हाइड्रोपोनिक्स यानी ‘मिट्टी के बग़ैर फसल उगाने की तकनीक’। खेती के इस आधुनिक तरीके में संरक्षित वातावरण में तरल माध्यम से फसलों को उपयुक्त पोषण मुहैया करवाकर पैदावार ली जाती है। सबसे ख़ास बात है कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक (Hydroponics Technique) से कृषि उत्पादन करने वाले उद्यमी अपने उत्पादों को ‘जैविक खेती’ के समकक्ष बताकर बाज़ार में अच्छे दाम पर बेच रहे हैं और बढ़िया मुनाफ़ा कमा रहे हैं। इसके पीछे तर्क ये है कि हाइड्रोपोनिक तकनीक से पैदा हुई सब्जियाँ किसी भी अन्य विधि से पैदा हुई सब्जियों के मुकाबले कहीं ज़्यादा रसायनमुक्त और साफ़-सुथरी होती हैं। मिट्टी के बग़ैर और बेहद नियंत्रित माहौल की इस पैदावार में प्रदूषित पदार्थों का अंश भी नगण्य ही होता है।
हाइड्रोपोनिक विधि से घट सकता है आयात
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, नयी दिल्ली में बतौर उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) कार्यरत डॉ अशोक कुमार सिंह के अनुसार, भारत में अभी सालाना 50 अरब रुपये से ज़्यादा मूल्य का विदेशी हरा सलाद आयातित होता है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार के लिए ये बोझ ख़ासा अहम है। हाइड्रोपोनिक तकनीक का सुखद पहलू ये भी है कि इसकी बदौलत देश में ही आयायित किस्म के फलों-सब्ज़ियों को कम लागत पर पैदा किया जा सकता है। इससे जहाँ आयात का बोझ घटता है, वहीं उपभोक्ताओं को भी कम दाम पर उनका मनचाहा उत्पाद मिल जाता है।
ये भी पढ़ें – मिट्टी रहित खेती (Hydroponic Farming): आज की स्थिति में हाइड्रोपोनिक खेती स्वास्थ्य और धन के लिए एक बेहतर विकल्प है
तेज़ी से फैल रही है हाइड्रोपोनिक्स तकनीक
बकौल डॉ अशोक कुमार सिंह, ये निर्विवाद सच है कि अनेक वजहों से जहाँ खेती योग्य ज़मीन की उपलब्धता लगातार घट रही है वहीं मौजूदा खेतों की मिट्टी की उपजाऊपन में भी लगातार कमी आ रही है। ऐसी दशा में बढ़ती आबादी की खाद्यान्न की माँग को पूरा करने कठिन होता जा रहा है। इसीलिए परम्परागत खेती का बेहतरीन विकल्प बनकर हाइड्रोपोनिक्स तकनीक ख़ासी तेज़ी से अपना विस्तार कर रही है। हालाँकि, व्यावहारिक तौर पर देखें तो हाइड्रोपोनिक्स तकनीक चाहे जितनी लाभकारी बन जाए, इसकी वजह से मिट्टी को दक्षता को सुधारने के उपायों की अनदेखी नहीं की जा सकती।
सेहत के लिए बेहतर है हाइड्रोपोनिक्स उपज
वैज्ञानिक अनुसन्धानों से ही नहीं बल्कि कृषि उद्यमियों ने भी अब सफलतापूर्वक ये साबित कर दिया है कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की बदौलत मिट्टी के मुकाबले कहीं ज़्यादा तेज़ी से पौधों का न सिर्फ़ विकास सम्भव है, बल्कि ऐसी खेती से होने वाली उपज भी सेहत के लिए कहीं ज़्यादा बेहतर है। फ़िलहाल, हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का उपयोग और प्रचलन बागवानी फसलों और सब्जी की खेती में ज़्यादा हो रहा है। कम वक़्त में तैयार होने वाली बागवानी फसलों के मामले में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक अपेक्षाकृत ज़्यादा उपयोगी साबित हुई है।
ये भी पढ़ें – हाइड्रोपोनिक खेती: तालाब में मछलियों और सब्ज़ियों की एक साथ खेती
सुपर मार्केट्स और ऑनलाइन में है ख़ूब माँग
पालक, स्ट्रॉबेरी के अलावा कुछ अन्य सब्जियों तथा फूलों और ख़ासकर विदेशी नस्ल वाली सब्जियों की पैदावार में इस तकनीक से बढ़िया नतीज़े मिले हैं। यही वजह है कि देश के बड़े शहरों में मौजूद सुपर मार्केट्स के अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग के मामले में भी हाइड्रोपोनिक विधि से तैयार कृषि उत्पादों की बिक्री का ग्राफ़ लगातार ऊँचा होता जा रहा है। ऐसे उत्पादों के प्रति लोगों के बढ़ते आकर्षण का ही नतीज़ा है कि अब नामी-गिरमी होटलों, रेस्त्राँ, क्लाउड किचन, कॉरपोरेट कैंटीन आदि में रोज़ाना बड़ी मात्रा में हाइड्रोपोनिक खेती के उत्पाद खरीदे जा रहे हैं।
