छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के किसानों के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि अब उन्हें पूरे साल आमदनी हो रही है। दंत्तेवाड़ा ज़िले के किसानों ने एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत कृषि की आधुनिक तकनीकों को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया। कृषि विज्ञान केन्द्र का उन्हें सहयोग मिला।
एकीकृत कृषि प्रणाली का लाभ यह है कि कृषि और उससे जुड़ी गतिविधयों में एक-दूसरे के अपशिष्टों का इस्तेमाल हो जाता है। खेती के अपशिष्ट को जानवरों को चारे के रूप में दिया जाता है। जबकि गोबर को खाद के रूप मे इस्तेमाल किया जाता है। इससे कचरे का सही इस्तेमाल होता है और प्रदूषण भी कम होता है। दंत्तेवाड़ा ज़िले के एक किसान हरसिंह ओयामी ने भी एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाकर अपनी आमदनी में डेढ़ लाख से भी अधिक का इज़ाफ़ा किया है।
5 एकड़ भूमि से भी नहीं हो रही थी पर्याप्त आय
हरसिंह ओयामी दंत्तेवाड़ा ज़िले के गीडम ब्लॉक के बिन्जम गाँव के रहने वाले हैं। उनके पास 5 एकड़ खेती योग्य भूमि है। फिर भी पहले उन्हें खेती से पर्याप्त आमदनी नहीं हो रही थी। वह खरीफ़ के मौसम में 5 एकड़ में धान और रबी सीज़न में 2 एकड़ में सब्ज़ियां उगाते थें। उनके पास एक तालाब और 10 गाय थीं, लेकिन इनसे कुछ आमदनी नहीं होती थी।
2011-12 में हरसिंह कृषि विज्ञान केन्द्र के संपर्क में आए और उनके द्वारा आयोजित कई गतिविधियों में हिस्सा लिया। इसके बाद वैज्ञानिकों की सलाह पर उन्होंने एकीकृत कृषि प्रणाली के साथ ही धान, मक्का और सब्ज़ी की खेती में नई व उन्नत तकनीकों को अपनाया। इसके साथ ही मछली पालन और पशुपालन में भी उन्नत तकनीकें अपनाईं।
बढ़ी आमदनी
हरसिंह ओयामी को जल्द ही उन्नत तकनीकों का असर दिखने लगा। उनकी सालाना आमदनी लगभग 3,68,000 रुपये यानी प्रति माह करीब 30,066 रुपये हो गई। पहले खेती से जुड़ी गतिविधियों से उनकी आमदनी तकरीबन 2,12,000 रुपये थी। यानी एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने से आय में 57.6 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ।
पहले 5 एकड़ क्षेत्र में धान व मक्के की खेती से करीब 50 हज़ार रुपये प्राप्त होते थे, अब करीब 80,000 रुपये मिल रहे हैं। इसी तरह 2 एकड़ में सब्जियों की खेती से जहां पहले 50 हज़ार की आय होती थी अब बढ़कर 80,000 रुपये हो गई है।
मछली पालन से पहले कोई आमदनी नहीं होती थी, अब 30 हज़ार रुपए प्राप्त हो रहे हैं। डेयरी व्यवसाय भी आमदनी का स्रोत बना है, इससे उनकी आमदनी 20,000 रुपये के आसपास है। उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट यूनिट भी शुरू की, जिससे 20 हज़ार रुपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है। महुआ, तोरा, साल बीज, इमली की बिक्री से 58,000 रुपये और सल्फी जूस बेचकर 80 हज़ार रुपये की आमदनी हुई।
एकीकृत कृषि प्रणाली के फ़ायदे
एकीकृत कृषि प्रणाली में उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग से लागत कम और मुनाफ़ा बढ़ता है। इससे किसानों को आर्थिक स्थिरता मिलती है, क्योंकि वह कई गतिविधियां करते हैं। इसलिए आय के लिए किसी एक स्रोत पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं पड़ती और पूरे साल उन्हें आमदनी होती रहती है।
