घोड़ा पालन: अगर करोड़ों रुपये की इस नस्ल की घोड़ी पाल सकते हैं तो लक्ष्मण सिंह यादव की ये टिप्स आपके काम की हैं

घोड़ा पालन कोई आसान काम नहीं। इनके रखरखाव पर अच्छे से ध्यान देना होता है। शौकिया तौर पर घोड़ा पालने की सोच रहे हैं तो एक बार लक्ष्मण सिंह इन इन टिप्स पर ज़रूर गौर कर लें।

शौक बड़ी चीज़ है जनाब! घोड़ा पालना सब की बस की बात नहीं। दिखने में भले ही घोड़ा पालन कुछ लोगों को आसान लगता हो, लेकिन जब मैदान में उतरते हैं तो कई बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है। जयपुर से 45 किलोमीटर दूर चकरोजा के रहने वाले लक्ष्मण सिंह यादव घोड़ा पालन से जुड़े हैं। लक्ष्मण सिंह 1975 से ‘लक्ष्मण सिंह स्टड फ़ार्म’ की बागडोर संभाल रहे हैं। उनके पिता, दादा और परदादा भी घोड़ा पालन में सक्रिय रहे। लक्ष्मण सिंह के पास 10 से 11 घोड़ियां हैं। घोड़ा पालन के साथ ही वो गौपालन और खेती भी करते हैं। बाजरा, मूंगफली, मूंग, तिल,गेहूं और चना की पैदावार करते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता गौरव मनराल जयपुर पहुंचे और लक्ष्मण सिंह यादव से घोड़ा पालन को लेकर बात की। उन्होंने घोड़े पालन से जुड़ी कई ज़रूरी बातें हमसे साझा की।

घोड़े पालने  की कैसे करें शुरुआत?

किसान ऑफ़ इंडिया के पाठकों से घोड़े पालन की टिप्स शेयर करते हुए लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि शुरुआत में आप दो घोड़ी खरीदो। अगर घोड़ियां प्रसव अवस्था में हो तो बढ़िया है, न भी हो तो कोई दिक्कत नहीं है। घोड़ी खरीद में पैसा ज़्यादा ज़रूर खर्च होगा, लेकिन आगे चलकर ये मुनाफ़ा भी देता है। लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि घोड़ी 24 से 25 महीने के बाद बछेरा (घोड़ी का बच्चा) पैदा करने में सक्षम होती है। घोड़ी की गर्भावस्था 11 से साढ़े 11 साल होती है।

दो दांत वाली घोड़ी ढाई साल की होती है। इनके रखरखाव में कुछ खास दिक्कतें नहीं आती, लेकिन डॉक्टर के संपर्क पर रहना ज़रूरी होता है। घोड़े ढाई साल से जवान होना शुरू हो जाते हैं। इनकी वयस्क अवस्था साढ़े पांच से 6 साल तक रहती है।

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घोड़ी के गर्भधारण में इन बातों का रखा जाना चाहिए ख्याल

अच्छी नस्ल के घोड़े को बाज़ार में अच्छा दाम मिल जाता है। एक घोड़ी तीन से साढ़े तीन साल में दो बच्चे दे देती है। फिर चार महीने के अंतराल बाद ही दोबारा गर्भधारण कराया जाता है। लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि आमतौर पर कुछ लोग 8 दिन या 28 दिन के अंतराल में ही गर्भधारण की प्रक्रिया में लग जाते हैं, जो गलत है। कम अंतराल होने की वजह से घोड़ी की प्रजनन क्षमता पर खराब असर पड़ता है और उसकी उम्र  कम होने का डर भी रहता है।

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घोड़ा पालन: अगर करोड़ों रुपये की इस नस्ल की घोड़ी पाल सकते हैं तो लक्ष्मण सिंह यादव की ये टिप्स आपके काम की हैं

चारे में घोड़ों को क्या-क्या खिलाना चाहिए? रखरखाव पर दें खास ध्यान

लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि इनके चारे में ज़्यादा लागत नहीं आती। दिनभर में एक बार हरा चारा, दो बार अनाज देने की ज़रूरत होती है। जौ, बाजरा, खली, गुड़ और प्रोटीन की मात्रा को पूरा करने के लिए दाल खिलानी चाहिए। गर्मियों में घोड़ों को बाजरा नहीं देना चाहिए। उसकी जगह गेहूं की चापड़, चने की चूरी दें। वहीं नेपियर घास घोड़ों के लिए अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती कर सकते हैं। ये लंबे समय तक चलती है। इसका पौधा एक बार विकसित होने पर लगातार सात साल तक हरा चारा देता है। एक बार लगा लिया तो लंबे समय के लिए दोबारा बोने का खर्चा नहीं रहता। इस वजह से ये सस्ता भी पड़ता है। इसके अलावा ज्वार भी पशु चारे के रूप में सबसे ज़्यादा पौष्टिक मानी जाता है। ज्वार को हरे चारे के रूप में या सुखाकर, भूसी बनाकर और उसमें दाने मिलाकर घोड़ों को दे सकते हैं। मूंगफली का चारा भी सोने पर सुहागा है। इससे पचने में आसानी होती है। चौबीसों घंटे पानी की व्यवस्था भी होनी चाहिए। आधे घंटे के लिए सुबह और शाम घोड़ों को खुला भी छोड़ना चाहिए। लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि घोड़ों को खुला वातावरण दें। इससे वो खुश रहते हैं।

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घोड़ा पालन में और किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी?

अगर कोई नया आदमी घोड़ा पालन करना चाहता है, तो पूरी जानकारी लेने के बाद ही शुरुआत करे। तबेलों में जाएं, घोड़ा खरीद की प्रक्रिया को बारीकी से देखें। शुरुआत में तबेले के निर्माण में ज़्यादा खर्च न करें। हर जानवर के लिए एक अलग जगह  तैयार करें। दो घोड़े एक साथ नहीं रह सकते। दो घोड़ों के बीच कोई लकड़ी की या जालिनुमा दीवार बना दें।

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घोड़ा पालन: अगर करोड़ों रुपये की इस नस्ल की घोड़ी पाल सकते हैं तो लक्ष्मण सिंह यादव की ये टिप्स आपके काम की हैंक्यों है देवली लाइन का दबदबा?

लक्ष्मण सिंह ने अपने फ़ार्म में देवली लाइन की मारवाड़ी घोड़ियां पाली हुई हैं। लक्ष्मण सिंह ने बताया कि इनका कद ऊंचा होता है और पैर मजबूत होते हैं। इनके पैर कभी खराब नहीं होते। ये काभी लात नहीं मारतीं । लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि जितने  भी प्रतियोगी मेले या फेस्टिवल होते हैं, उनमें 70 फ़ीसदी देवली नस्ल ही पुरस्कार जीतती हैं। ये स्वभाव से शांत होते हैं, लेकिन मैदान में उतरते ही तूफ़ान की रफ्तार से दौड़ लगाते हैं।

लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि  कोई अगर देवली लाइन की घोड़ी खरीदना चाहता है तो ये बहुत महंगी पड़ती है। इसकी कीमत 10 लाख से शुरू होकर 2 से 3 करोड़ तक जाती है। लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि घोड़ी खरीद से पहले आपको इसकी हर चीज़ के बारे में पता करना होगा। मिक्स ब्रीड से बचने के लिए आपको जानकारी जुटानी होगी। शुरुआत में ही सावधानी बरतनी होगी। अन्य घोड़ा पालकों से संपर्क करें। घोड़ों के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी लें। 

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