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Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक उपज से कैसे होती है ‘जैविक खेती’ जैसी कमाई?

हानिकारक रसायनों और प्रदूषण से मुक्त होते हैं हाइड्रोपोनिक तकनीक से पैदा हुए कृषि उत्पाद

बड़े शहरों में मौजूद सुपर मार्केट्स के अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग के मामले में भी हाइड्रोपोनिक विधि से तैयार कृषि उत्पादों की बिक्री तेज़ी बढ़ रही है। अब नामी-गिरमी होटलों, रेस्त्राँ, क्लाउड किचन, कॉरपोरेट कैंटीन आदि में रोज़ाना बड़ी मात्रा में हाइड्रोपोनिक खेती के उत्पाद खरीदे जा रहे हैं।

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हाइड्रोपोनिक्स यानी ‘मिट्टी के बग़ैर फसल उगाने की तकनीक’। खेती के इस आधुनिक तरीके में संरक्षित वातावरण में तरल माध्यम से फसलों को उपयुक्त पोषण मुहैया करवाकर पैदावार ली जाती है। सबसे ख़ास बात है कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक (Hydroponics Technique) से कृषि उत्पादन करने वाले उद्यमी अपने उत्पादों को ‘जैविक खेती’ के समकक्ष बताकर बाज़ार में अच्छे दाम पर बेच रहे हैं और बढ़िया मुनाफ़ा कमा रहे हैं। इसके पीछे तर्क ये है कि हाइड्रोपोनिक तकनीक से पैदा हुई सब्जियाँ किसी भी अन्य विधि से पैदा हुई सब्जियों के मुकाबले कहीं ज़्यादा रसायनमुक्त और साफ़-सुथरी होती हैं। मिट्टी के बग़ैर और बेहद नियंत्रित माहौल की इस पैदावार में प्रदूषित पदार्थों का अंश भी नगण्य ही होता है।

हाइड्रोपोनिक विधि से घट सकता है आयात

भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, नयी दिल्ली में बतौर उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) कार्यरत डॉ अशोक कुमार सिंह के अनुसार, भारत में अभी सालाना 50 अरब रुपये से ज़्यादा मूल्य का विदेशी हरा सलाद आयातित होता है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार के लिए ये बोझ ख़ासा अहम है। हाइड्रोपोनिक तकनीक का सुखद पहलू ये भी है कि इसकी बदौलत देश में ही आयायित किस्म के फलों-सब्ज़ियों को कम लागत पर पैदा किया जा सकता है। इससे जहाँ आयात का बोझ घटता है, वहीं उपभोक्ताओं को भी कम दाम पर उनका मनचाहा उत्पाद मिल जाता है।

हाइड्रोपोनिक खेती (hydroponic farming technique)
तस्वीर साभार: livemint

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तेज़ी से फैल रही है हाइड्रोपोनिक्स तकनीक

बकौल डॉ अशोक कुमार सिंह, ये निर्विवाद सच है कि अनेक वजहों से जहाँ खेती योग्य ज़मीन की उपलब्धता लगातार घट रही है वहीं मौजूदा खेतों की मिट्टी की उपजाऊपन में भी लगातार कमी आ रही है। ऐसी दशा में बढ़ती आबादी की खाद्यान्न की माँग को पूरा करने कठिन होता जा रहा है। इसीलिए परम्परागत खेती का बेहतरीन विकल्प बनकर हाइड्रोपोनिक्स तकनीक ख़ासी तेज़ी से अपना विस्तार कर रही है। हालाँकि, व्यावहारिक तौर पर देखें तो हाइड्रोपोनिक्स तकनीक चाहे जितनी लाभकारी बन जाए, इसकी वजह से मिट्टी को दक्षता को सुधारने के उपायों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

सेहत के लिए बेहतर है हाइड्रोपोनिक्स उपज

वैज्ञानिक अनुसन्धानों से ही नहीं बल्कि कृषि उद्यमियों ने भी अब सफलतापूर्वक ये साबित कर दिया है कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की बदौलत मिट्टी के मुकाबले कहीं ज़्यादा तेज़ी से पौधों का न सिर्फ़ विकास सम्भव है, बल्कि ऐसी खेती से होने वाली उपज भी सेहत के लिए कहीं ज़्यादा बेहतर है। फ़िलहाल, हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का उपयोग और प्रचलन बागवानी फसलों और सब्जी की खेती में ज़्यादा हो रहा है। कम वक़्त में तैयार होने वाली बागवानी फसलों के मामले में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक अपेक्षाकृत ज़्यादा उपयोगी साबित हुई है।

हाइड्रोपोनिक खेती (hydroponic farming technique)
तस्वीर साभार: hydroponicfarmtips

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सुपर मार्केट्स और ऑनलाइन में है ख़ूब माँग

पालक, स्ट्रॉबेरी के अलावा कुछ अन्य सब्जियों तथा  फूलों और ख़ासकर विदेशी नस्ल वाली सब्जियों की पैदावार में इस तकनीक से बढ़िया नतीज़े मिले हैं। यही वजह है कि देश के बड़े शहरों में मौजूद सुपर मार्केट्स के अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग के मामले में भी हाइड्रोपोनिक विधि से तैयार कृषि उत्पादों की बिक्री का ग्राफ़ लगातार ऊँचा होता जा रहा है। ऐसे उत्पादों के प्रति लोगों के बढ़ते आकर्षण का ही नतीज़ा है कि अब नामी-गिरमी होटलों, रेस्त्राँ, क्लाउड किचन, कॉरपोरेट कैंटीन आदि में रोज़ाना बड़ी मात्रा में हाइड्रोपोनिक खेती के उत्पाद खरीदे जा रहे हैं।

प्रगतिशील किसानों के लिए कमाई बढ़ाने का बढ़िया विकल्प

आम लोगों में स्वास्थ्य और भोजना सामग्री की गुणवत्ता को लेकर बढ़ती जागरूकता को देखते हुए ये उम्मीद जतायी जा सकती है कि आने वाले वक़्त में हाइड्रोपोनिक तकनीक से पैदा हुए कृषि उत्पादों की माँग में तेज़ी का सिलसिला और बढ़ेगा ही। इसीलिए कृषि उद्यमियों के अलावा प्रगतिशील किसानों और खेती-बाड़ी में शौकिया दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए भी हाइड्रोपोनिक तकनीक नये अवसरों की अनन्त सम्भावनाएँ पेश करता है। ज़ाहिर है, ऐसे लोगों को जल्द से जल्द हाइड्रोपोनिक तकनीक को अपनाकर अपने लिए समृद्धि का नया द्वार खोलने की कोशिश करनी चाहिए।

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