सब्ज़ी नर्सरी (Vegetable Nursery): असम के किसान जयंती मेधी ने मिट्टी रहित सब्ज़ियों की पौध तैयार कर खड़ा किया सफल नर्सरी उद्योग
नर्सरी से जयंती मेधी की होती है सालाना क़रीब 7.5 लाख रुपये की कमाई
यदि रोपण सामग्री उच्च गुणवत्ता वाली हो तो सब्ज़ी नर्सरी में सब्ज़ियों की फसल भी अच्छी होती है। अपने इलाके में लोगों को बेहतरीन रोपण सामग्री मुहैया कराने के लिए जयंती मेधी ने एक अनोखा प्रयोग किया और बिना मिट्टी के ही विभिन्न सब्ज़ियों की पौध तैयार कर सफल उद्यम स्थापित कर लिया।
सब्ज़ी नर्सरी के काम में पौधों की नर्सरी बनाकर अच्छी कमाई की जा सकती है। यहां सब्ज़ियों की पौध के अलावा सजावटी पौधे और फूलों के पौधों की रोपण सामग्री भी तैयार की जा सकती है। इसकी आजकल बहुत मांग है। आजकल लोग अपने घर से लेकर ऑफिस तक को हरा-भरा रखना चाहते हैं यानी पौधों की मांग हमेशा बनी रहती है। बाज़ार तो है , लेकिन नर्सरी व्यवसाय में सफ़ल होने के लिए सही जानकारी और इससे जुड़ा कौशल होना चाहिए। असम के 40 वर्षीय युवा जंयती मेधी ने भी इस व्यवसाय से जुड़ा प्रशिक्षण लेने के बाद इसमें ज़बरदस्त सफलता पाई। अब वह आसपास के इलाकों में सब्ज़ियों की पौध सप्लाई कर रहे हैं। उनके व्यवसाय की एक ख़ासियत यह भी है कि वह नर्सरी में पौध बिना मिट्टी के तैयार कर रहे हैं।
कौशल प्रशिक्षण से मिली मदद
असम के 40 वर्षीय ग्रामीण युवा जयंती मेधी अपनी 6 एकड़ भूमि पर मुख्य रूप से बागवानी करते हैं। अतिरिक्त आमदनी के लिए उन्होंने बागवानी नर्सरी भी बनाई, मगर इसमें बहुत सफलता नहीं मिली। लेकिन फरवरी 2020 में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद उनकी ज़िंदगी बदल गई। ग्रामीण युवाओं के कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम (STRY) के तहत कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), नलबाड़ी द्वारा ‘नर्सरी प्रबंधन’ पर कौशल आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मिली जानकारी और प्राप्त कौशल का उपयोग करके जयंती ने अपने नर्सरी उद्योग को बढ़ाना शुरू किया। इस कार्यक्रम से उन्हें अपने नर्सरी के पौधों की मार्केटिंग में भी मदद मिली। प्रशिक्षण संस्थान के विशेषज्ञों ने उन्हें सलाह और तकनीकी सहायता भी प्रदान की। उन्नत तरीके से नर्सरी स्थापित करने के बाद अब उन्हें सालाना क़रीब 7.5 लाख रुपये की आमदनी प्राप्त हो जाती है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में इन विषयों पर दी गई जानकारी
इस कार्यक्रम में व्यावसायिक नर्सरी स्थापित करने, मार्केटिंग, नर्सरी की योजना और लेआउट, पौधों के प्रसार के तरीकों और तकनीकों, पॉटिंग और रिपोटिंग के लिए रोपण सामग्री की तैयारी, सब्ज़ियों की पौध तैयार करना उनका प्रबंधन, ऐसे कई विषयों की जानकारी दी गई। नर्सरी पंजीकरण और सरकार की योजनाएं, सब्ज़ियों की नर्सरी बेड तैयार करना और प्रो ट्रे में सब्ज़ियों के बीज की बुवाई आदि की जानकारी भी इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में दी गई।
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कौशल आधारित प्रशिक्षण के फायदे
- जंयती ने अपनी पुरानी नर्सरी को नए सिरे से वैज्ञानिक तरीके से स्थापित किया, जिसमें ट्रेनिंग में मिले कौशल से मदद मिली।
- वह ग्राहकों के लिए गुणवत्ता पूर्ण सब्ज़ियों की रोपण सामग्री तैयार करने लगे।
- वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करके वह रोग मुक्त सब्ज़ियों की पौध तैयार करने लगे।
- उन्होंने अपनी नर्सरी के प्रसार में मदद के लिए मदर प्लांट ब्लॉक की स्थापना की और विभिन्न सब्जियों की मिट्टी रहित पौध का उत्पादन शुरु किया। इसके साथ ही नर्सरी में वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन भी शुरू किया।

अन्य युवाओं को किया प्रेरित
जयंती मेधी एक शिक्षित युवा हैं। उन्होंने खुद को नर्सरी उद्यमी के रूप में स्थापित कर लिया और इससे अच्छा-खासा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। इसे देखकर इलाके के अन्य युवा भी नर्सरी उद्योग को अपनाने के लिए प्रेरित हुए हैं। जयंती से प्रेरित होकर कई युवाओं ने अपने घर में ही गुणवत्ता पूर्ण रोपण सामग्री उगाना शुरू कर दिया और उसे स्थानीय बाज़ार में बेचने लगे। जयंती की नर्सरी में प्रशिक्षु किसान दौरे के लिए आते हैं और उनकी तकनीक को समझने का प्रयास करते हैं। अब वह अपने इलाके में कृषि विज्ञान केंद्र और NGO की मदद से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
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सब्ज़ी नर्सरी तैयार करने को लेकर किसान ऑफ इंडिया की सलाह
आईसीएआर (ICAR) की सलाह के मुताबिक, पौधशाला (Nursery) को तैयार करने के लिए इन निम्न बातों का ज़रूर ध्यान रखना चाहिए-
सब्ज़ी नर्सरी क्षेत्र को पालतू जानवरों और जंगली जानवरों से बचाने के लिए अच्छी तरह से बाड़ लगाना चाहिए।
जहां सब्ज़ी नर्सरी तैयार कर रहे हैं, वो जगह जल स्रोत के पास और जलभराव से मुक्त होनी चाहिए।
रोपाई के लिए मुख्य खेत के पास नर्सरी होनी चाहिए।
दक्षिण-पश्चिमी दिशा से सूर्य का प्रकाश सबसे उपयुक्त होता है।
उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।
पौध उगाने के लिए उपजाऊ और स्वस्थ मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके लिए मिट्टी दोमट से बलुई दोमट होनी चाहिए।
मिट्टी में अच्छा कार्बनिक पदार्थ होना चाहिए। मिट्टी न तो अज़्यादा खुरदरी और न ही बहुत महीन होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान लगभग 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
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