खेती के काम में समय, श्रम और पैसों की बचत के लिए आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है। इससे काम कम समय में अधिक कुशलता से होता है, जिससे किसानों की लागत कम होती है। बीज बोने से लेकर खाद डालने और निराई-गुड़ाई के लिए भी कई कृषि उपकरण उपलब्ध हैं। ICAR द्वारा सुझाए गए कुछ ख़ास कृषि उपकरणों के बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे, जो किसानों के लिए खेती के कामों को सुगम बना रहे हैं।
1. स्वचालित पावर वीडर (Self-propelled Power Weeder)
कतार वाली फसलों, बागवानी और सब्जियों की फसलों में निराई और बीज बोने की तैयारी करने के लिए यह मशीन उपयोगी है। इसमें पावर टिलर चेसिस, पावर ट्रांसमिशन सिस्टम, एमएस व्हील, एक फ्रेम और एक रोटरी टिलर और 4.1 किलोवाट का डीज़ल इंजन होता है।
इंजन से पावर को बेल्ट और चेन की मदद से रोटरी तक और गियर ट्रेन के माध्यम से ज़मीन के पहियों तक पहुंचाया जाता है। गहराई एडजस्ट करने के लिए पावर टिलर के दोनों किनारों पर दो स्किड्स दिए गए हैं। रोटरी सिस्टम को बिजली से जोड़ने या बंद करने के लिए एक पावर कट-ऑफ डिवाइस भी दिया गया है। इसकी कीमत करीब 40 लाख रुपये है। खुरपी द्वारा हाथ से निराई की तुलना में यह मशीन 90 फ़ीसदी तक समय की बचत करती है। साथ ही 30 फ़ीसदी तक निराई की लागत बचाती है।
2. पावर वीडर फ़ॉर लो लैंड राइस (Power Weeder for Low Land Rice)
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने मैसर्स प्रीमियर पावर इक्विपमेंट एंड प्रॉडक्ट प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से दो कतार वाला पावर वीडर विकसित किया। यह सभी तरह की मिट्टी में कतार में बोए गए धान और SRI विधि से बोए गए धान में समय-समय पर निराई-गुड़ाई करने के लिए उपयुक्त है। यह स्वचालित, छोटा और हल्का पावर वीडर है। इसका वजन 17 किलो है। इसमें 1.30 किलोवॉट का इंजन, फ्लोट और रोटरी कटिंग ब्लेड लगे हुए हैं। दोनों तरफ़ चार हाई स्पीड रोटेटिंग ब्लेड (300 rpm) हैं, जो एक बार में दो कतारों की निराई करते हैं। छोटा और हल्का होने के कारण यह फसल की कतारों के बीच तेज़ी से चल सकता है। पावर वीडर के संचालन की औसत गति लगभग 30 मीटर/मिनट है।
ये भी पढ़ें- Seed Drill Farming Of Paddy: धान की सीधी बुआई तकनीक का आसान मतलब है कम लागत में अधिक उत्पादन
3. ट्रैक्टर माउंटेड 3-रो रोटरी वीडर (Tractor Mounted 3-Row Rotary Weeder)
इस 3-रो रोटरी वीडर को ट्रैक्टर के सतह जोड़कर ऑपरेट किया जाता है। इस Tractor Mounted 3-Row Rotary Weeder को लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने डिज़ाइन और विकसित किया है। इसमें एक मुख्य फ्रेम, गियरबॉक्स, तीन रोटरी वीडिंग ब्लेड असेंबली, गियरबॉक्स से रोटरी असेंबली में पावर सप्लाई के लिए 40 मिलीमीटर वर्ग शाफ़्ट, स्प्रोकेट और चेन का एक सेट है। यह पंक्ति-से-पंक्ति की दूरी को 675 से 1165 मिलीलीटर तक एडजस्ट करने की सुविधा देता है। मशीन की निराई कुशलता 83-87 फ़ीसदी है। यह 0.24 हेक्टेयर/घंटे के हिसाब से काम करती है। इस मशीन की कीमत करीब 60 हज़ार रुपये हैं।
4. उर्वरक बैंड प्लेसमेंट सह अर्थिंग अप मशीन (Fertilizer Band Placement Cum Earthing Up Machine)
