Wheel Hoe Machine: व्हील हो मशीन के इस्तेमाल से मज़दूरी पर लगने वाली लागत 50 फ़ीसदी तक कम, खेती के कई कामों को बनाती है आसान

व्हील हो मशीन पूरे रीवा ज़िले में कहीं भी उपलब्ध नहीं थी। किसानों के बीच इस मशीन के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए दो मशीनों को सागर ज़िले से लाया गया। शुरुआती परीक्षण के लिए ये मशीनें दो किसानों को दी गईं।

Wheel Hoe Machine: व्हील हो मशीन

खेती में कृषि उपकरणों के इस्तेमाल का चलन काफ़ी तेजी से बढ़ा है। कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक किसानों के बीच कृषि उपकरणों को पहुंचाने के कार्य में लगे हुए हैं। फिर चाहे वो समतल इलाका हो या दूर-दराज के गाँव। एक ऐसे ही कृषि वैज्ञानिक है डॉ. किनजुल्क सी. सिंह। उन्होंने मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले के किसानों तक व्हील हो मशीन पहुंचाने का काम किया है। 

रीवा के किसानों के लिए उपलब्ध कराई गईं व्हील हो मशीनें 

डॉ. किनजुल्क सी. सिंह पहले मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, पवारखेड़ा में कार्यरत थे। यहाँ के किसानों के अनुभवों के आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि व्हील हो मशीन रीवा के किसानों के लिए भी फ़ायदेमंद साबित हो सकती है। उनका ये निष्कर्ष एकदम सही निकला। 

पहली बार रीवा ज़िले में व्हील हो मशीन हुई उपलब्ध

व्हील हो मशीन पूरे रीवा ज़िले में कहीं भी उपलब्ध नहीं थी। किसानों के बीच इस मशीन के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए दो मशीनों को सागर ज़िले से लाया गया। शुरुआती परीक्षण के लिए ये दो मशीनें गोरहर गाँव के किसान गोपेंद्र त्रिपाठी और अमरा गाँव के सुग्रीव सिंह को उपलब्ध कराई गईं। इस तरह से कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा पहली बार रीवा ज़िले में व्हील हो मशीन का प्रदर्शन किया गया।

Wheel Hoe Machine: व्हील हो मशीन
तस्वीर साभार: jawaharlal nehru krishi vishwavidyalaya

किसानों की तरफ से आई अच्छी प्रतिक्रिया

व्हील हो मशीन इस्तेमाल के नतीजे अच्छे निकले। गोपेंद्र त्रिपाठी ने आलू के खेत की निराई-गुड़ाई व्हील हो की मदद से की। वहीं सुग्रीव सिंह ने भी बताया कि सब्जियों की पैदावार लेने में खेत की तैयारी, बुवाई और निराई जैसे कामों के लिए  यह मशीन उपयोगी है। अजगढ़ गाँव के रहने वाले नरेन्द्र सिंह ने मेडागास्कर विधि से बोए गए धान के खेत में व्हील हो की मशीन से सफलतापूर्वक निराई की। इसके बाद मध्य प्रदेश के खुरई से आवश्यक संख्या में व्हील हो मशीनें मंगाई गईं। मध्य प्रदेश का खुरई क्षेत्र फ़ार्म मशीनरी और इम्प्लीमेंट मैन्युफैक्चरिंग का गढ़ माना जाता है। 

मज़दूरों पर लगने वाला खर्च हुआ आधा

गाँवों में खेती से जुड़े निराई-गुड़ाई, जुताई, बुवाई जैसे कई काम महिलाएं ही करती हैं। व्हील हो के इस्तेमाल मे महिलाओं के कार्यों को आसान कर दिया। महिला किसान प्रतिभा पटेल ने बताया कि जहां एक एकड़ आलू के खेत में पहले निराई-गुड़ाई का काम करने के लिए 16 मज़दूरों की ज़रूरत पड़ती थी। अब व्हील हो मशीन के आने से मज़दूरों की संख्या आधी हो गई है। अब सिर्फ़ 8 ही मजदूर लगते हैं। एक ऐसी ही किसान पार्वती पटेल ने कहा कि जहाँ ट्रैक्टर का उपयोग नहीं किया जा सकता है, वहाँ ये मशीन खेत को तैयार करने के लिए बेहद उपयोगी है। 

Wheel Hoe Machine: व्हील हो मशीन
तस्वीर साभार: jawaharlal nehru krishi vishwavidyalaya

Wheel Hoe Machine: व्हील हो मशीन के इस्तेमाल से मज़दूरी पर लगने वाली लागत 50 फ़ीसदी तक कम, खेती के कई कामों को बनाती है आसान

किसानों को 50 फ़ीसदी की छूट के साथ दी गईं व्हील हो मशीनें

तत्कालीन कृषि उप निदेशक ने किसानों को व्हील हो मशीन की खरीद पर 50 फ़ीसदी की छूट देने का फैसला किया। कई किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र रीवा से व्हील हो मशीनें खरीदीं। 50 फ़ीसदी की रियायत के बाद 350 रुपये इसकी कीमत पड़ी। 

व्हील हो के बारे में कुछ ज़रूरी बातें

व्हील हो मशीन कतार में बोई गई फसलों की निराई-गुड़ाई करती हैं। हैन्डल की ऊंचाई चालक की लंबाई के हिसाब से ऊपर-नीचे की जा सकती है। व्हील हो को धक्का देकर चलाया जाता है, जिससे उसका शावेल ज़मीन में घुसता है और फसल से खरपतवार निकालने से लेकर ज़मीन की अच्छे से निराई-गुड़ाई कर देता है। व्हील हो मशीन द्वारा खुर्पी की तुलना में 50-55 प्रतिशत मजदूरी की बचत, 40 प्रतिशत संचालन खर्च में बचत तथा 5-8 प्रतिशत उपज में बढ़ोतरी होती है। 

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