कुपोषण का शिकार सिर्फ़ ग़रीब ही नहीं, बल्कि दुनिया के सम्पन्न देशों के ऐसे लोग भी हैं जिनके भोजन में पौष्टिक तत्वों का सन्तुलन नहीं है। यही वजह है कि पौष्टिक भोजन की कमी से पैदा होने वाली बीमारियों का सामना ग़रीब और विकासशील देशों के अलावा विकसित देशों के लोगों को भी करना पड़ रहा है। इसीलिए अब सारी दुनिया का ध्यान एक बार फिर से उन भूले-बिसरे मोटे अनाजों यानी मिलेट्स (Millets) को थाली तक पहुँचाने पर है जो हरित क्रान्ति के बाद पनमी सामाजिक धारणाओं की वजह से हमारे भोजन से दूर होते चले गये।
बाजरा, ज्वार, सांवा, कुटकी, रागी, कोदो, चेना और कंगनी जैसे बेहद पौष्टिक अनाजों यानी मिलेट्स का वजूद पाषाण युग से माना जाता है। इसकी अनेक किस्में मोहन-जोदाड़ो और हड़प्पा कालीन पुरातात्विक स्थानों से भी पायी गयी हैं। भारतीय, चीनी और कोरियाई आहार संस्कृति में मिटेल्स को चावल से भी पुराना अनाज माना गया है। विश्व में मिटेल्स की क़रीब 6,000 किस्में पायी जाती हैं। लेकिन हरित क्रान्ति की वजह से गेहूँ, चावल और मक्का वग़ैरह की पैदावार में क्रान्तिकारी बदलाव होने लगा और देखते ही देखते समाज में मिलेट्स के सेवन को लोगों की आर्थिक हैसियत से जोड़ने की धारणा पनपने लगी और पौष्टिक अनाजों को ‘मोटा अनाज’ कहा जाने लगा।
मोटे अनाज का प्रचलन क्यों घटा?
हरित क्रान्ति से पहले देश के ग्रामीण परिवारों के दैनिक आहार में मोटे अनाजों से तैयार पारम्परिक व्यंजन ख़ूब प्रचलित थे। गेहूँ, चावल और मक्का वग़ैरह के मुक़ाबले परम्परागत मोटे अनाजों यानी मिटेल्स की खेती आसान और कम लागत में होती है। इसके लिए ज़्यादा उपजाऊ मिट्टी और सिंचाई के लिए अधिक पानी की ज़रूरत भी नहीं पड़ती। लेकिन हरित क्रान्ति के फलस्वरूप जैसे-जैसे गेहूँ-चावल की उपलब्धता बढ़ती गयी वैसे-वैसे इसे आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों के अनाज के रूप में देखा जाने लगा। इसकी वजह से इससे साल दर साल मोटे अनाज की माँग और पैदावार गिरती चली गयी।

ये भी पढ़ें – मोटे अनाज की खेती के ज़रिये करें जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुक़ाबला
ज़्यादातर मोटे अनाजों में सूखारोधी होने का गुण भी पाया जाता है। इसीलिए असिंचित इलाकों में बसे करोड़ों लोगों के लिए मिटेल्स ही ऊर्जा और प्रोटीन के प्रमुख स्रोत की भूमिका निभाते रहे हैं। मोटे अनाज का दाम भी गेहूँ-चावल के मुक़ाबले कम होता है। इसीलिए मोटे अनाजों का सेवन ग़रीबों तक सीमित होता चला गया और सन्तुलित आहार की अनदेखी की वजह से खाते-पीते लोगों की सेहत पर पौष्टिक अनाज के सेवन की कमी का असर व्यापक तौर पर दिखने लगा।
आसान है मोटे अनाज की खेती और लागत भी है कम
गेहूँ-चावल जैसे नये ज़माने के अनाज की तुलना में मिलेट्स या कदन्न की खेती आसानी से और कम लागत में होती है। फिर भी पारम्परिक मिलेट्स उपेक्षित होते रहे। गेहूँ, चावल और मक्का आदि के मुक़ाबले मिलेट्स कहीं ज़्यादा पौष्टिक और सुपाच्य हैं। इसीलिए बीते दशकों में जो मिलेट्स हमारी रोज़मर्रा की थाली से ग़ायब हो गये, उन्हें ही भारत में उपवास के दौरान फलाहार के रूप में सबसे ज़्यादा पकाया और खाया जाता है। ऐसा किसी अभिजात्य शौक़ की वजह से नहीं बल्कि मिलेट्स में पाये जाने वाली पौष्टिक तत्वों की प्रचुरता की वजह से है।
ये भी पढ़ें – Coarse Grains Farming: मोटे अनाज की खेती है किसानों के लिए लाभकारी, परम्परागत अनाज से कुपोषण की समस्या होगी दूर