ट्रैक्टर से चलने वाली उर्वरक बैंड प्लेसमेंट सह अर्थिंग अप मशीन को उत्तराखंड स्थित पंतनगर यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है। यह मशीन 0.50 मीटर से ज़्यादा पंक्ति से पंक्ति की दूरी होने पर मक्का, गन्ना, आलू आदि फसलों में खाद डालने, मिट्टी चढ़ाने और खरपतवारों को काटने के लिए उपयुक्त है। प्रति हेक्टेयर यूरिया/खाद डालने की दर 60 से 250 किलो के बीच है। यह प्रति घंटा 0.56 हेक्टेयर क्षमता के साथ कार्य कर सकती है। मशीन की कीमत लगभग 50 हज़ार रुपये है। परंपरागत विधि की तुलना में इस विधि में उर्वरक, समय और श्रम की काफ़ी बचत होती है।
5. रतून गन्ना के लिए ट्रैक्टर संचालित उर्वरक डिब्बलर (Tractor Operated Fertilizer Dibbler for Ratoon Sugarcane)
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय कोयंबटूर ने खाद डालने के लिए एक ट्रैक्टर से चलने वाला उर्वरक डिब्बलर विकसित किया है। इस उपकरण की कीमत करीब 45 हज़ार रुपये है और ऑपरेटिंग कैपेसिटी 0.2 हेक्टेयर/घंटा है। पारंपरिक तरीके की तुलना में इस उपकरण के इस्तेमाल से 60 प्रतिशत तक पैसों की बचत होती है। प्रति हेक्टेयर संचालन लगात 1550 रुपये पड़ती है।
ये भी पढ़ें- Raised Bed Planter: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में बेहद उपयोगी है कुंड और नाली विधि से बुआई
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- Top 10 Desi Cow Breeds In India: गौपालन से जुड़े हैं तो जानिए देसी गाय की 10 उन्नत नस्लेंउन्नत नस्ल की देसी गायों को पालने पर दूध का उत्पादन अन्य देसी गायों के मुक़ाबले अधिक होता है। ज़ाहिर है, इससे आपकी आमदनी भी बढ़ेगी। एक बात का ध्यान ज़रूर रखें। हर क्षेत्र के हिसाब से कौन सी देसी गाय उन्नत नस्ल की है, इसकी पूरी जानकारी लेने के बाद ही उस नस्ल को पालें।
- Mung Ki Kheti: मूंग की खेती में उन्नत बुवाई और प्रबंधन का तरीका, जानिए विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. शर्मा सेMung Ki Kheti | देश के कई हिस्सों में मूंग दाल की बुवाई हो चुकी है। मूंग दाल दलहनीय फसलों में मुख्य फसल है। मूंग की जायद के सीज़न में बुवाई की जाती है। किसानों के मन में मूंग दाल की खेती को लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं। मूंग की कौन सी किस्म… Read more: Mung Ki Kheti: मूंग की खेती में उन्नत बुवाई और प्रबंधन का तरीका, जानिए विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. शर्मा से
- Rose Gardening Tips: घर की बगिया में ऐसे उगाएं गुलाब, हमेशा महकती रहेगी ताजा खुशबूGulab ki Kheti – आइए जानते हैं गुलाब का पौधा लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि घर की बगिया में पूरे साल गुलाब के फूल खिलते रहे और उसकी खुशबू से आपका घर महकता रहे।
- Potato Varieties: आलू की 10 बेहतरीन किस्में, जिन्हें उगाने से बढ़ सकती है कमाईये आलू की खुदाई का मौसम है। वैसे हमारे देश के कई इलाकों में तो पूरे साल आलू की पैदावार होती है। यदि आप भी आलू की खेती कर रहे हैं और इससे अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो आलू की कुछ खास किस्मों की खेती करें जिसमें पैदावर अधिक होती है।
- Fish Farming RAS Technique: मछली पालन की RAS तकनीक कैसे काम करती है? 30 गुना बढ़ सकता है उत्पादन!Fish Farming RAS Technique: बड़े स्तर पर अगर कोई मछली पालन करने की सोच रहा है तो मछली पालन की RAS तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। बशर्ते इसकी पूरी जानकारी हो। जानिए RAS तकनीक में कितना खर्चा लगता है और क्या हैं इससे जुड़े अहम फ़ैक्टर्स।
