किसान ऑफ़ इंडिया हमारे देश के किसानों के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है। यहां हम किसानों के डिजिटल मित्र- एग्रीबॉट्स (Agribots) या कृषि रोबोट पर दिलचस्प जानकारियां लेकर आए हैं। हमने ड्रोन द्वारा खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करने, खरपतवारों को तोड़ने में मदद करने, खेत की जुताई और कटाई करने वाली मशीनें, फसलों की निगरानी करने वाले रोबोट्स के बारे में सुना है। ये सभी मशीनें एग्रीबॉट्स के अलग-अलग संस्करण हैं।
इसलिए किसानों को अब धूप में पसीना बहाने, निराई-जुताई और कटाई करने की ज़रूरत नहीं है। हर काम के लिए एक रोबोट है। ऐसा नहीं है कि किसानों को कुछ नहीं करना है, बल्कि उन्हें सबसे कठिन काम करना है यानी काम करवाना है। वो आराम से बैठकर मशीनों को ज़रूरी काम करने के निर्देश दे सकते हैं। इस तरह वे समय, श्रम और ऊर्जा की बचत कर सकते हैं।
इसे पढ़ते-सुनते ही आपके मन में कई सवाल आ रहे होंगे, जैसे-
- इन एग्रीबॉट्स की लागत क्या होगी?
- क्या एग्रीबॉट्स का आकार उपयोगकर्ता के अनुकूल होगा?
- इसकी प्रामाणिकता क्या होगी?
- ये कितना विश्वसनीय होगा?
- क्या अनपढ़ किसान इसे सीख पाएंगे और उपयोग कर पाएंगे?
सौभाग्य से, ऊपर पूछे गए सभी सवालों के जवाब हाँ की तरफ़ ही हैं। कृषि क्षेत्र में, रोबोटिक्स, क्रांति लाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
एग्रीबॉट्स क्या हैं?
एग्रीबॉट्स को ही कृषि रोबोट कहा जाता है। ये मूल रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी artificial intelligence पर आधारित रोबोट हैं, जो कृषि प्रथाओं के लिए उपयोगी हैं। वे कृषि पद्धतियों को स्वचालन यानी अपने आप काम करने के लिए तैयार करते हैं। कृषि के क्षेत्र में किसानों की मेहनत और समय के निवेश को कम करते हैं। साथ ही बेहतर आय, लाभ और भविष्य की उम्मीद बढ़ाते हैं। एग्रीबॉट्स देश में खाद्य उत्पादन के स्तर को बढ़ाने में भी सहायक साबित हुए हैं। वे फसल दक्षता बढ़ाने और शारीरिक श्रम को कम करने में मदद करते हैं, जिससे किसानों को दोहरा लाभ मिलता है। हमने किसान ऑफ़ इंडिया वेब पोर्टल और यूट्यूब चैनल पर एग्रीबॉट्स को लेकर कई कहानियों साझा की हैं, जिन्हें आपको पढ़ना और देखना चाहिए।
एग्रीबॉट्स क्या कर सकते हैं?
जैसा कि कहा जाता है- जहां विश्वास है, वहाँ कुछ भी असंभव नहीं है। एग्रीबॉट्स को पूरे विश्वास के साथ बनाया गया है। वे बिना थके कई काम कर सकते हैं, जैसे-
- बीज बोना
- पौधों में पानी डालना
- मृदा विश्लेषण
- खरपतवार नियंत्रण
- छँटाई और पैकिंग
- कटाई और उठान
- पर्यावरणीय निगरानी
- स्वचालित बुवाई, छंटाई, बीजाई, छिड़काव
- फसल बोना
- फसल की निगरानी और भी बहुत कुछ…
एग्रीबॉट्स के प्रकार
- i) फ़्लाइंग एग्रीबोट्स
- ii) फ़ील्ड एग्रीबोट्स
जैसा कि नाम से पता चलता है, फ़्लाइंग एग्रीबॉट्स ड्रोन हैं जो खेतों की ज़रूरत के आधार पर ऊंची और नीची उड़ान भरते हैं। वे कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव कर सकते हैं। खेतों की निगरानी कर सकते हैं। जबकि फ़ील्ड एग्रीबॉट वह हैं जो खेतों में प्रवेश कर सकते हैं और हर एक पौधे तक पहुंच सकते हैं। वे पौधों को पानी देने, निराई-कटाई करने, फसल बोने आदि में मदद करते हैं। सबसे ज़रूरी बात है कि ये खेतों में काम कैसे करेंगे, इसी बात पर ये तय होता है कि ये किसान और खेत के लिए कितने उपयोगी हैं। एग्रीबॉट्स अपनी ज़रूरत और इस्तेमाल के अनुसार अलग-अलग आकार में आते हैं।
एग्रीबॉट्स किसानों की मदद कैसे करते हैं?