प्रगतिशील किसानों के लिए कमाई बढ़ाने का बढ़िया विकल्प
आम लोगों में स्वास्थ्य और भोजना सामग्री की गुणवत्ता को लेकर बढ़ती जागरूकता को देखते हुए ये उम्मीद जतायी जा सकती है कि आने वाले वक़्त में हाइड्रोपोनिक तकनीक से पैदा हुए कृषि उत्पादों की माँग में तेज़ी का सिलसिला और बढ़ेगा ही। इसीलिए कृषि उद्यमियों के अलावा प्रगतिशील किसानों और खेती-बाड़ी में शौकिया दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए भी हाइड्रोपोनिक तकनीक नये अवसरों की अनन्त सम्भावनाएँ पेश करता है। ज़ाहिर है, ऐसे लोगों को जल्द से जल्द हाइड्रोपोनिक तकनीक को अपनाकर अपने लिए समृद्धि का नया द्वार खोलने की कोशिश करनी चाहिए।
अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।
ये भी पढ़ें:
- Modern Farming Methods: खेती की आधुनिक तकनीकें जिसे अपनाकर किसान कर सकते हैं सफ़ल खेतीआज के इस मॉर्डन युग में तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ा है, ऐसे में भला कृषि कैसे इससे पीछे रह सकती है। आधुनिक तकनीकों से लेकर उपकरणों तक के इस्तेमाल ने किसानों के लिए खेती को न सिर्फ आसान बना दिया है, बल्कि इसे अधिक मुनाफे का सौदा बना दिया है।
- Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: जानिए राइस ब्रान ऑयल-सनफ्लॉवर ऑयल में अंतर और ख़ूबियों के साथ इसका बाज़ारराइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल को ई-लॉन्च किया है।राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हो रही है।वहीं साल 2024-2032 के दौरान इंडियन सनफ्लावर ऑयल मार्केट 7 फीसदी की CAGR प्रदर्शित करेगा।
- Lemongrass: जानिए लेमनग्रास की खेती में जुड़ी अहम बातें प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज लवानिया से, उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तकबुंदेलखंड जैसे इलाके में जहां पानी की समस्या है और बड़ी मात्रा में ज़मीन बंजर पड़ी रहती है, लेमनग्रास की खेती यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है।
- Eucalyptus Farming: सफेदा की क्लोनल किस्मों से किसान कर सकते हैं बढ़िया कमाई, जानिए खेती की तकनीकसफेदा की खेती लकड़ी के लिए की जाती है। इसकी लकड़ी का उपयोग बड़े सामान की लदाई करने वाली पेटियां बनाने के साथ ही ईंधन, फर्नीचर, हार्डबोर्ड और पार्टिकल बोर्ड बनाने में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा ही रहती है।
- कैसे औषधीय पौधों की खेती पर किसानों की मदद करता है ये कृषि विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर विनोद कुमार से बातचीतबुंदेलखंड के किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करने के मकसद से झांसी के रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान बनाया गया है।
- Aeroponic Technique से बंद कमरे में केसर की खेती, हिमाचल के गौरव ने इंटरनेट से सीख कर शुरू किया केसर उत्पादनगौरव Aeroponic Technique से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है।
- Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी की सेहत अच्छी रहेगी, तभी तो अधिक उपज प्राप्त होगी। रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है, ऐसे में इसकी सेहत बनाए रखने के लिए मृदा प्रबंधन बहुत ज़रूरी… Read more: Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?