- Lady Finger Varieties: भिंडी की 10 उन्नत किस्में, जिसे लगाकर किसान कर सकते हैं लाखों की कमाईभिंडी की खेती हर मिट्टी और मौसम में होती है लेकिन दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 6.8 हो, और गर्म जलवायु हो तो सबसे अच्छी पैदावार होती है।
- Greenhouse Farming Techniques: ग्रीनहाउस खेती क्या है? सब्सिडी से लेकर प्रशिक्षण तक जानें सब कुछइतिहास की किताबों के अनुसार, रोमन किंग टाइबेरियस ककड़ी जैसी दिखने वाली सब्जी रोज़ खाते थे, रोमन किसान सालभर इसे उगाते थे, जिससे वो सब्जी उनकी खाने की प्लेट में हमेशा रहे। ये सब्जी ग्रीनहाउस तकनीक के ज़रिये ही उगाई जाती थी।
- Modern Farming Methods: खेती की आधुनिक तकनीकें जिसे अपनाकर किसान कर सकते हैं सफ़ल खेतीआज के इस मॉर्डन युग में तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ा है, ऐसे में भला कृषि कैसे इससे पीछे रह सकती है। आधुनिक तकनीकों से लेकर उपकरणों तक के इस्तेमाल ने किसानों के लिए खेती को न सिर्फ आसान बना दिया है, बल्कि इसे अधिक मुनाफे का सौदा बना दिया है।
- Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: जानिए राइस ब्रान ऑयल-सनफ्लॉवर ऑयल में अंतर और ख़ूबियों के साथ इसका बाज़ारराइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल को ई-लॉन्च किया है।राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हो रही है।वहीं साल 2024-2032 के दौरान इंडियन सनफ्लावर ऑयल मार्केट 7 फीसदी की CAGR प्रदर्शित करेगा।
- Lemongrass: जानिए लेमनग्रास की खेती में जुड़ी अहम बातें प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज लवानिया से, उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तकबुंदेलखंड जैसे इलाके में जहां पानी की समस्या है और बड़ी मात्रा में ज़मीन बंजर पड़ी रहती है, लेमनग्रास की खेती यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है।
- Eucalyptus Farming: सफेदा की क्लोनल किस्मों से किसान कर सकते हैं बढ़िया कमाई, जानिए खेती की तकनीकसफेदा की खेती लकड़ी के लिए की जाती है। इसकी लकड़ी का उपयोग बड़े सामान की लदाई करने वाली पेटियां बनाने के साथ ही ईंधन, फर्नीचर, हार्डबोर्ड और पार्टिकल बोर्ड बनाने में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा ही रहती है।
- कैसे औषधीय पौधों की खेती पर किसानों की मदद करता है ये कृषि विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर विनोद कुमार से बातचीतबुंदेलखंड के किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करने के मकसद से झांसी के रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान बनाया गया है।
- Aeroponic Technique से बंद कमरे में केसर की खेती, हिमाचल के गौरव ने इंटरनेट से सीख कर शुरू किया केसर उत्पादनगौरव Aeroponic Technique से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है।
- Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी की सेहत अच्छी रहेगी, तभी तो अधिक उपज प्राप्त होगी। रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है, ऐसे में इसकी सेहत बनाए रखने के लिए मृदा प्रबंधन बहुत ज़रूरी… Read more: Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?