जब एग्रीबॉट्स फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक सभी बुनियादी और उन्नत कार्य करते हैं, तो वो बहुत मददगार होते हैं।
- ट्रैक्टर पर रखे गए एग्रीबॉट्स खेतों में अंदर जाकर तय कर सकते हैं कि बीज को कहां रोपना है, कब कटाई करनी है और खेत को पार करने के लिए सबसे अच्छा रास्ता कैसे चुनना है।
- फसलों की सिंचाई और उन्हें खाद देने के लिए पारंपरिक तरीकों में बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होगी। जबकि एग्रीबॉट्स की सहायता से पानी का कम इस्तेमाल होगा क्योंकि पानी की बर्बादी कम से कम होगी। जमीन पर मौजूद रोबोट खेत में आगे बढ़ेंगे और सीधे ज़रूरतमंद पौधे को ही पानी देंगे।
- रोबोट पौधों में खाद डालने में भी मदद कर सकते हैं। फ़्लाइंग रोबोट इस काम को सबसे अच्छे तरीके से कर सकते हैं। मकई की खेती के मामले में, पौधे तेजी से बढ़ते हैं और उन्हें समय पर खाद देना मुश्किल हो जाता है। तो, एग्रीबॉट्स हर पौधे की जड़ तक नाइट्रोजन पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।
- जानकार मानते हैं कि खरपतवार को हटाने के लिए पूरे खेत में कीटनाशक का छिड़काव करना सही नहीं है। एग्रीबॉट्स फसल पर जड़ी-बूटियों की ज़रूरी मात्रा में सूक्ष्म छिड़काव का अभ्यास करते हैं। इससे उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों की मात्रा कम लगती है, जिससे किसान का खर्च कम हो जाता है।
- दूसरे एग्रीबॉट्स कंप्यूटर विजन डिटेक्शन की मदद से खरपतवार का पता लगाकर उसे उखाड़ सकते हैं।
एग्रीबॉट्स अभी तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से विकसित किए जा रहे एक तरह के रोबोट हैं। एग्रीबॉट्स सहित किसी भी रोबोट के आमतौर पर पाँच हिस्से होते हैं:
सेंसर- ये मूल रूप से रोबोट की इंद्रियां हैं, जिसके माध्यम से वो अपने आस-पास के माहौल को महसूस करते हैं। सेंसर का काम होता है कंट्रोलर यानी नियंत्रक को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के रूप में सूचनाएं भेजना।
कंट्रोलर या नियंत्रक- ये रोबोट का मस्तिष्क होता है। ये आसपास के माहौल के बारे में सेंसर से संकेत प्राप्त करता है। इसके अलावा, रोबोट के इस हिस्से को जानकारी या आदेश, कमांड के रूप में पाने के लिए डिज़ाइन और प्रोग्राम किया जाता है।
ड्राइवर/एक्ट्यूएटर- ये रोबोट का इंजन है, जो मशीन को गति देने में मदद करता है।
भुजाएँ- ये ठीक वैसे ही हैं जैसे कंधे, कोहनी, कलाई और उंगलियों के साथ हमारा हाथ। ये रोबोट को दिए गए आदेश का पालन करते हैं और सभी काम करते हैं।
एंड इफेक्टर्स- ये रोबोट का वो हिस्सा है जो काम के माहौल के साथ बात करता है।
एग्रीबॉट्स के फ़ायदे
एग्रीबॉट्स की चर्चा करते हुए, पहले ही इसके कुछ फ़ायदे आपको गिना दिए हैं। फिर भी, यहां इसके फ़ायदों की एक सूची बना लेते हैं।
- काम आसान करना
- काम में सटीकता लाना
- जल्दी और आसानी से काम को करना
- हर एक पौधे की देखभाल के लिए उपयोगी
- कीटनाशकों, उर्वरकों, पानी, दवाओं आदि का छिड़काव करना
- उत्पादकता बढ़ाना
- उपज की गुणवत्ता को बढ़ाना
- उत्पादन की लागत कम करना
- युवाओं को खेती के लिए प्रेरित करना
- किसानों के लिए मल्टीटास्किंग का समर्थन करना
- खेती के साथ-साथ पशुपालन जैसे नए क्षेत्रों की खोज करने के लिए किसानों को प्रेरित करना
