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Coconut Farming: नारियल कृषि व्यवसाय से सफल उद्यमी बनीं अंडमान निकोबार की सुनैना सोनी

नारियल कृषि व्यवसाय से मिलने वाले नारियल पाउडर का उपयोग मिठाई, बिस्कुट, टॉफी आदि बनाने में किया जाता है

नारियल कृषि व्यवसाय देश के सिर्फ दक्षिणी राज्यों ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी नारियल और नारियल से बने उत्पादों की बहुत मांग है। नारियल पाउडर की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है क्योंकि मिठाई बनाने में इसे इस्तेमाल करना आसान है। अंडमान-निकोबार की एक महिला ने नारियल पाउडर के बढ़ते बाज़ार को देखते हुए इसे न सिर्फ व्यवसाय के रूप में अपनाया, बल्कि सफलता की मिसाल भी पेश की।

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नारियल कृषि व्यवसाय (Coconut Farming Business): 36 साल की सुनैना सोनी अंडमान-निकोबार में पोर्ट ब्लेयर के डॉली गोंग इलाके की रहने वाली हैं। उन्होंने नारियल पाउडर (नारियल का बुरादा) के संभावित बढ़ते बाज़ार को भांप कर इसे ही बतौर व्यवसाय चुना। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर नारियल पाउडर बनाने के लिए कई परीक्षण शुरू किए। उनका प्रयास सफल रहा और अब वो अपने इलाके की सफल महिला कृषि उद्यमी बन चुकी हैं।

बड़े पैमान पर शुरू किया उत्पादन

नारियल पाउडर का (coconut powder) इस्तेमाल लगभग हर घर में किसी न किसी व्यंजन या मिठाई बनाने में किया जाता है। इसका बाज़ार लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे लाभ की संभावना भी बढ़ रही है। अंडमान-निकोबार की महिला उद्यमी सुनैना और उनके पति विमल कुमार ने नारियल का बुरादा बनाने के लिए मशीनों की डिज़ाइनिंग पर काम किया। 

2010-11 में उनका परीक्षण सफल रहा और अब वो बड़े पैमाने पर नारियल पाउडर का उत्पादन करने लगी हैं। इसके बाद उन्होंने फैक्ट्री बनाई और उसका संचालन शुरू करने में दो साल का समय और लग गया जिसके बाद पूरी तरह से नारियल पाउडर का उत्पादन शुरू हो गया।

नारियल कृषि व्यवसाय coconut agri business
तस्वीर साभार: Ministry of Rural Development

हर रोज़ 5 हजार किलो नारियल पाउडर का उत्पादन

सुनैना ने अखबार में देखा था कि सरकार अच्छे उद्यमियों को ज़मीन दे रही है। उन्होंने भी इसके लिए आवेदन किया, लेकिन दो बार उनका आवेदन रद्द कर दिया गया। फिर 2014-15 में उद्योग निदेशक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की मदद से उन्हें 16 लाख का ऋण मिला। उन्होंने पहले 400 वर्ग मीटर ज़मीन लेने की सोची, मगर उद्योग विभाग की मदद से अपने प्रोजेक्ट के लिए 800 वर्ग मीटर ज़मीन लेने में सफल रहीं।

वो अपने प्लांट में रोज़ाना 5000 किलो नारियल पाउडर (coconut powder) का उत्पादन करती हैं जिसे बैग में भरकर मार्केटिंग के लिए भेजा जाता है। उनके उत्पाद थोक में कोलकाता, तमिलनाडु और कुछ अन्य बेकरी में बेचे जाते हैं।

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नारियल कृषि व्यवसाय coconut agri business
तस्वीर साभार- indiamart

सफलता से मिली संतुष्टि 

सुनैना की दो बेटियां हैं जो पोर्ट ब्लेयर में पढ़ती हैं। नारियल पाउडर (coconut powder)
बनाने के क्षेत्र में वो अपने इलाके की सबसे सफल उद्यमी हैं और ये सफलता उन्हें संतुष्टि का एहसास दिलाती है। वो अपने प्लांट में उत्पाद की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखती हैं ताकि वो बाज़ार में दूसरे उपलब्ध उत्पाद और अन्य देशों में बने उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर सके।

नारियल कृषि व्यवसाय coconut agri business
तस्वीर साभार: Ministry of Rural Development

भविष्य की योजना

नारियल कृषि व्यवसाय में नारियल के उत्पादों के लिए बाज़ार में अपार संभावनाएं हैं जिसे देखते हुए वो अपने उद्यम का विस्तार करने की योजना बना रही हैं। नारियल पाउडर के बाद अब वो वर्जिन नारियल तेल का उत्पादन करने की योजना बना रही हैं जिसके लिए दो मशीनें भी लगा चुकी हैं। इसके अलावा वो नारियल पानी की पैकेजिंग और मानकीकरण की भी योजना बना रही हैं क्योंकि आजकल नारियल पानी की मांग बहुत बढ़ चुकी है। सेहत के प्रति जागरुक लोग रोज़ाना इसका सेवन करते हैं।

साथ ही वो इलाके के अन्य नारियल किसानों को रोजगार और आजीविका के मौक़े देने के लिए उन्हें छोटी मशीनें दी जा रही हैं, जिसे घर पर ही ऑपरेट किया जा सकता है। फिर वो उनके द्वारा तैयार नारियल पाउडर को वापस खरीदती हैं। इस तरह से कुटीर उद्योग को विकसित करने में मदद मिलेगी।

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