फसलों के रोटेशन यानी कि पूरे साल एक ही फसल न लगाकर अलग-अलग फसलों की खेती से मिट्टी में सुधार होता है। इसमें अपशिष्टों की रिसाइकलिंग करके उपयोग कर लिया जाता है, जिससे कम कचरा निकलता है और प्रदूषण भी कम होता है। खेती में गोबर की खाद के इस्तेमाल से फसल और मिट्टी की गुणवत्ता खराब नहीं होती। किसानों को पूरे साल अलग-अलग फसल मिलती है, जिससे उन्हें भी पर्याप्त पोषण मिलता है और कुपोषण की समस्या दूर होती है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- Mung Ki Kheti: मूंग की खेती में उन्नत बुवाई और प्रबंधन का तरीका, जानिए विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. शर्मा सेMung Ki Kheti | देश के कई हिस्सों में मूंग दाल की बुवाई हो चुकी है। मूंग दाल दलहनीय फसलों में मुख्य फसल है। मूंग की जायद के सीज़न में बुवाई की जाती है। किसानों के मन में मूंग दाल की खेती को लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं। मूंग की कौन सी किस्म… Read more: Mung Ki Kheti: मूंग की खेती में उन्नत बुवाई और प्रबंधन का तरीका, जानिए विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. शर्मा से
- Rose Gardening Tips: घर की बगिया में ऐसे उगाएं गुलाब, हमेशा महकती रहेगी ताजा खुशबूGulab ki Kheti – आइए जानते हैं गुलाब का पौधा लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि घर की बगिया में पूरे साल गुलाब के फूल खिलते रहे और उसकी खुशबू से आपका घर महकता रहे।
- Potato Varieties: आलू की 10 बेहतरीन किस्में, जिन्हें उगाने से बढ़ सकती है कमाईये आलू की खुदाई का मौसम है। वैसे हमारे देश के कई इलाकों में तो पूरे साल आलू की पैदावार होती है। यदि आप भी आलू की खेती कर रहे हैं और इससे अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो आलू की कुछ खास किस्मों की खेती करें जिसमें पैदावर अधिक होती है।
- Fish Farming RAS Technique: मछली पालन की RAS तकनीक कैसे काम करती है? 30 गुना बढ़ सकता है उत्पादन!Fish Farming RAS Technique: बड़े स्तर पर अगर कोई मछली पालन करने की सोच रहा है तो मछली पालन की RAS तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। बशर्ते इसकी पूरी जानकारी हो। जानिए RAS तकनीक में कितना खर्चा लगता है और क्या हैं इससे जुड़े अहम फ़ैक्टर्स।
- Lady Finger Varieties: भिंडी की 10 उन्नत किस्में, जिसे लगाकर किसान कर सकते हैं लाखों की कमाईभिंडी की खेती हर मिट्टी और मौसम में होती है लेकिन दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 6.8 हो, और गर्म जलवायु हो तो सबसे अच्छी पैदावार होती है।
- Greenhouse Farming Techniques: ग्रीनहाउस खेती क्या है? सब्सिडी से लेकर प्रशिक्षण तक जानें सब कुछइतिहास की किताबों के अनुसार, रोमन किंग टाइबेरियस ककड़ी जैसी दिखने वाली सब्जी रोज़ खाते थे, रोमन किसान सालभर इसे उगाते थे, जिससे वो सब्जी उनकी खाने की प्लेट में हमेशा रहे। ये सब्जी ग्रीनहाउस तकनीक के ज़रिये ही उगाई जाती थी।
- Modern Farming Methods: खेती की आधुनिक तकनीकें जिसे अपनाकर किसान कर सकते हैं सफ़ल खेतीआज के इस मॉर्डन युग में तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ा है, ऐसे में भला कृषि कैसे इससे पीछे रह सकती है। आधुनिक तकनीकों से लेकर उपकरणों तक के इस्तेमाल ने किसानों के लिए खेती को न सिर्फ आसान बना दिया है, बल्कि इसे अधिक मुनाफे का सौदा बना दिया है।
- Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: जानिए राइस ब्रान ऑयल-सनफ्लॉवर ऑयल में अंतर और ख़ूबियों के साथ इसका बाज़ारराइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल को ई-लॉन्च किया है।राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हो रही है।वहीं साल 2024-2032 के दौरान इंडियन सनफ्लावर ऑयल मार्केट 7 फीसदी की CAGR प्रदर्शित करेगा।
- Lemongrass: जानिए लेमनग्रास की खेती में जुड़ी अहम बातें प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज लवानिया से, उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तकबुंदेलखंड जैसे इलाके में जहां पानी की समस्या है और बड़ी मात्रा में ज़मीन बंजर पड़ी रहती है, लेमनग्रास की खेती यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है।