- विपरीत परिस्थितियों में काम करना
- कभी भी बीमार न होना, कभी न थकना… इसलिए ब्रेक की मांग न करना
- एक बार निवेश करने से लंबे समय तक आसानी रहेगी
एग्रीबॉट्स की कमियां
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसी तरह एग्रीबॉट्स किसानों के लिए उपयोगी तो होते हैं लेकिन कई बार कुछ मुश्किलें भी पैदा करते हैं। जैसे-
- किसानों के लिए महंगा सौदा
- रखरखाव में ध्यान देना ज़रूरी
- अनुसंधान और विकास की लागत
- समय प्रबंधन ज़रूरी
- बिजली कटौती के कारण रोबोट का उपयोग मुश्किल हो जाता है
- निर्णय लेने की शक्ति नहीं होती है
- गरीब किसानों की एग्रीबॉट्स तक पहुंच नहीं है
अब हम जानते हैं कि रोबोट और विशेष रूप से एग्रीबॉट्स क्या होते हैं। ये खेती से संबंधित फैसले लेने में ज़रूरी भूमिका निभाते हैं। एग्रीबॉट्स के बारे में दी गई जानकारी से आपको उसके बारे में फ़ैसले लेने में आसानी होगी। हालांकि, एग्रीबॉट्स की लागत एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन विशेषज्ञ इसे एकमुश्त निवेश कहते हैं। उनका रखरखाव बहस का एक और मुद्दा हो सकता है, लेकिन इसका जवाब इस्तेमाल करने, करते रहने और समय के साथ ही दिया जा सकता है।
आने वाली पीढ़ियां इस तकनीकी बदलाव को लेकर उत्सुक हैं। पुरानी पीढ़ी के किसान विकास का आनंद ले रहे हैं और आज की दिक्कतों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि किसान ऑफ़ इंडिया की इस कोशिश से आपको कृषि रोबोट के बारे में जानने में मदद मिली होगी।
हमारी वेबसाइट पर यहां साझा किए गए लिंक के साथ एग्रीबॉट्स के बारे में पढ़ते रहें:
‘एग्रीबोट’: सरकारी मंजूरी पाने वाला भारत का पहला कृषि ड्रोन, जानिए इसके बारे में सब कुछ
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Revolution In Cotton Farming: कृषि मंत्री ने एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम’ का दिया नारा, कहा- किसानों के साथ मिलकर बढ़ाएंगे उत्पादकतादेशभर से आए कपास उत्पादक किसानों, वैज्ञानिकों और हरियाणा के कृषि मंत्री राणा सिंह के साथ मिलकर कपास की खेती (Revolution In Cotton Farming) को बेहतर बनाने पर चर्चा की। इस बैठक का मकसद था – ‘कपास की पैदावार बढ़ाना, लागत कम करना और नई तकनीकों को खेतों तक पहुंचाना।’
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से किसानों की आय में वृद्धि, बदलाव की राह पर जांजगीर-चांपा के किसानराष्ट्रीय कृषि विकास योजना से किसान अपना रहे परिवर्तन खेती का मॉडल, कम लागत में अधिक मुनाफ़ा और बन रहे आत्मनिर्भर।
- किसानों के लिए बड़ी खुशख़बरी: अब e-NAM पर इन 7 नई फसलों की भी होगी ऑनलाइन बिक्री, मिलेगा बेहतर दामअब ई-नाम (e-NAM) पोर्टल पर 238 कृषि उत्पादों की सूची में 7 नई फसलों को शामिल (7 new crops included in the list of 238 agricultural products) किया गया है।
- Big Initiative Of Bihar Government: अब आपदा में मरे मवेशियों पर मिलेगी मोटी रकम, जानें कैसे उठाएं लाभबिहार सरकार ने (Big Initiative Of Bihar Government) एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। अब राज्य में बाढ़ या किसी अन्य आपदा के दौरान मरे हुए या लापता मवेशियों के बदले पशुपालकों को आर्थिक मदद (Financial help to cattle owners in lieu of dead or missing cattle) मिलेगी।