- Crop Rotation Strategies: खेती में फसल चक्र की कितनी अहम भूमिका? डॉ. राजीव कुमार सिंह ने दिया IFS Model का उदाहरणखेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- क्या हैं Urban Farming Trends? कैसे शहरी खेती बन रही कमाई का ज़रिया?जब शहरों में लोग अपने शौक से थोड़ा आगे बढ़कर घर की छत, बालकनी, कम्यूनिटी गार्डन और घर के नीचे की जगह या घर के अंदर की खाली जगह में वर्टिकल गार्डन बनाकर खेती करने लगते हैं, तो इसे ही शहरी खेती कहा जाता है।
- Integrated Pest Management: क्यों एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM तकनीक) फसलों के लिए है ज़रूरी? जानिए विशेषज्ञ सेखेती की लागत को कम करने और इसे ज़्यादा लाभदायक बनाने के लिए प्रमाणित व उपचारित बीजों का इस्तेमाल, सही मात्रा में उर्वरकों के उपयोग और सिंचाई की उचित व्यवस्था के साथ ही एकीकृत कीट प्रबंधन यानि Integrated Pest Management भी ज़रूरी है।
- Agriculture Equipment : Bed Maker Machine किसानों के लिए है कितनी उपयोगी और मिलेगी कितनी Subsidy?मल्टी पर्पस Bed Maker Machine किसानों के समय की बचत करने के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करती है।
- Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।
- Ragi Crop: रागी की फसल से क्या-क्या तैयार किया जा सकता है? रागी की खेती से जुड़ी अहम जानकारीरागी की फसल (Ragi Crop) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा खेती होती है। केरल, कर्नाटक राज्यों में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
- अंगूर
- अदरक
- अन्य
- अन्य
- अन्य खेती
- अन्य फल
- अन्य सब्जी
- अमरूद
- आम
- आलू
- इनोवेशन
- इवेंट
- उर्वरक
- एक्सपर्ट किसान
- एक्सपर्ट ब्लॉग
- एग्री बिजनेस
- औषधि
- करेला
- काली मिर्च
- किसान क्रेडिट कार्ड
- किसान सम्मान निधि
- कृषि उपकरण
- कृषि उपकरण न्यूज़
- कृषि उपज
- कृषि रोजगार एवं शिक्षा
- कृषि विश्वविद्यालय
- कृषि वैज्ञानिक
- कृषि संस्थान
- कृषि-विश्वविद्यालय
- कृषि-संस्थान
- केला
- खजूर
- गन्ना
- गेहूं
- जल कृषि
- जलवायु परिवर्तन
- ज़ीरो बजट खेती
- जैविक खेती
- जैविक/प्राकृतिक खेती
- टमाटर
- टेक्नोलॉजी
- ट्रेनिंग
- ट्रैक्टर
- डेयरी फ़ार्मिंग
- ड्रोन
- तकनीकी न्यूज़
- थ्रेशर
- दाल
- देसी गाय
- धनिया
- धान
- नारियल
- नौकरी
- न्यूज़
- पपीता
- पशुपालन
- पशुपालन और मछली पालन
- पशुपालन तकनीक
- पशुपालन न्यूज़
- पालक
- पॉवर टिलर
- पोटैटो डिगर
- प्याज
- प्राकृतिक खेती
- प्रॉडक्ट लॉन्च
- फल-फूल और सब्जी
- फलों की खेती
- फसल न्यूज़
- फसल प्रबंधन
- फसल बीमा
- फसल बीमा योजना
- फ़ूड प्रोसेसिंग
- फूलों की खेती
- बकरी पालन
- बिज़नेस न्यूज़
- बीज उत्पादन
- बुरांश
- बैंगन
- ब्रोकली
- भांग
- भिंडी
- भूमि अधिग्रहण
- मक्का
- मछली पालन
- मछली पालन तकनीक
- मंडी भाव
- मशरूम
- मसालों की खेती
- महुआ
- मिट्टी की सेहत
- मुर्गी पालन
- मूंगफली
- मोबाइल ऐप्स
- मौसम
- रजनीगंधा
- राइस प्लांटर
- राज्य
- रीपर
- रोटावेटर
- लहसुन
- लाईफस्टाइल
- लिलियम
- लोन
- वर्मीकम्पोस्ट
- विविध
- वीडियो
- सक्सेस स्टोरीज
- सफल पुरुष किसान
- सफल महिला किसान
- सब्जियों की खेती
- सब्जी/फल-फूल/औषधि
- सरकारी योजनाएं
- सरसों
- सूअर पालन
- सेब
- स्टार्टअप
- स्ट्रॉबेरी
- स्प्रेयर
- स्वास्थ्य
- हल्दी
- हेल्थ फ़ूड
- होम गार्डनिंग