एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming): ज़मीन के छोटे से टुकड़े से लाखों की कमाई कर रहा है ये किसान

अंतर फसलों, बागवानी और नर्सरी से हुआ फायदा

ज़मीन के छोटे से टुकड़े का अगर सही इस्तेमाल किया जाए और खेती के लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनाई जाए, तो अच्छा-खासा मुनाफा कमाया जा सकता है। कर्नाटक के तुमकुर जिले के किसान मंजन्ना टी.के. एकीकृत कृषि प्रणाली की जीती-जागती मिसाल है।

कृषि के क्षेत्र में हर दिन नए आविष्कार हो रहे हैं, जिससे किसानों की ज़िंदगी आसान होती जा रही है और मुनाफा बढ़ता जा रहा है, लेकिन हर किसान नए आविष्कारों का फायदा नहीं उठा पाते हैं। इसकी वजह है जानकारी और जागरुकता की कमी। वरना 1 हेक्टेयर से कम ज़मीन के मालिक भी लाखों की कमाई कर सकते हैं। कर्नाटक के तुमकुर जिले के किसान मंजन्ना टी.के. बिल्कुल ऐसा ही कर रहे हैं। सिर्फ 0.8 हेक्टेयर ज़मीन से उन्हें सालाना 2,81,000 रुपये का मुनाफा हो रहा है। आइए, जानते हैं मंजन्ना टी.के. ने कैसे खेती को फायदे का सौदा बना दिया।

अनाज से लेकर बागवानी फसल तक

कृषि विज्ञान केंद्र, कोनेहल्ली, तुमकुर के संपर्क में आने से पहले मंजन्ना टी.के. 0.8 हेक्टेयर ज़मीन में रागी और लाल चना जैसी फसलें उगाते थे। साथ ही वो केला, आम और नारियल जैसी बागवानी फसलों की भी खेती करते थे। उनके पास एक दूध देने वाली गाय और नर्सरी भी है जहां वो मधुमक्खी पालन करते हैं। मंजन्ना एक प्रगतिशील किसान हैं जो नई तकनीक अपनाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। नई तकनीक की बदौलत ही उन्होंने खेती को लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया।

 

एकीकृत कृषि प्रणाली
तस्वीर साभार- damsideland

एकीकृत कृषि प्रणाली

कृषि विज्ञान केंद्र, कोनेहल्ली, तुमकुर के संपर्क में आने के बाद उन्होंने एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाया और खेती में वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल करने लगे। वो संतुलित उर्वरकों का उपयोग, खरपतवार नियंत्रण और जल प्रबंधन के साथ एकीकृत कीट व रोग प्रबंधन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे फसलों की उत्पादकता बढ़ी।

अंतर फसलों का उत्पादन

पहले मंजन्ना नारियल को एकल फसल के रूप में उगाते थे, लेकिन ज़मीन का अधिक कुशलता से उपयोग करने के लिए नारियल के पेड़ के बीच 20 गुंठा में चमेली और गुलदाउदी उगाने लगे। इससे उनकी आमदनी में इज़ाफा हुआ। इसके साथ ही उन्होंने आम के पेड़ के बीज में हरी मिर्च और लाल चना उगाना शुरू कर दिया। दरअसल, मंजन्ना हर एक इंच ज़मीन का सही इस्तेमाल करना चाहते हैं। इसलिए नारियल के बागान में उन्होंने अंतर फसल के रूप में केले की खेती शुरू कर दी। इसके अलावा अपने बाग में भरपूर फूलों को देखकर उन्होंने मधुमक्खी पालन भी शुरू कर दिया जिससे पौधों में पराग कण बनने में भी मदद मिलने लगी़। नारियल के पेड़ को कीटों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उन्होंने फेरोमोन ट्रैप लगाए और पौधों के अच्छे विकास के लिए खाद के साथ ही ट्राइकोड्रमा का भी इस्तेमाल किया।

एकीकृत कृषि प्रणाली
तस्वीर साभार- replantcoconut

मशीनों का इस्तेमाल

इलाके में श्रम की कमी को देखते हुए मंजन्ना ने खेती के काम के लिए कई मशीनें भी लगाई जिसमें वीडर और पेड़ से नारियल का फल तोड़ने वाली मशीन शामिल हैं।

कितनी हो रही है आमदनी

अलग-अलग फसलों की खेती से उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी। सिर्फ केले की खेती से 50,000 रुपये का सालाना मुनाफा हो रहा है। गुलदाउदी से 91,000 रुपये, नारियल से 14,000 रुपये, चमेली से 74,000 रुपये, आम से 10,500 रुपये, डेयरी से 42,000 रुपये का मुनाफा हो रहा है। इस तरह वह सालाना 2,81,500 का मुनाफा कमा रहे हैं।

एकीकृत कृषि प्रणालीउनकी सफलता गांव के अन्य युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है जो कम मुनाफे के कारण खेती छोड़ रहे हैं। मंजन्ना ने साबित कर दिया है कि खेती को भी फायदे का सौदा बनाया जा सकता है, बस ज़रूरत है कड़ी मेहनत और नई तकनीक को अपनाने की।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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