उत्तर भारत में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है। रात का तापमान करीब 8 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है। ऐस में अगर इस क्षेत्र के किसान परंपरागत विधि से नर्सरी में सब्जी के पौधे तैयार करते हैं, तो बीज अंकुरित नहीं हो पाते। इसकी वजह से किसानों को टमाटर, मिर्च, खीरा, लौकी, करेला, तरबूज, खरबूज और ककड़ी जैसी ग्रीष्मकालीन सब्जियों के बीज बुवाई फरवरी महीने के मध्य में करनी पड़ती है। इस दौरान बोई गई फसल अप्रैल-मई के महीने में तैयार होती है। नतीजतन, बड़े स्तर पर सब्जी का उत्पादन होने से किसानों को अच्छा मुनाफ़ा नहीं मिल पाता।
हम आपको इस लेख में एक ऐसी तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही पहले से आप जानते हों। इस तकनीक को अपनाकर उत्तर प्रदेश के किसान सतपाल सैनी अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। किसान ऑफ़ इंडिया की टीम ने इस तकनीक को लेकर ICAR-भारतीय सब्जी अनुसंधान परिषद (IIVR) वाराणसी के वेजिटेबल साइंस के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ सूर्यनाथ चौरसिया से बात की। साथ ही सतपाल सैनी ने अपने अनुभव भी हमसे साझा किए। इस तकनीक का नाम है लो टनल पॉलीहाउस (Low Tunnel Polyhouse)।
लो टनल पॉलीहाउस में नर्सरी पौधे उगाने की तकनीक
IIVR के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ सूर्यनाथ चौरसिया ने Kisan of India से बातचीत में बताया कि लो टनल पॉलीहाउस तकनीक में सबसे पहले नर्सरी बेड तैयार किया जाता है। नर्सरी बेड बनाने के लिए एंटी-जंग रॉड या बांस की डंडियों का इस्तेमाल किया जाता है। बांस की डंडियों या लोहे की छड़ों को 2 से 3 फीट ऊंची अर्धचंद्राकार संरचना बनाकर 20 से 30 माइक्रोन मोटी और दो मीटर चौड़ी सफेद पारदर्शी प्लास्टिक पॉलीथीन से ढक दिया जाता है। ये पॉलीथीन 150 रुपये प्रति मीटर की दर से बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
खेत में ज़रूरत के अनुसार लंबा बेड बनाया जाता है। इसके बाद, बेडों में आधा से 1 सेंटीमीटर की गहराई पर बीजों को बोया जाता हैं। लो टनल पॉलीहाउस एक टनल की तरह दिखाई देता है। इसके अंदर ही पौधे उगाए जाते हैं। लो टनल के अंदर मिट्टी और गोबर की खाद को 1:1 के अनुपात में पॉलीबैग में भरकर बीज बो सकते हैं। इसके अलावा, बाज़ार में 30 से 40 रुपये में उपलब्ध Pro Tray में बीज बो कर लो टनल में रख सकते हैं। इस तकनीक की मदद से पौधे 30 से 40 दिनों में तैयार हो जाते हैं। 10 हेक्टेयर में सब्जी की खेती के लिए एक मीटर चौड़ा और 10 मीटर लंबा एक लो टनल काफ़ी है।
लो टनल पॉलीहाउस में इन बातों का रखें ध्यान
कृषि वैज्ञानिक डॉ सूर्यनाथ चौरसिया के अनुसार, इन टनल में सब्जियों को बोने के बाद ड्रिप सिस्टम से Fertigation ज़रूर करें। यानी NPK का 50 से लेकर 100 PPM तक का घोल बनाकर, रोज़ या एक दिन छोड़कर पौधों को ज़रूर दें। अगर लो टनल के उपर धुल जम जाए तो लो टनल की धुलाई भी ज़रूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस वजह से पौधों को पर्याप्त रौशनी या हवा नहीं मिल पाती है। इसके अलावा, दिन के समय कुछ देर के लिए पॉलीहाउस के पर्दे हटा दें। फिर शाम से पहले बंद कर दें। इस तरह से पौधों का विकास अच्छा होता है। ऐसे पौधों की खेत में रोपाई करने से उनकी मृत्यु दर न के बराबर होती है।