- Eucalyptus Farming: सफेदा की क्लोनल किस्मों से किसान कर सकते हैं बढ़िया कमाई, जानिए खेती की तकनीकसफेदा की खेती लकड़ी के लिए की जाती है। इसकी लकड़ी का उपयोग बड़े सामान की लदाई करने वाली पेटियां बनाने के साथ ही ईंधन, फर्नीचर, हार्डबोर्ड और पार्टिकल बोर्ड बनाने में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा ही रहती है।
- कैसे औषधीय पौधों की खेती पर किसानों की मदद करता है ये कृषि विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर विनोद कुमार से बातचीतबुंदेलखंड के किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करने के मकसद से झांसी के रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान बनाया गया है।
- Aeroponic Technique से बंद कमरे में केसर की खेती, हिमाचल के गौरव ने इंटरनेट से सीख कर शुरू किया केसर उत्पादनगौरव Aeroponic Technique से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है।
- Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी की सेहत अच्छी रहेगी, तभी तो अधिक उपज प्राप्त होगी। रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है, ऐसे में इसकी सेहत बनाए रखने के लिए मृदा प्रबंधन बहुत ज़रूरी… Read more: Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?
- Crop Rotation Strategies: खेती में फसल चक्र की कितनी अहम भूमिका? डॉ. राजीव कुमार सिंह ने दिया IFS Model का उदाहरणखेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- क्या हैं Urban Farming Trends? कैसे शहरी खेती बन रही कमाई का ज़रिया?जब शहरों में लोग अपने शौक से थोड़ा आगे बढ़कर घर की छत, बालकनी, कम्यूनिटी गार्डन और घर के नीचे की जगह या घर के अंदर की खाली जगह में वर्टिकल गार्डन बनाकर खेती करने लगते हैं, तो इसे ही शहरी खेती कहा जाता है।
- Integrated Pest Management: क्यों एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM तकनीक) फसलों के लिए है ज़रूरी? जानिए विशेषज्ञ सेखेती की लागत को कम करने और इसे ज़्यादा लाभदायक बनाने के लिए प्रमाणित व उपचारित बीजों का इस्तेमाल, सही मात्रा में उर्वरकों के उपयोग और सिंचाई की उचित व्यवस्था के साथ ही एकीकृत कीट प्रबंधन यानि Integrated Pest Management भी ज़रूरी है।
- Agriculture Equipment : Bed Maker Machine किसानों के लिए है कितनी उपयोगी और मिलेगी कितनी Subsidy?मल्टी पर्पस Bed Maker Machine किसानों के समय की बचत करने के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करती है।
- Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।
- Ragi Crop: रागी की फसल से क्या-क्या तैयार किया जा सकता है? रागी की खेती से जुड़ी अहम जानकारीरागी की फसल (Ragi Crop) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा खेती होती है। केरल, कर्नाटक राज्यों में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
- Sindoor Plant: सिंदूर की खेती कैसे होती है? सिंदूर के पौधे से क्या-क्या बनता है और कहां से लें ट्रेनिंग?आपने अभी तक कई चीज़ों की खेती के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी सिंदूर की खेती के बारे में सुना है? कम ही लोग जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता है, जिससे ऑर्गेनिक लाल रंग का सिंदूर बनता है। साथ ही और कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जानिए सिंदूर का पौधा कैसे उगाया जाता है और सिंदूर की खेती से जुड़ी अहम जानकारियां सीधा एक्सपर्ट से।