Integrated Farming: इस महिला ने खड़ा किया साथी किसानों के लिए मॉडल फ़ॉर्म, आज महीने का कमाती हैं लाख रूपये

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले की रहने वाली अनीता पुष्पा कृषि परिवार से ताल्लुक नहीं रखती, बावजूद इसके वो न सिर्फ़ एक सफल किसान हैं, बल्कि आसपास के लोग उन्हें एक प्रेरणास्रोत के रूप में देखते हैं और यह सब संभव हुआ उनके द्वारा खेती में Integrated Farming यानी एकीकृत कृषि प्रणाली इस्तेमाल करने से।

Integrated Farming एकीकृत खेती

वक़्त के साथ हर चीज़ बदलती है और इस बदलाव को जो अपना लेता है, वही आगे बढ़ता है। खेती के संबंध में भी यही बात लागू होती है। बदलते समय के साथ जिन किसानों ने नई तकनीक को अपना लिया वह सफल किसान बन चुके हैं। अनीता पुष्पा के क्षेत्र के किसान परंपरागत रूप से ही खेती किया करते थे। इसमें उन्हें मेहनत ज़्यादा और मुनाफ़ा कम होता था। जबकि नई तकनीकों और आधुनिक मशीनरी के इस्तेमाल से खेती को सुगम और लाभकारी बनाया जा सकता है। इसलिए तो महिला किसान अनीता पुष्पा आज अपने इलाके के लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। आज उनका खेत साथी किसानों के लिए ‘मॉडल फ़ार्म’ बन गया है। उन्होंने अपने फ़ार्म में Integrated Farming यानी एकीकृत कृषि प्रणाली का जो मॉडल तैयार किया है, उसे देखने के लिए दूर-दराज से किसान आते हैं। 

कौन हैं अनीता पुष्पा?

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले के कोकराडी गांव की अनीता ने सिर्फ़ बुनियादी शिक्षा ही प्राप्त की है। शादी से पहले अनीता का खेती-बाड़ी से कोई संबंध नहीं था। शादी के बाद वह खेती से जुड़ा एक टीवी कार्यक्रम अक्सर देखा करती थीं और पति से प्रेरणा पाकर उन्होंने खेती करनी शुरू की। अनीता के मुताबिक, उनके पति न सिर्फ़ उन्हें प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि कृषि से जुड़ी हर गतिविधि में उनका सहयोग भी करते हैं। उनके पास 6 एकड़ भूमि है, जिसमें से एक एकड़ में धान की खेती करती हैं, जबकि 2 एकड़ में 1500 सुपारी के पौधे, 1 एकड़ में रबड और बाकी बची ज़मीन पर 500 कालीमिर्च, 100 नारियल और 50 केले के पौधे हैं।

Integrated Farming एकीकृत खेती
तस्वीर साभार: agricoop

Integrated Farming: इस महिला ने खड़ा किया साथी किसानों के लिए मॉडल फ़ॉर्म, आज महीने का कमाती हैं लाख रूपयेकैसे मिली Integrated Farming तकनीक की जानकारी?

अनीता पुष्पा दूरदर्शन पर खेती से जुड़ा एक कार्यक्रम देखने के साथ ही ATMA के कार्यक्रम में भी ऑनलाइन और ऑफलाइन हिस्सा लिया करती थीं। इस दौरान उन्होंने खेती से जुड़ी नई-नई तकनीकों के बारे में जाना। ट्रेनिंग के दौरान कई फ़ार्म प्रशिक्षण में उन्होंने हिस्सा लिया। Integrated Farming की बारीकियों को समझने के बाद ही उन्होंने इसकी शुरुआत की। इस दौरान वो अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के संपर्क में रहीं।

अनीता के मॉडल फ़ार्म में हैं कौन-सी मशीनें?

सिंचाई के लिए उनके खेत में बोरवेल लगा हुआ है। इसके अलावा, ट्रैक्टर और टिलर आदि वह किराए पर लेती हैं। उनके पास घास काटने, दूध निकालने, और भूसा काटने की मशीन हैं। खेती के साथ ही वह पशुपालन भी कर रही हैं। उनके पास 5 गाय और 5 सूअर हैं।

Integrated Farming एकीकृत खेती
तस्वीर साभार: agricoop

Integrated Farming: इस महिला ने खड़ा किया साथी किसानों के लिए मॉडल फ़ॉर्म, आज महीने का कमाती हैं लाख रूपयेतैयार करती हैं कई उत्पाद

वह गाय के दूध से घी बनाकर आस-पास के घरों में बेचती हैंगोबर और गौमूत्र से जैविक खाद तैयार करती हैंइसके अलावा, गायों को चारे के रूप में दिए जाने वाले हरे चारे अजोला की खेती भी कर रही हैं

लागत से दोगुना मुनाफ़ा कमाती हैं अनीता

  • सुपारी की खेती में लागत 2 लाख रुपये, कुल आमदनी 9 लाख रुपये, सीधा मुनाफ़ा 7 लाख रुपये। 
  • रबड़ की खेती में लागत 30 हज़ार रुपये, कुल आमदनी 80 हज़ार रुपये, मुनाफ़ा 50 हज़ार रुपये।  
  • काली मिर्च की खेती में लागत 30 हज़ार रुपये, कुल आमदनी एक लाख रुपये और मुनाफ़ा 70 हज़ार रुपये। 
  • नारियल की खेती में लागत एक लाख रुपये, कुल आमदनी 3 लाख रुपये और मुनाफ़ा 2 लाख रुपये।
  • दूध उत्पादन की लागत 25 हज़ार रुपये, कुल आमदनी एक लाख 8 हज़ार रुपये और मुनाफ़ा 83 हज़ार रुपये। 
  • सूअर पालन की लागत 15 हज़ार रुपये, कुल आमदनी 40 हज़ार रुपये और मुनाफ़ा 25 हज़ार रुपये। 

अनीता पुष्पा को कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिए ATMA स्कीम के तहत 2020 में तालुका की बेस्ट किसान का अवॉर्ड मिल चुका है। मैंगलोर स्थित केवीके ने भी उन्हें बेलथांगडी तालुक के सर्वश्रेष्ठ किसान के सम्मान से नवाज़ा है। 

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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