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मुंजा घास (Munja Grass) की खेती कैसे बन सकती है अतिरिक्त आमदनी का ज़रिया? साथ ही हैं कई फ़ायदे

मृदा कटाव को 75 फ़ीसदी तक कम करती मुंजा घास

मुंजा घास नदियों, सड़कों, हाईवे, रेलवे लाइनों और तालाब के किनारे खाली जगह पर कुदरती रुप से उग आती है। यह घास भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पायी जाती है। किसान इसको आसानी से लगा सकते हैं।

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भारत सरकार लगातार किसानों की आय को दोगुनी करने की बात कह रही है। अब किसान की आय को दोगुना करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन योजनाओं से किसान को भी लाभ मिल रहा है। आप सोच रहे होंगे कि इस लेख में किसी सरकारी योजना को लेकर चर्चा होने वाली है, लेकिन यहां बात हो रही है मुंजा घास की। मुंजा एक बहुवर्षीय घास है, जो कि गन्ना प्रजाति की होती है। यह घास ग्रेमिनी कुल से संबंध रखती है। इसके पौधे की लंबाई 5 मीटर तक होती है। मुंजा घास की खेती करने से किसान को एक अतिरिक्त फ़ायदा ये भी है कि किसान एक बार इसको लगा दे तो इसके पौधे की जड़ फैलने के बाद लगभग 24-30 साल तक नहीं मरती हैं। मरुस्थलीय प्रदेशों में मुंजा घास मिट्टी के कटाव को रोकने का काम करती है।

मूंजा घास किस परिस्थिति में पनपती है?

मुंजा घास नदियों, सड़कों, हाईवे, रेलवे लाइनों और तालाब के किनारे खाली जगह पर कुदरती रुप से उग आती है। यह घास भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पाई जाती है। किसान इसको आसानी से लगा सकते हैं। भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में लगभग 33 फ़ीसदी लोगों को रोज़गार मिलता है।

मुंजा घास
तस्वीर आभार- विकिपीडिया

मुंजा एक औषधीय पौधा

मुंजा की जड़ों का दवाई के रुप में उपयोग बताया गया है। इसके पौधे, पत्तियां, जड़ और तने इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके पौधे की जड़ों से दवाइयां भी बनाई जाती हैं। आपको बता दें कि पुराने समय में जब अंग्रेजी दवाइयां नहीं थी तो हकीम इसको उपयोग में लाते थे।

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मुंजा घास की खेती कैसे करें?

मुंजा घास रेतीली, ढलानदार और हल्की मिट्टी में उगाया जा सकती है। यह मुख्यतः जड़ों से रोपित की जाती है। एक पौधे (मदर प्लांट) से तैयार होने वाली 25 से 40 छोटी जड़ों के द्वारा इसको लगाया जाता है। जुलाई महीने में पौधों से नई जड़ें निकलने लगे तब इन्हें बोना चाहिए। इनको 30 बाय 30 सेंटीमीटर आकार के गड्ढों में 76 बाय 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए। इसकी 30,000 से 35,000 जड़ें प्रति हेक्टेयर लागाई जा सकती हैं। मुंजा को रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं पड़ती फिर भी यदि ज़रुरत हो तो 15-20 टन प्रति हेक्टेयर देसी खाद डालनी चाहिए। इसकी औसत पैदावर 350-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है।

मुंजा घास
तस्वीर आभार: ICAR

इन बातों का रखें ध्यान

  • जब किसान पौधे खेत में लगा दें तो उसके दो महीने बाद उनको जानवरों से बचाना चाहिए। इसको लगाने के बाद सूखाग्रस्त इलाके में किसानों को तुरंत पानी देना चाहिए। इससे पौधे हरे और स्वस्थ रहते हैं।
  • किसान पानी देते समय ध्यान रखें कि पानी का जमाव पौधे की जड़ों के लिए हानिकारक होता है। इससे पौधों की जड़ों का विकास रुक जाता है।
  • पहली बार लगभग 12 महीने के बाद मुंजा को जड़ों से 30 सेंटीमीटर ऊपर से काटना चाहिए। मुंजा के पौधों की कटाई हर साल करनी चाहिए।

कब और कैसे करें मुंजा घास की कटाई

मुंजा घास की कटाई हर साल अक्टूबर से नवंबर में करनी चाहिए। किसान को कटाई तब करनी चाहिए जब पौधे की ऊंचाई 10 से 12 फ़ीट हो जाए और पत्तियां सूखने लगे और पीली पड़ जाएं। कटाई के बाद सरकंडों को सूखने के लिये 5-8 दिनों तक खेत में इकट्ठा करके फूल वाला भाग ऊपर तथा जड़ वाला भाग नीचे करके खेत में मेड़ों के पास खड़ा करके सुखाना चाहिए। सूखने के बाद कल्लों से फूल वाला भाग अलग कर लें और बाजार में बेचने के लिये भेजना चाहिए। सूखने के बाद फूलों को अलग करके बाजार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक, इस फसल से 85,000 से 100,000 रुपये तक की कमाई की जा सकती है।

मुंजा के अलग-अलग उपयोग

• मुंजा को घरेलू सामान जैसे चारपाई, बीज साफ करने के लिए छाज, रस्सी, बच्चों का झूला, छप्पर आदि बनाने के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाता है।

• मुंजा का पौधा मृदा कटाव को 75 फ़ीसदी तक कम करता है।

• खेतों के चारों ओर मेड़ों पर मुंजा की फसल लगाने से अन्य फसलों को लू से बचा सकते हैं।

• मुंजा का प्रयोग ग्रीसिंग पेपर बनाने में भी किया जाता है।

• पशुओं के पैर की हड्डी टूट जाने पर इसके सरकंडों को मुंजा की रस्सी से चारों तरफ बांधने पर आराम मिलता है।

• पत्तियों की कुट्टी करके पशुओं को खिलाने से हरे चारे की पूर्ति हो जाती है।

• इसकी राख से कीटनाशक जैविक उत्पाद बनाए जाते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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