मोटे अनाज को पौष्टिक अनाज भी कहते हैं क्योंकि इनमें मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, विटामिन ‘बी’ सहित तमाम स्वास्थ्यवर्द्धक और आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा गेहूँ-चावल जैसे अनाज की तुलना में कहीं ज़्यादा पायी जाती है। इसीलिए भोजन में मिलेट्स के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को ‘अन्तर्राष्ट्रीय पौष्टिक अनाज वर्ष’ घोषित किया है। इसके लिए भारत के प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन किया था।
सरकारी प्रोत्साहन से बढ़ा मोटे अनाज का उत्पादन
‘अन्तर्राष्ट्रीय पौष्टिक अनाज वर्ष’ के तहत होने वाले आयोजनों के ज़रिये आम लोगों में मिलेट्स के गुणों का प्रचार करके उपभोक्ताओं में इसकी माँग बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। हाल के वर्षों में भारत सरकार के प्रोत्साहन की वजह से किसानों में एक बार फिर से मिलेट्स की खेती के प्रति आकर्षण बढ़ा है। इसीलिए मिलेट्स की पैदावार में भी वृद्धि हो रही है। इससे बढ़कर शहरी आबादी में भी मिलेट्स से तैयार उत्पादों के प्रति रुझान बढ़ा है।
भारतीय कदन्न अनुसन्धान संस्थान, हैदराबाद (ICAR-Indian Institute of Millets Research) ने ज्वार और बाजरा पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसन्धान परियोजनाओं के ज़रिये मिलेट्स की अनेक ऐसी उन्नत किस्में विकसित की हैं जो पौष्टिक तत्वों से भरपूर होने के अलावा पैदावार भी ज़्यादा देती हैं। इसी सिलसिले में मिलेट्स से तैयार होने वाले परम्परागत और स्वादिष्ट व्यंजनों तथा अनेक प्रसंस्करित खाद्य उत्पादों जैसे बिस्किट, नमकीन वग़ैरह को भी लोकप्रिय बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। मिलेट्स की बेजोड़ ख़ूबियों को देखते हुए किसान ऑफ़ इंडिया की ओर से भी समय-समय पर उपयोगी जानकारियाँ मुहैया करवायी जाती रही हैं, ताकि मिलेट्स एक बार फिर से हमारे मुख्य अनाजों में अपनी जगह बना सकें।

ये भी पढ़ें – क्या है ‘मिलेट स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज’ जिसके विजेताओं को नकद पुरस्कार के साथ मिलेंगे कई लाभ
इन्सान और खेत दोनों के लिए बेजोड़ हैं मोटे अनाज
मिलेट्स की ख़ूबियाँ बताती हैं कि जो अनाज हमारी सेहत के लिए उत्तम हैं वो खेत की सेहत के लिए भी उम्दा हैं। इसीलिए कई किसान मिश्रित खेती में मिलेट्स की फ़सल को ज़रूर अपनाते हैं क्योंकि इससे खेत में जैव विविधता और पोषक तत्वों की स्थिरता बढ़ती है। मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है तो उत्पादकता के अलावा कीटों तथा बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
मिलेट्ल पर्यावरण के अनुकूल हैं। इसीलिए टिकाऊ खेती का समर्थन करते हुए इन्हें शुष्क और अर्ध शुष्क इलाके में उपयुक्त फ़सल की तरह अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। दरअसल, प्राचीन भारत में भी मुख्य भोजन चावल नहीं बल्कि मिलेट्स यानी कदन्न हुआ करता था, क्योंकि ये फाइबर, अमीनो एसिड, विटामिन और खनिजों से भरपूर, ग्लूटेन मुक्त, क्षारीय, ग़ैर-एलर्जिक और सुपाच्य होते हैं।
मिलेट्स का निम्न ‘ग्लाइसेमिक इंडेक्स’ भी उसे चावल का आदर्श विकल्प बनाता है। मिलेट्स का सेवन कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और वजन घटाने में भी बहुत उपयोगी है। बता दें कि ‘ग्लाइसेमिक इंडेक्स’ एक ऐसा पैमाना है जो बताता है कि विभिन्न अनाजों का कार्बोहाइड्रेट, शरीर में रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर को कितना बढ़ाता है? ये पैमाना कार्बोहाइड्रेट की मात्रा नहीं बल्कि उसकी गुणवत्ता पर आधारित होता है।
