तेलंगाना के संगारेड्डी ज़िले की रहने वाली पार्वती शेट्टी एक किसान परिवार से आती हैं। 7वीं कक्षा तक पढ़ीं पार्वती गंगापुर गांव में अपने परिवार के साथ रहती थीं। उनके पास कुल 3 एकड़ ज़मीन थी। विरासत में मिले खेती के गुरों को उन्होंने भी अपनाने का फैसला किया। उन्होंने नकदी फसलों, ज्वार और छोटे बाजरे की खेती करनी शुरू कर दी।
खेती में हुआ नुकसान तो बेचने लगीं ज्वार की रोटियां
पार्वती शेट्टी को ज्वार और बाजरे की खेती में नुकसान का भी सामना करना पड़ा। आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान हुआ। फिर 2008 में वो हैदराबाद चली गईं और वहाँ ज्वार की रोटियां बेचने लगीं। इस व्यवसाय से भी उन्हें कुछ ख़ास लाभ नहीं हुआ। कई तरह की वित्तीय समस्याएं भी आईं, लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा।

ट्रेनिंग ली और खड़ा किया बाजरे से बने उत्पादों का बाज़ार
इसी दौरान पार्वती शेट्टी ICAR-Indian Institute of Millets Research के संपर्क में आईं। यहाँ से उन्होंने बाजरे के उन्नत उत्पादन से लेकर बाजरे से बनने वाले खाद्य उत्पादों की ट्रेनिंग ली। उन्हें बाजरे के स्वास्थ्य लाभों के बारे में पता चला। पार्वती शेट्टी अन्य लोगों को भी बाजरे के स्वास्थ्य लाभ के प्रति जागरूक करने लगीं। उनका व्यापार भी आगे बढ़ने लगा। पार्वती आज की तारीख में बाजरे से रोटी, नूडल्स, नमकीन, पोहा, बिस्किट और पापड़ जैसे कई स्वादिष्ट उत्पाद तैयार करती हैं।
पार्वती ने बाजरा आधारित एक नया प्रॉडक्ट ‘मिल्लोविट’ भी तैयार किया है। ये एक हेल्थ ड्रिंक है। इस हेल्थ ड्रिंक को अप्रूवल के लिए पार्वती ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के पास भेजा है।

महिलाओं को दिया रोज़गार
पार्वती शेट्टी तेलंगाना एवं विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) के किसानों को बाजरे के उन्नत किस्मों के बीज भी उपलब्ध करवाती हैं। फिर उनसे ही बाजरे की खरीद करती हैं। इस तरह से एक व्यवस्थित मार्केट सिस्टम भी उन्होंने खड़ा किया है। पार्वती कौशल विकास के लिए ट्रेनिंग कैंप और सेमीनार भी आयोजित करती हैं। उन्होंने कई महिलाओं को रोज़गार देने का भी काम किया है। 30 महिला किसानों का समूह बनाया है। ये महिलायें उनके साथ काम करती हैं। वो अन्य महिला उद्यमियों के लिए एक मुख्य ट्रेनर बनकर उभरी हैं।

50 लाख रुपये का टर्नओवर
उनके उत्पाद भवानी फ़ूड्स के नाम से स्थानीय क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। शुरुआत में उन्होंने 20 हज़ार रुपये के निवेश के साथ अपने व्यवसाय की शुरुआत की थी। आज की तारीख में उनका सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये के करीब है। सोसाइटी ऑफ़ मिलेट्स रिसर्च और हैदराबाद स्थित ICAR-भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Millets Research) द्वारा उन्हें ‘बेस्ट मिलेट मशीनरी फैब्रिकेटर अवॉर्ड’ से सम्मानित किया जा चुका है।
बाजरे की खेती किसानों के लिए लाभकारी
ज्वार और बाजरा जैसे मोटी अनाज की फसलें न सिर्फ़ स्वास्थ्य के लिए अच्छी हैं, बल्कि कृषि अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहतर हैं। देश से कुपोषण को ख़त्म करने के लिए मिलेट को बढ़ावा भी दिया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि बाजरे की खेती कर रहे किसानों के लिए इसकी खरीद आय दोगुनी करने में मदगार साबित होगी। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में घोषित किया है।
बाजरे के फ़ायदे
बाजरा न सिर्फ़ पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने का काम करता है, बल्कि ये कई तरह की बीमारियों से भी बचाव करता है। बाजरे में भरपूर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं। बाजरा ग्लूटेन फ़्री होता है, जो शरीर के लिए फ़ायदेमंद है। कब्ज़ की समस्या से छुटकारा देने में भी ये मददगार है। बाजरा कोलस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है. इसके अलावा ये मैग्नीशियम और पोटैशियम का भी अच्छा स्त्रोत है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मददगार है। बाजरे में 11.6 प्रतिशत प्रोटीन, 5 प्रतिशत वसा, 67 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा 2.7 |प्रतिशत खनिज लवण पाए जाते हैं। बाजरे के पौधे का प्रयोग हरे तथा सूखे चारे के रूप में पशुओं को खिलाने के लिये भी किया जाता है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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