- National Conference On Cotton :11 जुलाई को कोयम्बटूर में कपास क्रांति की तैयारी, किसान भी भेज सकते हैं सरकार को अपने सुझाव11 जुलाई 2025 को कोयम्बटूर में कपास पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference on Cotton) आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में देशभर के किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर कपास उत्पादन बढ़ाने, जलवायु अनुकूल बीज विकसित करने और किसानों की आय दोगुनी करने पर मंथन किया जाएगा।
- शेखावाटी के किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़ अपनाई पॉलीहाउस में खेती की तकनीकपॉलीहाउस में खेती से किसान कमा रहे लाखों, सरकार दे रही अनुदान और ड्रिप सिस्टम से हो रही जल बचत, जानिए पूरी कहानी।
- National Fish Farmers Day 2025: भारत मना रहा नीली क्रांति का जश्न, मछली पालन में 10 साल में दोगुना हुआ उत्पादन10 जुलाई, 2025 को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस (National Fish Farmers Day 2025) के मौके पर नए मत्स्य क्लस्टर्स (Fisheries Clusters), प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Programs) और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (Infrastructure Projects) की घोषणा होने जा रही है, जो इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाएगी।
- राजस्थान के बाड़मेर जिले में खजूर की खेती बनी हरियाली और आमदनी का ज़रियाबाड़मेर में खजूर की खेती से किसानों की आमदनी में हुआ ज़बरदस्त इज़ाफ़ा, मेडजूल जैसी क़िस्मों से बदली रेगिस्तान की क़िस्मत।
- HETHA Dairy: एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने देसी गायों के एथिकल गौपालन से खड़ा किया करोड़ों का उद्योग, जानिए कैसे?HETHA Dairy देसी गौपालन का बड़ा उदाहरण है, जहां असीम रावत ने एथिकल तरीके से 1100 गायों के साथ करोड़ों का व्यवसाय खड़ा किया।
- नागालैंड में Rani Pig के साथ सुअर पालन बना ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मज़बूत आधारRani Pig और वैज्ञानिक तकनीक से नागालैंड के सुअर पालन को मिल रही है नई दिशा, जानिए कैसे किसानों की आय में हो रही है वृद्धि।
- Sardar Patel Co-operative Dairy Federation: देश के डेयरी किसानों के लिए गेम-चेंजर, 5 लाख गांवों को मिलेगा फायदासरदार पटेल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (Sardar Patel Co-operative Dairy Federation) यानि SPCDF की स्थापना की गई है, जो देश के उन लाखों डेयरी किसानों को सशक्त बनाएगी, जो अभी तक सहकारी आंदोलन से जुड़े नहीं हैं।
- उत्तराखंड के किसानों के लिए बड़ी खुशख़बरी, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किये ये बड़े ऐलानमहत्वपूर्ण बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने उत्तराखंड के विकास (Agriculture and Rural Development in Uttarakhand) के लिए कई बड़े फैसले लिए। इस दौरान राज्य की मांग के अनुसार कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरसंभव सहायता देने की बात कही। जानिए क्या मिलेगा राज्य को?
