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वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय (Vermicompost Business) से सालाना 20 लाख रुपये की कमाई, उत्तर प्रदेश की दर्शना का बिज़नेस मॉडल देखने आते हैं किसान

जानिए कितनी लागत, आमदनी और मुनाफ़ा

दर्शना ने वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए ओपन मेथड तकनीक अपनाई। एक एकड़ में खाद का उत्पादन शुरू किया, जो अब बढ़कर 3 एकड़ हो चुका है।

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जैविक खेती के लिए प्राकृतिक खाद ज़रूरी है और वर्मी कंपोस्ट से बेहतरीन प्राकृतिक खाद भला और क्या हो सकती है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञ ग्रामीण स्तर पर लोगों को वर्मीकम्पोस्ट  बनाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। इससे कई फ़ायदे हैं। खेती के लिए खाद की ज़रूरत पूरी होने के साथ ही रोज़गार के अवसर पैदा होते हैं। कम लागत में अधिक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। जिन किसानों के पास कम भूमि है या खेती से अच्छी आमदनी नहीं हो पाती, वह वर्मीकम्पोस्ट बनाकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले की रहने वाली दर्शना शर्मा ने वर्मीकम्पोस्ट यूनिट बनाकर न सिर्फ़ अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया, बल्कि अब वह कई लोगों को रोज़गार भी दे रही हैं।

स्वयं सहायता समूह बनाकर शुरू किया काम

उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले के मिताली गांव की रहने वाली दर्शना शर्मा प्रगतिशील विचारधारा की महिला है। उन्होंने 2002 में अपने जैसी विचारधारा वाली 15 अन्य महिलाओं के साथ मिलकर ‘ओमकार महिला स्वयं सहायता समूह’ की शुरुआत की। इसके बाद वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन शुरू कर दिया। 

वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय uttar pradesh woman farmer vermicompost
तस्वीर साभार: agricoop

अपनाया ओपन मेथड

उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए ओपन मेथड तकनीक अपनाई। एक एकड़ में खाद का उत्पादन शुरू किया, जो अब बढ़कर 3 एकड़ हो चुका है। खुले में खाद बनाने के कारण सितंबर-अप्रैल के महीनों में उत्पादन क्षमता सबसे ज़्यादा होती है। उनके साथ ही समूह की अन्य महिलाओं ने भी वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन शुरू किया। उसके पैकेट बनाकर बाज़ार में बेचने लगीं। इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी मिलने लगी।

वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय uttar pradesh woman farmer vermicompost
तस्वीर साभार: agricoop

कितनी लागत, आमदनी और मुनाफ़ा? 

वह वर्मीकम्पोस्ट के 5 किलो, 50 किलो के बैग बनाती हैं। 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचती हैं। सालाना करीब 20 लाख रुपये कमाती हैं, जिसमें उन्हें सालाना लागत करीब 8 लाख रुपये पड़ती है। यानी उन्हें सालाना 12 लाख रुपये का सीधा मुनाफ़ा होता है। इतना ही नहीं, उन्होंने 4 मज़दूरों को भी काम पर रखा है। जब काम अधिक होता है तो वह 10 से 12 मज़दूरों को काम पर लगाती हैं। वह अन्य किसानों को भी ज़रूरी सलाह देकर उनकी हर तरह से मदद करती हैं। उनके सहयोग और मार्गदर्शन से आसपास के 12 गांवों में वर्मीकम्पोस्ट की 35 यूनिट्स चल रही हैं। साथ ही वह जैविक खेती को बढ़ावा देने की भी अपील करती हैं।

वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय uttar pradesh woman farmer vermicompost
तस्वीर साभार: agricoop & farmingindia

कई राज्यों में बिक्री

दर्शना शर्मा के वर्मीकम्पोस्ट की बिक्री उत्तर प्रदेश के साथ ही हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भी होती है। जम्मू-कश्मीर में फूलों की खेती के लिए दर्शना शर्मा द्वारा तैयार किये गए वर्मीकम्पोस्ट की अच्छी मांग है। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ और बुलंदशहर ज़िले के कई किसान उनकी इकाई का दौरा करके उनके बिज़नेस मॉडल को समझने के लिए आते हैं। अब तक वह करीबन 600 किसानों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं। 

मिल चुके हैं कई अवॉर्डस

वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन में उन्हें राज्य स्तर पर कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। 2002 में उन्हें मेरठ स्थित क्रॉपिंग सिस्टम रिसर्च प्रोजेक्ट द्वारा सम्मानित किया गया। 2003 में कृषि विभाग द्वारा राज्य स्तर पर डॉ. चौधरी चरण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, 2013 में ‘उत्तर प्रदेश महिला मंच’ द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।

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