किसान लो टनल पॉलीहाउस तकनीक से कमा सकते हैं लाखों
किसानों के पास इस तकनीक से पैसा कमाने का अवसर है। इस विधि से आप किसानों को अपनी नर्सरी के पौधे बेचकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले के रानियाला दयालपुर गांव के रहने वाले सतपाल सैनी एक ऐसे ही प्रगतिशील किसान हैं। सतपाल सैनी लो टनल नर्सरी में सब्जी के पौधे तैयार कर अपने क्षेत्र के किसानों को बेचकर सालाना लाखों रुपये कमाते हैं। सतपाल सैनी अपनी 2 बीघा ज़मीन पर लो टनल में एक बार में बैगन, मिर्च , टमाटर और प्याज के करीबन ढाई लाख पौधे तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि एक पौधा तैयार करने में उन्हें 60 पैसे का खर्च आता है। उसे एक 10 पैसे या एक रुपया 20 पैसे की दर से बेचकर एक से डेढ़ लाख रुपये कमाते हैं। वो हर साल 3 से 4 बार पौधा तैयार करके बेचते हैं। इस तरह उनकी सालाना कमाई 4से 5 लाख रूपये तक हो जाती है।

हर तरह से फ़ायदेमंद है लो-टनल पॉलीहाउस तकनीक
डॉ. सूर्यनाथ चौरसिया ने कहा कि इस तकनीक से सब्जी की पौध सफलतापूर्वक तैयार की जा सकती है। किसान इस तकनीक की मदद से बेमौसम फसलों की उपज जल्दी लेकर अधिक लाभ कमा सकते हैं। इस विधि में बीजों का अंकुरण शत-प्रतिशत होता है और अंकुरण के बाद पौधे ठीक से विकसित होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि लो टनल पॉलीहाउस के अंदर का तापमान बीजों के अंकुरण और पौधों के विकास के लिए उपयुक्त होता है।
पौधे तैयार करने में कम समय लगता है क्योंकि बीज जल्दी जम जाता है और पौधे ठीक से बढ़ते हैं। जब पौधों को सुरंग वाली तकनीक से उगाया जाता है तो कीटों और बीमारियों का प्रकोप भी कम होता है। इस प्रकार किसान स्वस्थ नर्सरी की बुनियाद पर स्वस्थ और क्वालिटी वाली बंपर उपज की नींव रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई किसान बिज़नेस करना चाहता है तो वो अपने क्षेत्र के किसानों की आवश्यकता के अनुसार,इस तकनीक से सब्जी की पौध तैयार करके, उसे बेचकर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकता है।
अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।

ये भी पढ़ें:
- Meri Panchayat App : ‘मेरी पंचायत ऐप’ से पाएं पंचायत की हर जानकारी और मौसम का पूर्वानुमान सिर्फ एक क्लिक पर! केंद्र सरकार की ओर से लॉन्च किया गया ‘मेरी पंचायत’ App (Meri Panchayat App) ग्रामीण भारत को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये ऐप न सिर्फ पंचायत से जुड़ी सभी योजनाओं, फंड और विकास के कामों की जानकारी देता है, बल्कि अब इसमें 5 दिन का मौसम पूर्वानुमान (5 day weather forecast) भी शामिल किया गया है।
- Primary Agricultural Credit Society: PACS के ज़रिये से सहकारिता क्रांति, किसानों को मिल रहीं कृषि सेवाएं और सस्ता ऋणगांव में मल्टीपर्पस PACS (primary agricultural credit societies) के तहत डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित की जा रही है। ये योजना किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली है, जिसमें कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, भंडारण, मार्केटिंग और डिजिटल सेवाओं का विस्तार शामिल है।
- प्राकृतिक खेती अपनाकर सेब की खेती में सफल हुए हिमाचल के प्रगतिशील किसान भगत सिंह राणाप्राकृतिक खेती से सेब की खेती को नया जीवन देने वाले भगत सिंह राणा की कहानी पढ़ें और जानिए खेती में बदलाव की राह।
