दुनियाभर की तरह भारत में भी क्रिसमस बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है, और क्रिसमस के उत्सव (Christmas Celebration) पर सजावट की बात करें तो ‘क्रिसमस ट्री’ मुख्य है। इसके बिना क्रिसमस का दिन (Christmas Day) एकदम अधूरा है। इस फेस्टिवल के दौरान बाज़ार में क्रिसमस ट्री की मांग बहुत बढ़ भी जाती है। आज हम आपको बतायेंगे इसकी खेती से कैसे आप अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
क्रिसमस ट्री फार्मिंग व्यवसाय क्यों शुरू करें? (Why to start Christmas Tree Farming Business)
जिन लोगों के पास खेत या ज़मीन है और उन्हें पता नहीं है कि बंजर भूमि में क्या लगाया जाए, तो ये व्यवसाय उनके लिए उपयुक्त है। यह उन मौसमी व्यवसायों में से एक है, जिसमें आपकी ओर से बहुत कम काम और निवेश की आवश्यकता होती है। एक और ख़ास बात ये है कि पहले चार साल में पेड़ की देखभाल में भी ज़्यादा वक़्त नहीं लगता। वार्षिक छंटाई से पेड़ों को ऐसा पूर्ण आकार देने में मदद मिलती है, जिसे ग्राहक (Customers) पसंद करते हैं।
ये भी पढ़ें: महोगनी की खेती: बेहद कीमती हैं महोगनी के उत्पाद, जानिए क्यों है इतनी मांग
क्रिसमस ट्री की किस्में (Christmas Tree Varieties)
जीनस एबिस (Genus Abies) प्रजाति के पेड़ सबसे लोकप्रिय क्रिसमस ट्री हैं। ये देवदार (Cedar) के पेड़ों से संबंधित प्रजाति है। ये पेड़ तेजी से बढ़ते हैं और इनकी सुगंध और पत्तों का रंग भी बेहतरीन होता है। इसके साथ ही ये पेड़ अपनी चीड़ की सुइयों (Pine Needles) को नहीं छोड़ते हैं।
क्रिसमस ट्री की किस्म ‘वर्जीनिया पाइन’ (Viriginia Pine) को भी लोग उगाना पसंद करते हैं। इसके अलावा, अफगान पाइन, रेत पाइन, और एरिज़ोना सरू कुछ अन्य किस्में हैं।

कैसे करें क्रिसमस ट्री की खेती और इसका रख-रखाव ? (How to do Christmas Tree Farming)
एक क्रिसमस ट्री को लगभग सात फ़ीट लंबे पेड़ के रूप में विकसित होने में 8 से 12 साल लगते हैं। पेड़ों की बढ़ोतरी उसकी किस्म, मिट्टी की गुणवत्ता सहित कई और मानकों पर भी निर्भर करती है। फरवरी से मई का समय पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय है। खड़ी ढलानों पर इन्हें उगाने से बचें। इन जगहों पर मिट्टी का कटाव (Soil Erosion) होता है और जड़ों तक पहुंचने से पहले ही पानी अक्सर बह जाता है। ज़मीन को किसी भी प्रकार के खरपतवार से मुक्त रखें।
मिट्टी और पानी
क्रिसमस ट्री किसी भी प्रकार की मिट्टी में उग सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी आदर्श होती है। इसके लिए मिट्टी हमेशा नम रहनी चाहिए।
सूरज की रोशनी
इसके छोटे पौधे उच्च तापमान को सहन नहीं कर सकते हैं, इसलिए इन्हें ठंडे मौसम में लगाया जाना चाहिए।
उर्वरक (Fertilizer)
इसके पौधे को अधिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती। पौधे के लिए साल में एक या दो बार जैविक लिक्विड फर्टिलाइजर या अन्य उर्वरक का इस्तेमाल कर सकते हैं। पोषक तत्वों के स्तर को बढ़ाने के लिए खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

कटाई
प्रत्येक पेड़ को हर गर्मियों में 3 से 5 साल की उम्र और लगभग 5 फ़ीट की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद काट दिया जाना चाहिए। कटाई के समय ये ध्यान रखें कि शाखायें घनी हों और उनका सही आकार बना रहे।
ये भी पढ़ें: अगर घर में लगाने हों पौधे या बड़ी नर्सरी तो मिलिए बंश गोपाल सिंह से, फ़्री में देते हैं कंसल्टेंसी और जानकारी
क्रिसमस ट्री व्यवसाय से प्रॉफ़िट (Christmas Tree Business Profit)
बाज़ार के मौजूदा रुझानों और व्यवसाय की बढ़ोतरी को देखते हुए, एक देवदार के पौधे की औसत बिक्री 200 से 400 रुपये तक रहती है। 5 से 8 फ़ीट लंबा एक पूर्ण विकसित देवदार का पेड़ लगभग 3000 से 10000 रुपये में रुपये में बेचा जा सकता है। अगर पेड़ हरा और आकर्षक है, तो आप अधिक रुपये कमा सकते हैं। उत्पाद की ऑनलाइन मार्केटिंग और साइटों पर मुफ़्त डिलीवरी से आपको अधिक ग्राहक मिलेंगे। परिवारों, कॉर्पोरेट संगठनों, चर्चों, सरकारी संस्थानों, लैंडस्केपर्स, आंतरिक और बाहरी सजावट करने वाली कंपनियां को आप क्रिसमस ट्री बेच सकते हैं।

कब लगाते हैं घर में लोग क्रिसमस ट्री?