मिलेट्स के पौष्टिक तत्व
- बाजरा (Pearl Millet): बाजरा को प्राचीन काल से अफ्रीकी और भारतीय उपमहाद्वीप में बड़े पैमाने पर उगाया और खाया जाता है। सर्दियों में बाजरा के सेवन से शरीर में गर्माहट और ऊर्जा बढ़ती है। ये फास्फोरस से भरपूर होता है जो कोशिकाओं को ऊर्जा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिजों को संचित करने में मदद करता है।
- रागी, नाचनी, मंडुआ, मंडिका, मारवाह (Finger Millet): रागी ऐसा मोटा अनाज है जिसमें सबसे ज़्यादा कैल्शियम पाया जाता है। ये शुष्क इलाकों में भी आसानी से बढ़ते हैं। रागी को मधुमेह विरोधी अनाज के रूप में भी जाना जाता है। इसकी उच्च फाइबर सामग्री भी क़ब्ज, कोलेस्ट्रॉल और आँतों के कैंसर की रोकथाम करती है।
बाजरा और रागी दोनों में गोइट्रोजेन (Goitrogen) नामक पदार्थ भी पाया जाता है, जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को बाधित करते हैं। इसीलिए इनका सेवन एक दिन में कई बार करने से थायरॉयड ग्रन्थि बढ़ सकती है।
ये भी पढ़ें – Millets Farming: बाजरे की खेती में रिज फेरो तकनीक का इस्तेमाल किया, उत्पादन भी बढ़ा और आमदनी भी
- 3. कंगनी, कुकुम, राला (Foxtail Millet): कंगनी को सबसे पुराना मोटा अनाज माना जाता है। उत्तरी चीन इसका उद्गम स्थल है। वहाँ इसे प्रसव के बाद और पाचन सुधारने वाले अनाज का दर्जा हासिल है। कंगनी में आयरन तथा अन्य खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं। भारत में ये उपवास और फलाहार के भोजन के रूप में ख़ूब प्रचलित है।
- कोदो, कोदेन, कोदरा, अराका (Kodo Millet): मिलेट्स की तमाम किस्मों की तरह कोदो का सेवन भी कई हज़ार साल से हो रहा है। इसमें लेसिथिन की उच्च मात्रा होती है जो तंत्रिका तंत्र की मज़बूती के लिए उत्कृष्ट है। कोदो में विटामिन बी, बी 6, नियासिन, फोलिक एसिड के अलावा कैल्शियम, लोहा, पोटेशियम, मैग्नीशियम और जस्ता जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- कुटकी, समाई, शावन (Little Millet): मिलेट्स परिवार में सबसे छोटे दाने वाला अनाज कुटकी है। ये पूरे भारत में उगायी जाने वाली फ़सल है। इसे चावल की तरह पकाते और खाते हैं। आयरन से भरपूर कुटकी को यदि चावल की जगह खायें तो एनीमिया के मरीज़ों को बहुत फ़ायदा होता है।
- झुंगोरा, सांवा, सोवों (Barnyard Millet): सोवों ऐसा मिलेट है जिसमें फाइबर और आयरन तत्व सबसे ज़्यादा पाया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट बहुत कम होता है। ये विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स का भी अच्छा स्रोत है।
- ज्वार, जोवार (Sorghum): भारत के कई राज्यों में व्यापक रूप से ज्वार की खेती और खपत होती है। इसकी रोटियाँ पचाने में बहुत आसान होती हैं। यह पोटेशियम, फ़ॉस्फोरस, कैल्शियम, आयरन और ज़िंक से भरपूर होता है।
- बरगु या वारागु (Proso Millet): बरगु या वारागु (Baragu or Varagu) में गेहूँ जितना उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन पाया जाता है। ये आवश्यक अमीनो एसिड (ल्यूसीन, आइसोल्यूसिन और मेथिओनाइन) से भरपूर और ग्लूटेन-मुक्त भी है। इसे भी कंगनी जितना पुराना और स्वादिष्ट अनाज माना गया है।
मिलेट्स का सेवन कैसे बढ़ाएँ?