- कैसे विदेशी सब्ज़ियों की खेती में पुलवामा के किसान ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने हासिल की कामयाबीकश्मीर की ज़मीन पर विदेशी सब्ज़ियों की खेती ने दस्तक दी है। शोपियां के ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने पुलवामा में ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, चाइनीज़ गोभी और केल की खेती कर मिसाल पेश की है। किसान उनके फ़ार्म को देखने और उनसे सीखने भी आते हैं।
- Analog Cheese का धोखा: दूध की जगह प्लांट-बेस्ड मिलावट! FSSAI ने कसी नकेल, जानिए कैसे करें नकली पनीर की पहचान?असली पनीर 100 फीसदी दूध से बनता है, जबकि एनालॉग पनीर (Analog cheese) में दूध की जगह सोया प्रोटीन, वनस्पति तेल, टैपिओका स्टार्च, नारियल तेल और केमिकल्स मिलाए जाते हैं। ये पनीर दिखने में तो असली जैसा लगता है, लेकिन स्वाद और पोषण में बिल्कुल फर्क होता है।
- प्रधानमंत्री कुसुम योजना से झुंझुनूं के 1500 किसानों को मिलेगा सोलर पंप का तोहफ़ा, 60% सब्सिडीप्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM Kusum Scheme) से झुंझुनूं के 1500 किसानों को मिलेगा सोलर पंप, सरकार दे रही है 60% सब्सिडी और 5 साल की वारंटी।
- ICAR और NBFGR ने अरब सागर से खोजी नई गहरे पानी की सर्पमीन (ईल) प्रजाति Facciolella SmithiICAR–National Bureau of Fish Genetic Resources (NBFGR) के शोधकर्ताओं ने अरब सागर में केरल के तट से एक नई प्रजाति की सर्पमीन (New species of eel) खोजी है, जिसका नाम Facciolella smithi रखा गया है।
- International Plastic Bag Free Day पर जानिए, क्यों खेती को चाहिए प्लास्टिक से मुक्तिInternational Plastic Bag Free Day पर जानिए कैसे प्लास्टिक खेती को कर रहा है नुकसान और किसान कैसे इस बदलाव के अगुआ बन सकते हैं।
- Shivraj Singh Chouhan’s Visit To Jammu And Kashmir: केसर उत्पादन से लेकर क्लीन प्लांट सेंटर तक केंद्र सरकार बदलेगी किसानों की तकदीर!केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) 3 और 4 जुलाई 2025 को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं, जहां आज उन्होंने कृषि, ग्रामीण विकास और शिक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण योजनाओं Agricultural Revolution In Jammu And Kashmir) की समीक्षा की।
- Mission Mausam: भारत को मिलेगा Weather Update का सटीक अनुमान, देश अब मौसम की मार से बचने को तैयार!देश के कई हिस्सों में आए भीषण मौसम के बीच उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मिशन मौसम’ (MISSION MAUSAM) के तहत भारत का पूर्वानुमान तंत्र अब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सिस्टम्स की कतार में शामिल हो रहा है।
- What is Precision Farming: स्मार्ट तकनीक से Agriculture Revolution! क्यों ये है भविष्य की खेती? पढ़ें डीटेल मेंप्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) एक ऐसी आधुनिक तकनीक जो GPS, सेंसर, ड्रोन और AI का इस्तेमाल करके खेती को ‘इंच-इंच सटीक’ बना देती है।
- गुरेज़ घाटी में खेती और बागवानी को मिली नई पहचान, MIDP और HADP Schemes से आई हरियाली की बहारगुरेज़ घाटी में MIDP और HADP Schemes से खेती में आई क्रांति, किसान अब उगा रहे हैं सेब, चेरी और सर्दियों की सब्ज़ियां।