परंपरा के अनुसार क्रिसमस की पूर्व संध्या पर घर में क्रिसमस ट्री को लगाया जाता है। इसे एपिफेनी (Epiphany) के पर्व के ठीक बाद जनवरी के पहले सप्ताह में उतारा जाता है। कई लोग कुछ दिन पहले भी क्रिसमस ट्री को लगाते हैं, क्योंकि वे क्रिसमस त्योहार को 15 से 20 दिन पहले मनाना शुरू कर देते हैं। क्रिसमस ट्री को लोग ऑक्सीजन प्लांट और सजावट के तौर पर भी लगाते हैं।
अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।

ये भी पढ़ें:
- Revolution In Cotton Farming: कृषि मंत्री ने एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम’ का दिया नारा, कहा- किसानों के साथ मिलकर बढ़ाएंगे उत्पादकतादेशभर से आए कपास उत्पादक किसानों, वैज्ञानिकों और हरियाणा के कृषि मंत्री राणा सिंह के साथ मिलकर कपास की खेती (Revolution In Cotton Farming) को बेहतर बनाने पर चर्चा की। इस बैठक का मकसद था – ‘कपास की पैदावार बढ़ाना, लागत कम करना और नई तकनीकों को खेतों तक पहुंचाना।’
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से किसानों की आय में वृद्धि, बदलाव की राह पर जांजगीर-चांपा के किसानराष्ट्रीय कृषि विकास योजना से किसान अपना रहे परिवर्तन खेती का मॉडल, कम लागत में अधिक मुनाफ़ा और बन रहे आत्मनिर्भर।
- किसानों के लिए बड़ी खुशख़बरी: अब e-NAM पर इन 7 नई फसलों की भी होगी ऑनलाइन बिक्री, मिलेगा बेहतर दामअब ई-नाम (e-NAM) पोर्टल पर 238 कृषि उत्पादों की सूची में 7 नई फसलों को शामिल (7 new crops included in the list of 238 agricultural products) किया गया है।
- Big Initiative Of Bihar Government: अब आपदा में मरे मवेशियों पर मिलेगी मोटी रकम, जानें कैसे उठाएं लाभबिहार सरकार ने (Big Initiative Of Bihar Government) एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। अब राज्य में बाढ़ या किसी अन्य आपदा के दौरान मरे हुए या लापता मवेशियों के बदले पशुपालकों को आर्थिक मदद (Financial help to cattle owners in lieu of dead or missing cattle) मिलेगी।
- National Conference On Cotton :11 जुलाई को कोयम्बटूर में कपास क्रांति की तैयारी, किसान भी भेज सकते हैं सरकार को अपने सुझाव11 जुलाई 2025 को कोयम्बटूर में कपास पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference on Cotton) आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में देशभर के किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर कपास उत्पादन बढ़ाने, जलवायु अनुकूल बीज विकसित करने और किसानों की आय दोगुनी करने पर मंथन किया जाएगा।
- शेखावाटी के किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़ अपनाई पॉलीहाउस में खेती की तकनीकपॉलीहाउस में खेती से किसान कमा रहे लाखों, सरकार दे रही अनुदान और ड्रिप सिस्टम से हो रही जल बचत, जानिए पूरी कहानी।
- National Fish Farmers Day 2025: भारत मना रहा नीली क्रांति का जश्न, मछली पालन में 10 साल में दोगुना हुआ उत्पादन10 जुलाई, 2025 को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस (National Fish Farmers Day 2025) के मौके पर नए मत्स्य क्लस्टर्स (Fisheries Clusters), प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Programs) और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (Infrastructure Projects) की घोषणा होने जा रही है, जो इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाएगी।
- राजस्थान के बाड़मेर जिले में खजूर की खेती बनी हरियाली और आमदनी का ज़रियाबाड़मेर में खजूर की खेती से किसानों की आमदनी में हुआ ज़बरदस्त इज़ाफ़ा, मेडजूल जैसी क़िस्मों से बदली रेगिस्तान की क़िस्मत।
- HETHA Dairy: एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने देसी गायों के एथिकल गौपालन से खड़ा किया करोड़ों का उद्योग, जानिए कैसे?HETHA Dairy देसी गौपालन का बड़ा उदाहरण है, जहां असीम रावत ने एथिकल तरीके से 1100 गायों के साथ करोड़ों का व्यवसाय खड़ा किया।
- नागालैंड में Rani Pig के साथ सुअर पालन बना ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मज़बूत आधारRani Pig और वैज्ञानिक तकनीक से नागालैंड के सुअर पालन को मिल रही है नई दिशा, जानिए कैसे किसानों की आय में हो रही है वृद्धि।
- Sardar Patel Co-operative Dairy Federation: देश के डेयरी किसानों के लिए गेम-चेंजर, 5 लाख गांवों को मिलेगा फायदासरदार पटेल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (Sardar Patel Co-operative Dairy Federation) यानि SPCDF की स्थापना की गई है, जो देश के उन लाखों डेयरी किसानों को सशक्त बनाएगी, जो अभी तक सहकारी आंदोलन से जुड़े नहीं हैं।
- उत्तराखंड के किसानों के लिए बड़ी खुशख़बरी, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किये ये बड़े ऐलानमहत्वपूर्ण बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने उत्तराखंड के विकास (Agriculture and Rural Development in Uttarakhand) के लिए कई बड़े फैसले लिए। इस दौरान राज्य की मांग के अनुसार कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरसंभव सहायता देने की बात कही। जानिए क्या मिलेगा राज्य को?