- Crop Rotation Strategies: खेती में फसल चक्र की कितनी अहम भूमिका? डॉ. राजीव कुमार सिंह ने दिया IFS Model का उदाहरणखेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- क्या हैं Urban Farming Trends? कैसे शहरी खेती बन रही कमाई का ज़रिया?जब शहरों में लोग अपने शौक से थोड़ा आगे बढ़कर घर की छत, बालकनी, कम्यूनिटी गार्डन और घर के नीचे की जगह या घर के अंदर की खाली जगह में वर्टिकल गार्डन बनाकर खेती करने लगते हैं, तो इसे ही शहरी खेती कहा जाता है।
- Integrated Pest Management: क्यों एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM तकनीक) फसलों के लिए है ज़रूरी? जानिए विशेषज्ञ सेखेती की लागत को कम करने और इसे ज़्यादा लाभदायक बनाने के लिए प्रमाणित व उपचारित बीजों का इस्तेमाल, सही मात्रा में उर्वरकों के उपयोग और सिंचाई की उचित व्यवस्था के साथ ही एकीकृत कीट प्रबंधन यानि Integrated Pest Management भी ज़रूरी है।
- Agriculture Equipment : Bed Maker Machine किसानों के लिए है कितनी उपयोगी और मिलेगी कितनी Subsidy?मल्टी पर्पस Bed Maker Machine किसानों के समय की बचत करने के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करती है।
- Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।
- Ragi Crop: रागी की फसल से क्या-क्या तैयार किया जा सकता है? रागी की खेती से जुड़ी अहम जानकारीरागी की फसल (Ragi Crop) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा खेती होती है। केरल, कर्नाटक राज्यों में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
- Sindoor Plant: सिंदूर की खेती कैसे होती है? सिंदूर के पौधे से क्या-क्या बनता है और कहां से लें ट्रेनिंग?आपने अभी तक कई चीज़ों की खेती के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी सिंदूर की खेती के बारे में सुना है? कम ही लोग जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता है, जिससे ऑर्गेनिक लाल रंग का सिंदूर बनता है। साथ ही और कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जानिए सिंदूर का पौधा कैसे उगाया जाता है और सिंदूर की खेती से जुड़ी अहम जानकारियां सीधा एक्सपर्ट से।
- Agriculture Drone क्या है? कृषि ड्रोन में सब्सिडी के लिए कौन सी योजनाएं चलाई जा रही हैं?Agriculture Drone की खरीद के लिए महिला समूह को ड्रोन की कीमत का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपये तक की मदद दी जा रही है। योजना के तहत SC-ST, छोटे व सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को ड्रोन का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है।
- कैसे महुआ के उत्पाद बनाकर महिलाओं के इस समूह ने कमाल किया है? Bastar Foods आज बना ब्रांडमहुआ एक तरह का फूल है जिसमें बहुत ही तेज़ महक होती है, आमतौर पर इसे शराब बनाने के लिए जाना जाता है, लेकिन अब इससे कई तरह की स्वादिष्ट और हेल्दी चीज़ें बनाई जा रही हैं। जानिए कैसे महुआ के उत्पाद (Mahua Products) बनाकर बस्तर की गुलेश्वरी ठाकुर और उनकी टीम ने इससे लाखों का बिज़नेस खड़ा कर दिया है।
- अगरवुड पेड़ की खेती (Agarwood Farming): सोने-हीरे से भी ज़्यादा महंगी अगरवुड की लकड़ी!अगरवुड पेड़ की खेती में एक एकड़ में 400 से 450 पौधे लग सकते हैं। 12 फ़ीट चौड़ाई और 10 फ़ीट लंबाई की दूरी पर पौधे को रोपना चाहिए। अगरवुड प्लांट की कीमत 200 रुपए होती है।
- Rose Varieties: छत पर उगा दी गुलाब की 150 किस्में, जानिए Terrace Gardening की टिप्स अनिल शर्मा सेफूलों की सुंदरता भला किसे आकर्षित नहीं करती, मगर हर कोई इसे घर में उगा नहीं पाता है। क्योंकि इसमें मेहनत लगती है, मगर झांसी के अनिल शर्मा ने अपने शौक को पूरा करने के लिए एक दो नहीं, बल्कि छत पर 700 गमले लगाए हुए हैं। जानिए उनसे गुलाब की किस्मों से लेकर Terrace Gardening के टिप्स।
- Hybrid Tomato Varieties In India: हाइब्रिड टमाटर की इन 10 उन्नत किस्मों की खेती कितनी फ़ायदेमंद?भारत में उच्च उपज वाली टमाटर की किस्मों (High Yield Tomato Varieties In India) की खेती से किसान अच्छा लाभ ले सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों की ओर से ऐसी कई किस्में तैयार की गई हैं। पढ़िए ऐसी ही किस्मों में से उन 10 हाइब्रिड टमाटर की किस्मों के बारे में जो टमाटर की अच्छी उपज देने के लिए जानी जाती है।
- Krishi Vigyan Kendra: किस मकसद के साथ शुरू हुए कृषि विज्ञान केन्द्र? देश भर में मनाई गई स्वर्ण जयंतीकृषि विज्ञान केन्द्र (Krishi Vigyan Kendra, KVK) भारत में कृषि और कृषि से जुड़े अन्य आयामों के टेक्नोलॉजी विस्तार का एक केन्द्र है। जहां पर किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों से लेकर किस्मों की ट्रेनिंग या फ़ार्म विज़िट के माध्यम से नई-नई जानकारियां दी जाती हैं।