भोजन में मिलेट्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए किसी को अपने मनपसन्द व्यंजन से समझौता करने या उसका परित्याग करने की कोई ज़रूरत नहीं है। सिर्फ़ अपने एक या दो अनाज को यदि हम मिलेट्स से बदल दें तो ज़्यादा स्वादिष्ट, सन्तुलित और पौष्टिक आहार हमें मिलने लगेगा। मसलन, अपने एक बार के भोजन में चावल की जगह मिलेट्स का सेवन करें और फ़र्क महसूस करें। इसकी शुरुआत मिलेट्स और चावल को आधा-आधा मिलाकर भी की जा सकती है। पुलाव में चावल की जगह मिलेट्स और ढेर सारी सब्जियों का इस्तेमाल करें। चीनी या गुड़ के साथ मिलेट्स के व्यंजन बनाएँ। नाश्ते में जई या ओट्स (Oats) की जगह मिलेट्स को आज़मा सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Cloning Technology Created History: ‘गंगा’ गाय के Ovum से पैदा हुई स्वस्थ बछड़ी, डेयरी क्षेत्र में बड़ी कामयाबीराष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute), करनाल के वैज्ञानिकों ने क्लोनिंग तकनीक (Cloning Technology Created History) के जरिए एक बड़ी सफलता पाई है। देश की पहली क्लोन गिर गाय ‘गंगा’ (Country’s first cloned Gir cow ‘Ganga’) के अंडाणुओं (Ovum) से एक स्वस्थ बछड़ी का जन्म हुआ है।
- Maize Cultivation: मक्के की खेती का उन्नत तरीक़ा क्या है, जानिए प्रगतिशील किसान ब्रजेश कुमार सेप्रगतिशील किसान ब्रजेश कुमार मक्के की खेती (Maize cultivation) में उन्नत तकनीकों से उच्च उत्पादन ले रहे हैं और आलू बीज उत्पादन में भी सराहे गए हैं।
- India Is Becoming A Global Leader In Green Energy: भारत ने स्वच्छ ऊर्जा में 5 साल के टारगेट को वक्त से पहले किया पूराहरित ऊर्जा (Green Energy) के क्षेत्र में भी एक ग्लोबल लीडर (Global Leader) की भूमिका निभा रहा है। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण (Climate change and pollution) की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) को अपनी प्राथमिकता बनाया है और इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
- धान से दाल तक, खेत से बाज़ार तक: जानिए कैसे प्रगतिशील किसान चरन सिंह ने संकर धान से बदली अपनी किस्मतउत्तर प्रदेश कानपुर देहात के गांव औरंगाबाद, पोस्ट भेवान के प्रगतिशील किसान चरन सिंह ने (Progressive farmer Charan Singh changed his fortunes), जो पिछले 20 सालों से खेती कर रहे हैं और आज न सिर्फ अपने 4 एकड़ खेत से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं, बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल बन गए हैं।
- रासायनिक खेती छोड़ सुषमा चौहान ने अपनाई प्राकृतिक खेती, शिमला में बनाई अपनी ख़ास पहचानप्राकृतिक खेती (Natural farming) से हिमाचल की सुषमा चौहान ने फल उत्पादन में पाया शानदार सुधार और ख़र्च घटाकर मुनाफ़ा बढ़ाया।
- Beekeeping: कैसे सफल व्यवसाय बन सकता है मधुमक्खी पालन? जानिए, प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार जाट सेमधुमक्खी पालन (Beekeeping) को सफल व्यवसाय में बदलने की जानकारी दे रहे हैं डॉ. मनोज कुमार जाट, जानिए शहद उत्पादन और वैज्ञानिक तकनीकें।
- PM Dhan-Dhanya Krishi Yojana: प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना है किसानों के लिए ऐतिहासिक कदम,100 चुनिंदा ज़िलों में होगी शुरूप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता में कैबिनेट ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ (PM Dhan-Dhanya Krishi Yojana) को मंजूरी दे दी है। ये योजना देश के 100 चुनिंदा जिलों में शुरू की जाएगी
- New Initiative Of NABARD: GRIP, CoLab और Whatsapp चैनल से ग्रामीण भारत को मिलेगी बड़ी ताकत!नाबार्ड (NABARD) ने Graduated Rural Income Generation Programme (GRIP) की शुरुआत की है, जिसका मकसद ग्रामीण गरीबों की आय बढ़ाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का 97वां स्थापना दिवस: कृषि विकास की नई उपलब्धियों का उत्सवभारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का 97वां स्थापना दिवस (97th Foundation Day of ICAR) नई तकनीकों, रिकॉर्ड उत्पादन और किसानों के लिए नवाचारों का जश्न है।
