छोटे व सीमांत किसानों के लिए बनाए गए हैं कस्टम हायरिंग सेंटर, कैसे हो रहा फ़ायदा?
खेती के लिए ज़रूरी मशीने किराए पर उपलब्ध
खेती के काम को सुविधाजनक बनाने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है, मगर छोटे व सीमांत किसान मशीनें खरीदने की स्थिति में नहीं होते। इसलिए इनके लिए विशेष कस्टम हायरिंग सेंटर बनाए गए हैं, जहां से वो ज़रूरत के अनुसार मशीनें किराए पर ले सकते हैं।
कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Centre): श्रम और मेहनत बचाने के लिए खेती में मशीनों का इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है, लेकिन छोटे व सीमांत किसान आर्थिक रूप से इतने समृद्ध नहीं होते कि वो मशीनें खरीद सकें। इसके अलावा, खेती में महिलाओं को भी अधिक मेहनत करनी पड़ती है। महिला किसान या खेत में काम करने वाली अन्य महिलाओं की मेहनत मशीन व उपकरणों से कम हो जाती है। काम भी अधिक कुशलता से होता है।
इस बात की अहमियत को समझते हुए तेलंगाना के खम्मम ज़िले के सिंगरेनी में अन्नदाता कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) की स्थापना की गई, जो महिलाओं के लिए अनुकूल है। इससे छोटे व सीमांत किसानों को किफ़ायती कीमतों पर कृषि मशीनरी और उपकरण किराये पर मिल जाते हैं।
क्या है कस्टम हायरिंग सेंटर?
ये एक इकाई है, जिसका स्वामित्व FPO के पास है। इसके तहत छोटे व सीमांत किसानों को कृषि मशीनरी, उपकरण व उपकरणों के सेट किराए पर दिए जाते हैं। आसान उपलब्धता के कारण किसानों को इससे दोहरा फ़ायदा होता है। एक तो उनकी मेहनत और समय बच जाता है और दूसरा फसल का उत्पादन भी बेहतर होता है। ये किसानों के लिए सुविधाजनक वन स्टॉप सॉल्यूशन है यानि उनकी सारी समस्याओं का समाधान एक ही जगह पर हो जाता है।
“कस्टम हायरिंग सेंटर” (CHC) मॉडल की अवधारणा सोसाइटी फ़ॉर एलिमिनेशन ऑफ रूरल पॉवर्टी (SERP), तेलंगाना ने रखी। इसके स्वामित्व व संचालन की ज़िम्मेदारी किसान FPO के पास है। ये सुनिश्चित करता है कि जो किसान मशीनें खरीद नहीं सकते, उनकी पहुंच कस्टम हायरिंग सेंटर तक हो।
सफ़लतापूर्वक काम कर रहे CHC
सोसाइटी फ़ॉर एलिमिनेशन ऑफ़ रूरल पॉवर्टी (SERP), तेलंगाना ने 2020-21 के दौरान राज्य के 32 ज़िलों में 57 CHC (32 NRLM के तहत और 25 स्त्रीनिधि फंड के तहत) स्थापित किए, जो सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। किसान PO के पास इसका स्वामित्व और संचालन का अधिकार है जो ये सुनिश्चित करता है कि छोटे किसानों की पहुंच कस्टम हायरिंग सेंटर तक हो सके ताकि उन्हें सही समय पर सही कीमत पर कृषि उपकरण मिल सके।
किसान उत्पादक संगठनों (FPO) द्वारा एक उद्यम के रूप में कस्टम हायरिंग सेंटर चलाने और इसके प्रबंधन के लिए बिज़नेस प्लान भी बनाया गया। NRLM के तहत खम्मम ज़िले के सिंगरेनी मंडल में अन्नदाता कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए 25 लाख रुपए स्वीकृत किए गए। राशि स्वीकृत होने के बाद ज़िला उपार्जन समिति (District Procurement Committee) की मीटिंग के ज़रिए जिला स्तर पर उपकरण खरीदे गए।
मिलती हैं ये मशीनें
कस्टर हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Centre) में खेती के लिए ज़मीन तैयार करने से लेकर, बुवाई, कटाई और थ्रेसिंग के उपकरण मिलते हैं। इसके साथ ही कटाई के बाद के लिए कुछ ज़रूरी उपकरणों के सेट भी उबलब्ध होते हैं।
उपलब्ध उपकरणों में शामिल हैं-
- ट्रैक्टर (Tractor)
- ट्रॉली (Trolley)
- बीज सह उर्वरक ड्रिल (Seed um Fertilizer Drill)
- डिस्क हैरो (Disc Harrow)
- मोल्ड बोर्ड हल (Mould Board Plough)
- पावर स्प्रेयर (Power Sprayer)
- हैंड स्प्रेयर (Hand Sprayer)
- ड्रम सीडर (Drum Seeder)
- धान बायलर (Rice Boiler)
- धान ट्रांसप्लांटर (Paddy Transplanter)
- रोटावेटर (Rotavator)
- टाइन कल्टीवेटर (Tine Cultivator)
इन उपकरणों को रखने के लिए मेन रोड पर जगह की पहचान की गई, ताकि वहां से आसानी से लोगों तक इसे पहुंचाया जा सके। यहां ऑफिस की जगह के साथ ही, इलेक्ट्रिक फीटिंग, रनिंग वॉटर, ट्रैक्टर व कृषि उपकरणों को रखने के लिए गैराज और शटर की सुविधा उपलब्ध है।
सैकड़ों किसान उठा रहे लाभ
Custom Hiring Centre के उपकरणों की बदौलत लगभग 1300 एकड़ ज़मीन की ज़रूरतें पूरी हो रही हैं। बुवाई/रोपाई और कटाई/थ्रेसिंग जैसे अहम कामों के लिए मशीनों व उपकरणों की उपलब्धता से फसलों का उत्पादन भी बढ़ा है। एक जारी आंकड़ें के मुताबिक, 2020-21 में बिज़नेस मॉडल होने की वजह से CHC ने 8 महीने में 3,75,000 रुपये की सकल आय अर्जित की। इसमें से 1,50,000 रुपये खर्च निकालने के बाद शुद्ध मुनाफ़ा 2,25,000 रुपये का हुआ।
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