भेड़ पालन (Sheep Rearing): भेड़ की पांचाली नस्ल क्यों है ख़ास? जानिए कीमत और इसकी खूबियों के बारे में

पशुपालन में भेड़ पालन की भी विशेष अहमयित है। हालांकि, अधिकांश किसान गाय, भैंस व बकरी पालन ही करते हैं, मगर देश के कुछ हिस्सों में आज भी भेड़ पालन आजीविका का मुख्य ज़रिया है। इन पर अधिक खर्च भी नहीं आता है।

भेड़ पालन sheep rearing

दूसरे पशुओं की तुलना में भेड़ पालन पर कम लागत आती है और इसके रहने और खाने के लिए भी किसानों को ज़्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। भेड़ पालन छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने का अच्छा ज़रिया है। भेड़ों की कई अलग-अलग नस्लें होती हैं और उसी हिसाब से उनकी कीमत भी तय होती है।

भारत में भेड़ों की कुल संख्या करीबन 74.26 मिलियन है, जो कि कुल पालतू पशुओं की संख्या का 12.71 प्रतिशत है। भेड़ों की संख्या में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। देश में पायी जाने वाली भेड़ों में से अब तक 44 नस्लें पंजीकृत की जा चुकी हैं। इन्हीं में से भेड़ की एक नस्ल है ‘पांचाली’। पांचाली को दुम्मा, दूमा, बराइया, पांचाली-दुम्मा, दुमी देसी आदि नामों से भी जाना जाता है। आज इस लेख में हम आपको गुजरात में पाई जाने वाली पांचाली नस्ल की भेड़ के बारे में जानकारी देंगे। यह ज़्यादातर गुजरात के सुरेंद्र नगर, राजकोट, भावनगर व कच्छ इलाके में पाई जाती है। यह भेड़ मुख्य रूप से यहां के रेबाड़ी व भारवाड़ समुदाय द्वारा पाली जाती है। ये समुदाय साल के 8-10 महीने भेड़ के साथ ही चारे-दाने की खोज में एक जगह से दूसरी जगह पर जाते रहते हैं। केवल मानसून में 2 से 4 माह के दौरान अपने मूल निवास स्थान पर वापस आते हैं। भ्रमण के दौरान ये मुख्यतः खेड़ा, नाडियाद, आणंद, अहमदाबाद एवं बड़ोदरा ज़िलों के आसपास रहते हैं।

भेड़ पालन sheep rearing
तस्वीर साभार-ICAR (NBAGR)

भेड़ पालन (Sheep Rearing): भेड़ की पांचाली नस्ल क्यों है ख़ास? जानिए कीमत और इसकी खूबियों के बारे में

क्या है पांचाली भेड़ की ख़ासियत?

यह भेड़ बड़े आकार की सफेद रंग की होती है। इसके चेहरे और सिर का रंग हल्का भूरा, काल-भूरा या काला होता है। इस नस्ल की नर और मादा भेड़ के सींग नहीं होते। चेहरा उभरा हुआ और कान लंबे व पत्ती के आकार के लटके हुए होते हैं। इनके चेहरे सिर व पेट पर ऊन नहीं होता है। इनका ऊन मोटा होता है। इसकी पूंछ भी मोटी होती है, इसलिए इसे दुमी भी कहा जाता है।

यह नस्ल मुख्य रूप से ऊन, मांस व दूध के लिए पाली जाती है। एक भेड़ से आधा से डेढ़ किलो प्रतिदिन दूध प्राप्त होता है। एक भेड़ से औसतन एक किलो ऊन निकलता है। जन्म के समय इसके मेमने का वजन 3.5 से 4 किलो तक होता है और 3-4 महीने में यह बढ़कर 18 से 20 किलो हो जाता है। ऐसे मेमने को बेचकर भेड़पालक अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। व्यस्क होने पर नर भेड़ का वजन 53-82 किलो और मादा भेड़ का वजन 32-73 किलो तक हो जाता है। 12-15 महीने की उम्र तक मादा भेड़ गर्भधारण योग्य हो जाती हैं और लगभग 16 प्रतिशत मादा भेड़ जुड़वा बच्चों को जन्म देती है।

भेड़ पालन sheep rearing
तस्वीर साभार-ICAR (NBAGR)

भेड़ पालन में ध्यान रखें कुछ बातें:

यदि आप भी भेड़ पालन से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें-

  • शुरुआत में आप 20 मादा और एक नर भेड़ के साथ भेड़ पालन व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं।
  • आमतौर पर भेड़ की कीमत 3-8 हज़ार के बीच होती है, जो उनकी नस्ल और आयु पर निर्भर करती है। भेड़ खरीदने में करीब 1 लाख तक का खर्च आएगा।
  • 20-21 भेड़ों के रहने के लिए 500 स्क्वायर फ़ीट का बाड़ा तैयार करना होगा, जो खुला और हवादार होना चाहिए।
  • बाड़े को तैयार करने में 30-40 हज़ार का खर्चा आएगा।
  • गर्भित भेड़ को दूसरे भेड़ों से अलग रखना चाहिए, क्योंकि उनको चोट लगने का डर रहता है। एक स्थान पर 3-4 गर्भित भेड़ों को रखा जा सकता है। अन्य भेड़ों को इकट्ठा रख जा सकता है क्योंकि ये आपस में लड़ते नहीं हैं।
  • भेड़ों को 6 घंटे के लिए चरने के लिए छोड़ें। यह खरपतवार और जंगली घास खाती हैं।
  • गर्भावस्था और उसके बाद जब मेमना दूध पीता है तब भेड़ का ख़ास ध्यान रखें। उन्हें पौष्टिक आहार दें। जबकि प्रजनन से पहले अधिक मात्रा में दाना आहार के रूप में दें।

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