- मिज़ोरम में ब्रोकली की खेती में नया बदलाव – पोषक प्रबंधन और मिनी स्प्रिंकलर तकनीक से आई क्रांतिब्रोकली की खेती में Integrated Nutrient Management और Mini Sprinkler System से मिज़ोरम के किसानों को मिली उन्नत पैदावार और बेहतर आमदनी।
- Pangasius Fish Cluster : उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में डेवलप हो रहा उत्तर भारत का ‘पंगेसियस क्लस्टर’सिद्धार्थनगर (Siddharthnagar) में बनने वाले पंगेसियस क्लस्टर (Pangasius Fish Cluster) में मछली के प्रोडक्शन, प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग), पैकेजिंग और एक्सपोर्ट की सभी सुविधाएं होंगी। इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेगा और किसानों की आय बढ़ेगी।
- Meri Panchayat App : ‘मेरी पंचायत ऐप’ से पाएं पंचायत की हर जानकारी और मौसम का पूर्वानुमान सिर्फ एक क्लिक पर! केंद्र सरकार की ओर से लॉन्च किया गया ‘मेरी पंचायत’ App (Meri Panchayat App) ग्रामीण भारत को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये ऐप न सिर्फ पंचायत से जुड़ी सभी योजनाओं, फंड और विकास के कामों की जानकारी देता है, बल्कि अब इसमें 5 दिन का मौसम पूर्वानुमान (5 day weather forecast) भी शामिल किया गया है।
- Primary Agricultural Credit Society: PACS के ज़रिये से सहकारिता क्रांति, किसानों को मिल रहीं कृषि सेवाएं और सस्ता ऋणगांव में मल्टीपर्पस PACS (primary agricultural credit societies) के तहत डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित की जा रही है। ये योजना किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली है, जिसमें कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, भंडारण, मार्केटिंग और डिजिटल सेवाओं का विस्तार शामिल है।
- प्राकृतिक खेती अपनाकर सेब की खेती में सफल हुए हिमाचल के प्रगतिशील किसान भगत सिंह राणाप्राकृतिक खेती से सेब की खेती को नया जीवन देने वाले भगत सिंह राणा की कहानी पढ़ें और जानिए खेती में बदलाव की राह।
- कैसे विदेशी सब्ज़ियों की खेती में पुलवामा के किसान ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने हासिल की कामयाबीकश्मीर की ज़मीन पर विदेशी सब्ज़ियों की खेती ने दस्तक दी है। शोपियां के ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने पुलवामा में ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, चाइनीज़ गोभी और केल की खेती कर मिसाल पेश की है। किसान उनके फ़ार्म को देखने और उनसे सीखने भी आते हैं।
- Analog Cheese का धोखा: दूध की जगह प्लांट-बेस्ड मिलावट! FSSAI ने कसी नकेल, जानिए कैसे करें नकली पनीर की पहचान?असली पनीर 100 फीसदी दूध से बनता है, जबकि एनालॉग पनीर (Analog cheese) में दूध की जगह सोया प्रोटीन, वनस्पति तेल, टैपिओका स्टार्च, नारियल तेल और केमिकल्स मिलाए जाते हैं। ये पनीर दिखने में तो असली जैसा लगता है, लेकिन स्वाद और पोषण में बिल्कुल फर्क होता है।
- प्रधानमंत्री कुसुम योजना से झुंझुनूं के 1500 किसानों को मिलेगा सोलर पंप का तोहफ़ा, 60% सब्सिडीप्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM Kusum Scheme) से झुंझुनूं के 1500 किसानों को मिलेगा सोलर पंप, सरकार दे रही है 60% सब्सिडी और 5 साल की वारंटी।