचौलियों से मुक्ति, अब दुनियाभर में धाक जमाएगी ‘निज़ामाबाद की हल्दी’केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Cooperation Minister Amit Shah) ने ‘राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड’ (National Turmeric Board) का उद्घाटन किया। ये कदम दशकों से हल्दी किसानों की मांग को पूरा करने वाला साबित होगा।
- गुना का गुलाब अब महकेगा पेरिस और लंदन तक – गुलाब की खेती से किसानों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाज़ारगुलाब की खेती से गुना के किसान अब पेरिस और लंदन में गुलाब भेजने को तैयार हैं। गुना का गुलाब देगा अंतरराष्ट्रीय पहचान।
- Obesity in India: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में की ‘कम तेल,अच्छी सेहत’ की अपील, FSSAI ने दिये मोटापा कम करने के ज़बरदस्त टिप्स!मोटापे की बढ़ती समस्या (Obesity in India) पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी मुहिम शुरू करने का आग्रह किया है। यह सिर्फ एक सुझाव नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। साथ ही, FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) और AIIMS की विशेषज्ञ डॉ. स्वप्ना चतुर्वेदी ने स्वस्थ खानपान के ऐसे ऑप्शन सुझाए हैं, जो न सिर्फ आसान हैं बल्कि सेहत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।