- CARI-Nirbheek: देसी मुर्गी पालन में क्रांति, किसानों की आय दोगुनी करने वाला आया ‘Super Chicken’!ICAR-Central Avian Research Institute (CARI), बरेली ने ‘सीएआरआई-निर्भीक’ (CARI-Nirbheek ) नाम की एक शानदार देसी मुर्गी की प्रजाति विकसित की है, जो ग्रामीण और छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
- Fake And Substandard Fertilizers : नकली और घटिया खाद के धोखे को रोकने के लिए केंद्र सरकार का बड़ा कदम, अब होगी सख्त कार्रवाईकेंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर नकली और घटिया गुणवत्ता वाली खाद (Fake and poor quality fertilizers) की बिक्री पर तुरंत सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
- The Poultry Expo 2025 का इंडिया एक्सपो मार्ट, ग्रेटर नोएडा में 21 से 23 अगस्त तक होने जा रहा है आयोजनThe Poultry Expo 2025 ग्रेटर नोएडा में होगा भारत का सबसे बड़ा पोल्ट्री एक्सपो, जहां इनोवेशन, नेटवर्किंग और मार्केट की अपार संभावनाएं मिलेंगी।
- World Youth Skills Day: देश के युवा आधुनिक कृषि तकनीक, जैविक खेती के साथ कृषि क्रांति में भर रहे नई उड़ान15 जुलाई, विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skills Day) के अवसर पर आइए जानते हैं कि कैसे देश के युवा आधुनिक कृषि तकनीक, जैविक खेती, कृषि-उद्यमिता (Agripreneurship) और फूड प्रोसेसिंग (Food Processing सुनहरा भविष्य बना रहे हैं।
- Ornamental Fish Rearing: सजावटी मछली पालन है फायदेमंद शौक के साथ शानदार बिज़नेस भीसजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Rearing) न सिर्फ एक अच्छा शौक है, बल्कि एक फ़ायदेमंद बिज़नेस (Fish Farming) भी बन सकता है। अगर आपको मछलियों से प्यार है और आप कुछ अलग करना चाहते हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है।
- Bio Mustard farming: सरसों की जैविक खेती को अपनाकर चुनें सालों-साल ज़्यादा उपज पाने का रास्तासरसों की जैविक खेती (Bio mustard farming) से कम लागत में अधिक मुनाफ़ा संभव है। नए शोध से साबित हुआ है कि जैविक तरीक़े से उपज को साल दर साल बढ़ाया जा सकता है।
- Google’s AI Revolution: भारतीय किसानों के लिए खुशख़बरी, AMED API नया डिजिटल साथीGoogle ने भारत के कृषि क्षेत्र को बदलने के लिए एक बड़ी पहल की है। इसके तहत AMED API (Agricultural Monitoring and Event Detection) और भारतीय भाषाओं व संस्कृति को समझने वाले एआई मॉडल्स (AI Models) लॉन्च किए गए हैं। यह न सिर्फ किसानों के लिए वरदान साबित होगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगा।
- भोपाल में रोज़गार मेला: शिवराज सिंह चौहान ने सौंपी युवाओं को नियुक्ति पत्र, बोले – विकसित भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदमभोपाल में शिवराज सिंह चौहान ने रोज़गार मेला में 51,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे।
- CM योगी का ‘Green Gold’ विजन: Carbon Credits से उत्तर प्रदेश बनेगा अमीर,अयोध्या बनेगा ‘ग्रीन सिटी’योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को देश का पहला ‘कार्बन क्रेडिट हब’ (Carbon Credits Hub) बनाने की ओर बड़ा कदम बढ़ाया है।
- बिहार का ‘मखाना’ अब Global Star: सुपरफूड मखाना बिहार के किसानों की आय में लगाएगा पंख, जानें कैसे HS कोड ने बदला गेममखाना और इससे बने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अलग-अलग HS Code (Harmonized System Code) मिल गया है। ये निर्णय बिहार के किसानों, उद्यमियों और निर्यातकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
- गन्ने की प्राकृतिक खेती के साथ ही प्रोसेसिंग से अच्छी कमाई कर रहे हैं प्रगतिशील किसान योगश कुमार, जानिए उनका सक्सेस मंत्रगन्ने की प्राकृतिक खेती के साथ ही प्रोसेसिंग कर इनोवेटिव किसान योगेश कुमार बना रहे हैं नए उत्पाद और कमा रहे हैं बेहतर मुनाफ़ा।