कर्नाटक के पावागड़ा तालुक के ज़्यादातर किसान कई साल से अनार की खेती कर रहे थे। मुश्किल तब आई जब 2016 के बाद से अनार की फसल पर कई कीटों व रोगों का प्रकोप बढ़ने लगा। 60 फ़ीसदी तक अनार की फसल बर्बाद होने लगी। यहां तक कि खेती का लागत भी नहीं निकल पा रही थी। फिर कृषि विज्ञान केंद्र, हिरेहल्ली ने उन्हें अनार की जगह टमाटर की वैकल्पिक खेती करने का सुझाव दिया और इसकी दो उन्नत किस्में भी बताईं।

टमाटर की उन्नत हाइब्रिड किस्में
अनार की खेती में लगातार नुकसान झेल रहे पावागड़ा के किसानों की समस्या टमाटर की खेती से दूर हो गई। दरअसल, KVK हिरेहल्ली ने टमाटर को अनार की वैकल्पिक फसल के रूप में लोकप्रिय बनाया और टमाटर की दो हाइब्रिड किस्मों के बारे में किसानों को जानकारी दी। पहली किस्म है ‘अर्का रक्षक’, जो ToLCV, बैक्टीरियल विल्ट और अर्ली ब्लाइट रोग प्रतिरोधी है। इसका फल चौकोर, गोल और 90-100 ग्राम वजनी होता है। यह सख्त और गहरे लाल रंग का होता है।

दूसरी किस्म हैं ‘अर्का अबेध’, इस किस्म पर टमाटर लीफ कर्ल रोग, बैक्टीरियल विल्ट, अर्ली ब्लाइट और लेट ब्लाइट रोग का प्रभाव नहीं पड़ता। फल सख्त, चपटे गोल होते हैं और वजन 90-100 ग्राम के बीच होता है। यह किस्म 140-150 दिनों में तैयार हो जाती है और 70-75 टन प्रति हेक्टेयर उपज देती है। यह दोनों किस्में 2016-17 के दौरान भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Horticultural Research, IIHR) बेंगलुरु द्वारा जारी की गई है।

कृषि विज्ञान केंद्र ने किया फ्रंट लाइन डेमोनस्ट्रेशन
अनार की फसल से पहले ही नुकसान झेल रहे किसान किसी नई फसल को लगाने के लिए पहले तैयार नहीं हुए, क्योंकि उन्हें नुकसान का डर था। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ने 2016-17 में 5 किसानों के 2 हेक्टेयर क्षेत्र में अर्का रक्षक किस्म का डेमोनस्ट्रेशन किया।
इसकी अधिक उपज क्षमता और रोग प्रतिरोधक गुणवत्ता को देखकर किसान इसे लगाने के लिए प्रेरित हुए। 2019-20 में किसान अधिक बड़े क्षेत्र में इसकी खेती के लिए आगे आए। इसके बाद अर्का अबेध किस्म का भी प्रदर्शन किया गया, जिसमें इसकी बेहतर पौध शक्ति, पौधों की अधिक शाखाएं, फल आदि देखकर किसान उत्साहित हुए।

फसल और आमदनी में बढ़ोतरी
टमाटर की उन्नत किस्म से फसल में 27.98 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई। पवागड़ा तालुक के पल्लवल्ली गांव के एक किसान चन्नमल्लप्पा ने 2020-21 में खरीफ़ के दौरान 5 एकड़ में टमाटर की अर्का अबेध किस्म लगाई। उन्हें 125 टन की उपज प्राप्त हुई। वह फसल की गुणवत्ता और इसके लेट ब्लाइट रोग के प्रतिरोध को देखकर प्रभावित हुए। उनकी खेती की लागत करीबन 3.13 लाख रुपये आई। 12 रुपये प्रति किलो के हिसाब से टमाटर बेचकर उन्हें तकरीबन 8.25 लाख रुपये की शुद्ध आमदनी हुई।
टमाटर की सफलता से उत्साहित 80 फ़ीसदी किसानों ने अनार छोड़कर टमाटर की खेती शुरू कर दी। 2015-16 में जहां 550 हेक्टेयर में टमाटर उगाया जाता था, वहीं 2019-20 के दौरान 2452 हेक्टेयर में इसकी खेती होने लगी।

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