- मिज़ोरम में ब्रोकली की खेती में नया बदलाव – पोषक प्रबंधन और मिनी स्प्रिंकलर तकनीक से आई क्रांतिब्रोकली की खेती में Integrated Nutrient Management और Mini Sprinkler System से मिज़ोरम के किसानों को मिली उन्नत पैदावार और बेहतर आमदनी।
- Pangasius Fish Cluster : उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में डेवलप हो रहा उत्तर भारत का ‘पंगेसियस क्लस्टर’सिद्धार्थनगर (Siddharthnagar) में बनने वाले पंगेसियस क्लस्टर (Pangasius Fish Cluster) में मछली के प्रोडक्शन, प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग), पैकेजिंग और एक्सपोर्ट की सभी सुविधाएं होंगी। इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेगा और किसानों की आय बढ़ेगी।
- Meri Panchayat App : ‘मेरी पंचायत ऐप’ से पाएं पंचायत की हर जानकारी और मौसम का पूर्वानुमान सिर्फ एक क्लिक पर! केंद्र सरकार की ओर से लॉन्च किया गया ‘मेरी पंचायत’ App (Meri Panchayat App) ग्रामीण भारत को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये ऐप न सिर्फ पंचायत से जुड़ी सभी योजनाओं, फंड और विकास के कामों की जानकारी देता है, बल्कि अब इसमें 5 दिन का मौसम पूर्वानुमान (5 day weather forecast) भी शामिल किया गया है।
- Primary Agricultural Credit Society: PACS के ज़रिये से सहकारिता क्रांति, किसानों को मिल रहीं कृषि सेवाएं और सस्ता ऋणगांव में मल्टीपर्पस PACS (primary agricultural credit societies) के तहत डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित की जा रही है। ये योजना किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली है, जिसमें कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, भंडारण, मार्केटिंग और डिजिटल सेवाओं का विस्तार शामिल है।
- प्राकृतिक खेती अपनाकर सेब की खेती में सफल हुए हिमाचल के प्रगतिशील किसान भगत सिंह राणाप्राकृतिक खेती से सेब की खेती को नया जीवन देने वाले भगत सिंह राणा की कहानी पढ़ें और जानिए खेती में बदलाव की राह।
- कैसे विदेशी सब्ज़ियों की खेती में पुलवामा के किसान ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने हासिल की कामयाबीकश्मीर की ज़मीन पर विदेशी सब्ज़ियों की खेती ने दस्तक दी है। शोपियां के ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने पुलवामा में ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, चाइनीज़ गोभी और केल की खेती कर मिसाल पेश की है। किसान उनके फ़ार्म को देखने और उनसे सीखने भी आते हैं।
- Analog Cheese का धोखा: दूध की जगह प्लांट-बेस्ड मिलावट! FSSAI ने कसी नकेल, जानिए कैसे करें नकली पनीर की पहचान?असली पनीर 100 फीसदी दूध से बनता है, जबकि एनालॉग पनीर (Analog cheese) में दूध की जगह सोया प्रोटीन, वनस्पति तेल, टैपिओका स्टार्च, नारियल तेल और केमिकल्स मिलाए जाते हैं। ये पनीर दिखने में तो असली जैसा लगता है, लेकिन स्वाद और पोषण में बिल्कुल फर्क होता है।
- प्रधानमंत्री कुसुम योजना से झुंझुनूं के 1500 किसानों को मिलेगा सोलर पंप का तोहफ़ा, 60% सब्सिडीप्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM Kusum Scheme) से झुंझुनूं के 1500 किसानों को मिलेगा सोलर पंप, सरकार दे रही है 60% सब्सिडी और 5 साल की वारंटी।