वैज्ञानिक सूअर पालन में किन बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी? Pig Farming में झारखंड का ये युवा बना मिसाल
वैज्ञानिक तरीके से सूअर पालन में होता है अच्छा मुनाफ़ा
कम लागत में अधिक मुनाफ़ा कमाने का अच्छा ज़रिया है सूअर पालन, मगर पारंपरिक तरीका अपनाने पर इस व्यवसाय से अधिक लाभ नहीं होता। यदि आप बढ़िया मुनाफ़ा चाहते हैं तो झारखंड के इस युवा की तरह वैज्ञानिक तरीके से सूअर पालन का व्यवसाय करें।
पशुपालन बिज़नेस में यदि किसी एक तरीके से अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है, तो वो है व्यावसायिक सूअर पालन। इसमें लागत भी कम आती है। आपको बस हर तरह के प्रबंधन, विपणन और सूअरों की देखभाल के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाना होगा। यही काम झारखंड के 36 साल के युवा मंचन बेक ने किया। मंचन ने व्यावसायिक सूअर पालन से जुड़े एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसके बाद, इस व्यवसाय से जुड़े कौशल का विकास करने के बाद अपने फ़ार्म में वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर सूअर पालन शुरू किया। इसका परिणाम बेहतरीन रहा।
व्यावसायिक सूअर पालन की वैज्ञानिक तकनीक
झारखंड के 36 वर्षीय युवा मंचन बेक के पास 4 एकड़ भूमि है। वो परिवार का खर्च चलाने के लिए मुख्य रूप से व्यवसायिक सुअर पालन व प्रबंधन का काम करते हैं। पहले सूअर पालन से इससे उन्हें ज़्यादा आमदनी नहीं होती थी। फिर सितंबर 2018 में उन्होंने राज्य कृषि प्रबंधन और विस्तार प्रशिक्षण संस्थान (SAMETI), झारखंड के समन्वय के तहत कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA), गुमला की ओर से आयोजित ‘वाणिज्यिक सूअर पालन और प्रबंधन’ पर आयोजित एक कौशल आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
यहां से उन्हें व्यावसायिक सूअर पालन पर ट्रेनिंग मिली। सूअरों का वैज्ञानिक तकनीक से प्रजनन, प्रबंधन और असरदार मार्केटिंग तकनीक की उन्हें जानकारी मिली। इसे उन्होंने अपने फ़ार्म में अपनाकर उन्होंने बढ़िया मुनाफ़ा कमाया। आज उन्हें सालाना करीब 3.5 लाख रुपये की आमदनी होती है।

सूअर पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी गई अहम जानकारी
प्रशिक्षण में सूअर पालन से जुड़ी सभी अहम जानकारियां दी गईं जैसे सूअर पालन व्यवसाय की स्थित और संभावनाएं, सूअरों के आवास की व्यवस्था, सूअरों की महत्वपूर्ण नस्लें और उनकी विशेषताएं, स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके कम लागत वाला भोजन/चारा तैयार करना, पोषक तत्व प्रबंधन में पानी का महत्व, सूअरों का प्रजनन और उसका प्रबंधन, गर्भवती सूअरों का प्रबंधन और उनके आवास की व्यवस्था, रोग प्रबंधन, संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण, सूअरों का टीकाकरण कार्यक्रम, सूअरों की मार्केटिंग से जुड़ी जानकारी मिली।
फ़ार्म में किए गए ये बदलाव
- प्रशिक्षण में मिली जानकारी के आधार पर उन्होंने सूअर पालन इकाई में कई बदलाव किए। मसलन आयु वर्ग व उनके विकास क्रम के अनुसार सूअरों के लिए आवास की व्यवस्था।
- सूअरों की उचित देखभाल जिससे उनकी मृत्यु दर में कमी आई। भोजन और स्वास्थ्य की अच्छी व्यवस्था भी की गई।
- प्रशिक्षण से उन्हें सूअरों को बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण की अहमियत भी समझ आई। अब वो अपने फ़ार्म के सूअरों का सही समय पर टीकाकरण कराने लगे हैं।

दूसरों को मिली प्रेरणा
झारखंड के गुमला ज़िले में सूअर पालन एक आम व्यवसाय है। ज़्यादातर लोग देसी नस्ल के सुअर पालते हैं, जिसकी वजह से सूअरों में बीमारी और कम उत्पादकता की समस्या आती है। ट्रेनिंग प्रोग्राम के ज़रिए युवाओं को सूअरों की उन्नत नस्ल और बेहतर प्रबंधन की जानकारी मिली। मंचन बेक की सफलता को देखकर अन्य ग्रामीण युवा भी धीरे-धीरे वैज्ञानिक तकनीक से व्यावसायिक सुअर पालन की ओर बढ़ रहे हैं। मंचन अब आसपास के किसानों और युवाओं को सूअरों की उन्नत नस्ल के संबंध में जानकारी देते हैं। उन्होंने किसानों को खेती के अलावा, वैज्ञानिक तरीके से सूअर पालकर अतिरिक्त आमदनी का एक बेहतरीन ज़रिया सुझाया है।
ट्रेनिंग लेने के बाद ही शुरू करें सूअर पालन
सूअर पालन करने में रुचि रखने वालों के लिए किसान ऑफ़ इंडिया टीम की ये सलाह है कि ये जितना आसान दिखता है, उतना है नहीं। ट्रेनिंग लेने के बाद ही इस क्षेत्र में कदम रखना चाहिए। अच्छे से ट्रेनिंग लेंगे तो मुनाफ़ा भी होगा। आपको पता होना चाहिए वैक्सीनेशन कब देनी है, उपचार और रखरखाव कैसे करना चाहिए। आप ऐग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी और कृषि विज्ञान केंद्र से जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं। इसके बाद छोटे स्तर से ही सूअर पालन की शुरुआत कर सकते हैं।
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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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