- 10 Years Of Digital India : e-NAM के ज़रीये किसानों की बदल रही जिंदगी, नई टेक्नोलॉजी से आई डिजिटल क्रांतिडिजिटल क्रांति (10 Years Of Digital India) ने किसानों की जिंदगी को कैसे बदला है? ई-नाम (e-NAM) एक ऐसी ही क्रांतिकारी पहल है, जिसने कृषि व्यापार (Agricultural Business) को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करके किसानों को सीधा बाजार से जोड़ दिया है।
- ‘Ek Bagiya Maa Ke Naam’ Project: मध्य प्रदेश सरकार की मदद से महिलाओं को मिलेगी आर्थिक आज़ादी‘एक बगिया मां के नाम’ (‘Ek Bagiya Maa Ke Naam’ Project) नाम की इस योजना के तहत मध्य प्रदेश की हज़ारों महिलाओं को अपनी ज़मीन पर फलदार पौधे लगाने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और प्रदेश हरा-भरा बनेगा।
- VIV ASIA Poultry Expo 2026: भारत में पहली बार होने जा रहा है लाइव स्टॉक एक्सपो का महाकुंभ!दुनिया के सबसे बड़े लाइव स्टॉक और पोल्ट्री एक्सपो (The world’s largest livestock and poultry expo) में से एक, VIV ASIA, (VIV ASIA Poultry Expo 2026) अब भारत में होने जा रहा है। ये पहली बार है जब ये प्रतिष्ठित एक्सपो थाईलैंड और यूरोप से निकलकर भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
- हेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा नया सहाराहेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक (Bio-plastic being made from hemp waste) दे रही पर्यावरण को राहत और गांवों को रोज़गार, संभल में शुरू हुआ हरित नवाचार।
- 200 Years of Assam Tea: स्वाद, विरासत और इनोवेशन संग न्यूयॉर्क में जश्न, धूमधाम से मना असम चाय का द्विशताब्दी समारोहन्यूयॉर्क में समर फैंसी फूड शो 2025 (Summer Fancy Food Show 2025) में असम चाय के 200 साल पूरे (200 Years of Assam Tea) होने का भव्य उत्सव मनाया।
- National Turmeric Board Inaugurated: किसानों को मिली बिचौलियों से मुक्ति, अब दुनियाभर में धाक जमाएगी ‘निज़ामाबाद की हल्दी’केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Cooperation Minister Amit Shah) ने ‘राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड’ (National Turmeric Board) का उद्घाटन किया। ये कदम दशकों से हल्दी किसानों की मांग को पूरा करने वाला साबित होगा।
- गुना का गुलाब अब महकेगा पेरिस और लंदन तक – गुलाब की खेती से किसानों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाज़ारगुलाब की खेती से गुना के किसान अब पेरिस और लंदन में गुलाब भेजने को तैयार हैं। गुना का गुलाब देगा अंतरराष्ट्रीय पहचान।
- Obesity in India: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में की ‘कम तेल,अच्छी सेहत’ की अपील, FSSAI ने दिये मोटापा कम करने के ज़बरदस्त टिप्स!मोटापे की बढ़ती समस्या (Obesity in India) पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी मुहिम शुरू करने का आग्रह किया है। यह सिर्फ एक सुझाव नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। साथ ही, FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) और AIIMS की विशेषज्ञ डॉ. स्वप्ना चतुर्वेदी ने स्वस्थ खानपान के ऐसे ऑप्शन सुझाए हैं, जो न सिर्फ आसान हैं बल्कि सेहत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।